जोहानिसबर्ग, 21 फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भू-राजनीतिक परिदृश्य की वर्तमान जटिलताओं को उजागर करते हुए कहा है कि विचारों में सामंजस्य स्थापित करने की जी-20 की क्षमता वैश्विक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
जयशंकर जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की दो दिवसीय यात्रा पर जोहानिसबर्ग में हैं।
‘वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति पर चर्चा’ शीर्षक वाले जी-20 सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि जी-20 विश्व में बहुध्रुवीय स्थिति की एक महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति है।
उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति हर तरह से कठिन बनी हुई है। कोविड वैश्विक महामारी, संघर्ष की स्थितियां, वित्तीय दबाव, खाद्य सुरक्षा और जलवायु संबंधी चिंताओं की चुनौतियां हैं।’’
जयशंकर ने कहा कि इसके अलावा, केंद्रित आपूर्ति श्रृंखलाओं, व्यापार एवं वित्त के शस्त्रीकरण और डेटा प्रवाह की पारदर्शिता को लेकर भी चिंताएं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कृत्रिम मेधा (एआई) और ‘इलेक्ट्रिक’ वाहनों, अंतरिक्ष, ड्रोन या हरित हाइड्रोजन पर अलग-अलग प्रगति के स्पष्ट भू-राजनीतिक निहितार्थ हैं।’’
उन्होंने कहा कि जी-20 ‘‘हमारे हितों, संस्कृतियों और दृष्टिकोण की विविधता’’ को दर्शाता है।
मंत्री ने कहा, ‘‘इसी कारण से, विचारों में सामंजस्य स्थापित करने की इसकी क्षमता वैश्विक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों के ‘‘ध्रुवीकरण’’ ने स्पष्ट रूप से तनाव और विकृत प्राथमिकताएं पैदा की हैं।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हम जो कर सकते थे, वह यह था कि इस संस्था की सुरक्षा के लिए किसी तरह पर्याप्त साझा आधार खोजें। आज, इससे आगे जाने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने पश्चिम एशिया, समुद्री सुरक्षा, यूक्रेन संघर्ष, हिंद-प्रशांत और संयुक्त राष्ट्र सुधारों को लेकर भी भारत के रुख का जिक्र किया।
जयशंकर ने कहा कि भारत गाजा युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई का स्वागत करता है, मानवीय सहायता का समर्थन करता है, आतंकवाद की निंदा करता है और द्विराष्ट्र समाधान की वकालत करता है।
उन्होंने कहा कि लेबनान में युद्ध विराम को बनाए रखना और सीरिया के नेतृत्व में, सीरिया के स्वामित्व वाले समावेशी समाधान को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में और इसके आसपास समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘भारतीय नौसेना बलों ने अरब सागर और अदन की खाड़ी में इसमें योगदान दिया है। सामान्य समुद्री व्यापार को बहाल करना प्राथमिकता बनी हुई है।’’
उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय कानून – विशेष रूप से समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन 1982 – का सम्मान किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘जो समझौते किए गए हैं, उनका पालन किया जाना चाहिए और बलपूर्वक कार्रवाई के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।’’
जयशंकर ने यूक्रेन संघर्ष पर कहा कि भारत ने बातचीत और कूटनीति की लंबे समय से वकालत की है।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया अपेक्षा करती है कि संबंधित पक्ष युद्ध को समाप्त करने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करेंगे।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर कहा, ‘‘जी-20 के सदस्यों के रूप में हमें यह भी पहचानना होगा कि बहुपक्षवाद खुद भी बहुत क्षतिग्रस्त है। संयुक्त राष्ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद में कार्यवाही अक्सर अवरुद्ध हो जाती है। इसे फिर से काम पर लाना ही पर्याप्त नहीं है; इसके काम करने के तरीके और प्रतिनिधित्व को बदलना होगा।’’
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक घाटे को कम करने के लिए अधिक बहुपक्षवाद की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग को कम अस्पष्ट या कम एकतरफा होना चाहिए। वैश्विक एजेंडे को कुछ लोगों के हितों तक सीमित नहीं किया जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि भू-राजनीति, राष्ट्रीय हित की तरह ही एक वास्तविकता है।
मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन कूटनीति और जी-20 जैसे समूह का उद्देश्य साझा आधार खोजना और सहयोग के लिए आधार तैयार करना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करके, संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करके और संस्थाओं को संरक्षित करके ऐसा कर सकते हैं। मतभेदों को विवाद नहीं बनना चाहिए, विवादों को संघर्ष नहीं बनना चाहिए और संघर्षों को बड़े विघटन का कारण नहीं बनना चाहिए।’’
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच के रूप में जी-20 वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जी-20 के सदस्य हैं: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका, अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ।
भाषा सिम्मी मनीषा
मनीषा
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