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सोमवार, 5 मई, 2025
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घुटने के गठिया का पता लगाने के लिए एक्स-रे कराने से सर्जरी पर विचार की अधिक संभावना हो सकती है

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(बेलिंडा लॉफोर्ड, किम बेनेल, राना हिनमैन और ट्रैविस हैबर, मेलबर्न विश्वविद्यालय)

मेलबर्न, 21 फरवरी (द कन्वरसेशन) गठिया दीर्घकालिक दर्द और विकलांगता का एक प्रमुख कारण है, जिससे ऑस्ट्रेलिया में 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं।

इस रोग का पता लगाने के लिए नियमित एक्स-रे की सिफारिश नहीं की जाती है। इसके बजाय, डॉक्टर लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के आधार पर गठिया से ग्रसित होने का पता लगा सकते हैं।

फिर भी ऑस्ट्रेलिया में डॉक्टर के पास जाने वाले घुटने के गठिया के लगभग आधे नए रोगियों को एक्स-रे के लिए भेजा जाता है। घुटने के गठिया का पता लगाने के लिए होने वाले एक्स-रे से स्वास्थ्य प्रणाली को हर साल करीब 10.4 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का नुकसान होता है।

हमारे नए अध्ययन से पता चलता है कि घुटने के गठिया का पता लगाने के लिए एक्स-रे का सहारा लेने पर व्यक्ति अपने घुटने के दर्द के बारे में कैसे सोचता है। पाया गया कि ऐसा एक्स-रे उन्हें संभवत: अनावश्यक रूप से घुटने की ‘रिप्लेसमेंट सर्जरी’ पर विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

जब आपको गठिया हो जाए तो क्या होता है?

गठिया, जोड़ों में होने वाले बदलावों और जोड़ों द्वारा अपनी सामान्य स्थिति बरकरार रखने के लिए अतिरिक्त मेहनत करने के कारण होता है। यह हड्डियों, कार्टिलेज, स्नायुबंधन और मांसपेशियों सहित पूरे जोड़ को प्रभावित करता है। यह वृद्धों, अधिक वजन वाले लोगों और घुटने की चोट के इतिहास वाले लोगों में सबसे आम समस्या है।

घुटने के गठिया से पीड़ित कई लोगों को लगातार दर्द महसूस होता है और उन्हें रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे चलने और सीढ़ियां चढ़ने में कठिनाई होती है।

इसका उपचार कैसे किया जाता है?

वर्ष 2021-22 में 53,000 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने गठिया के लिए घुटने की ‘रिप्लेसमेंट सर्जरी’ करवाई। इसके उपचार पर 2020-21 में 3.7 अरब डॉलर खर्च किए गए थे।

यद्यपि गठिया के लिए इस तरह की सर्जरी को अक्सर अपरिहार्य माना जाता है, लेकिन इस पर केवल उन लोगों के लिए विचार किया जाना चाहिए जिनके लक्षण गंभीर हैं और जिन्होंने पहले से ही दवाओं से उपचार की कोशिश की है।

सर्जरी से रक्त का थक्का जमने या संक्रमण जैसी गंभीर प्रतिकूल घटनाओं का खतरा रहता है, तथा हर कोई पूरी तरह ठीक भी नहीं हो पाता।

केवल एक्स-रे के आधार पर सर्जरी से जुड़े फैसले लेने पर भी कई सवाल खड़े होते हैं। शोध से पता चलता है कि एक्स-रे पर जोड़ में दिखने वाले संरचनात्मक बदलावों की सीमा किसी व्यक्ति द्वारा महसूस किए जाने वाले दर्द या विकलांगता के स्तर को नहीं दर्शाती है, न ही इस बात का पता चलता है कि आने वाले दिनों में लक्षण कैसे बदलेंगे।

शोध में यह भी पाया गया कि जोड़ों में बेहद कम बदलाव वाले कुछ लोगों में बहुत बुरे लक्षण होते हैं, जबकि जोड़ों में अधिक परिवर्तन वाले अन्य लोगों में केवल हल्के लक्षण होते हैं।

यही कारण है कि घुटने के गठिया के उपचार संबंधी निर्णय लेने के लिए नियमित एक्स-रे की सिफारिश नहीं की जाती है।

इसके बजाय, उपचार संबंधी निर्देश व्यक्ति की आयु (45 वर्ष या उससे अधिक) और लक्षणों के आधार पर ‘‘नैदानिक ​​निदान’’ की सिफारिश करते हैं, जिसमें गतिविधि के साथ जोड़ों में दर्द महसूस होना और सुबह के समय जोड़ों में कोई अकड़न न होना या 30 मिनट से कम समय तक अकड़न रहना शामिल हैं।

(द कन्वरसेशन) शफीक मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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