नई दिल्ली : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन प्रशासन ने जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) प्रमुख मसूद अज़हर पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है, जिसमें उसकी संपत्ति को जब्त कर लिया है.
शुक्रवार को जारी एक बयान में यूरोपीय देश ने कहा कि, पेरिस हमेशा आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में नई दिल्ली के साथ खड़ा है.
मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के एक प्रस्ताव पर चीन के द्वारा तकनीकी तौर पर रोक लगाने के बाद यह फैसला आया है. संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत उसकी यात्रा को प्रतिबंधित करेगा और संपत्ति को जब्त करेगा साथ ही हथियारों को प्रतिबंध करेगा.
फ्रांस द्वारा पहली बार यह प्रस्ताव 27 फरवरी को लाया गया था. 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद, जिसमें 40 सीआरपीएफ कर्मी मारे गए थे. जिसके बाद ही अमेरिका और ब्रिटेन ने भी इसको फॉलो किया. पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने 2001 में आतंकवादी संगठन घोषित किया था, ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी.
यूरोप और विदेशी मामलों, आर्थिक और वित्त विभाग के फ्रांसीसी मंत्रालय ने अपने बयान में कहा ‘फ्रांस हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के पक्ष में रहा है’.
उन्होंने यह भी कहा, ‘फ्रांस ने मसूद अज़हर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित करने का फैसला किया है. आंतरिक, आर्थिक और वित्त मंत्रालय के एक संयुक्त फरमान को आज आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया गया.
बयान के अनुसार फ्रांस आतंकी मास्टरमाइंड पर लगातार व्यापक कार्रवाई के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत शुरू करना चाहता है.
फ्रांस ने ये भी कहा है कि हम ये मामला अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ उठाएंगे ताकि यूरोपीय संघ की उस सूची में मसूद अज़हर को शामिल किया जा सके, जिसमें उन लोगों, संगठनों आदि को शामिल किया जाता है ,जोकि आतंकी घटनाओं में शामिल है.
विकल्प की तलाश
पाकिस्तान के सहयोगी चीन ने चौथी बार मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी)1267 आईएसआईएल और अल-कायदा प्रतिबंध समिति की सूची में आने से रोक दिया है. पहले भी चीन ने ऐसा ही किया था.
इसी क्रम में शुक्रवार को ट्वीट्स की एक श्रृंखला में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति द्वारा अजहर को सूचीबद्ध करने के लिए भारत के अभियान में साथ दिया है.
उन्होंने लिखा कि ‘प्रस्ताव को चार बार विचार के लिए रखा गया. 2009 में कांग्रेस की सरकार अकेली प्रस्तावक थी
2016 में भारत का प्रस्ताव यूएसए, फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था.
उन्होंने यह भी कहा कि 2017 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने प्रस्ताव पारित किया गया था. 2019 में प्रस्ताव को संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा स्थानांतरित किया गया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के 15 सदस्यों में से 14 के द्वारा समर्थन किया गया था. ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इटली और जापान द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था, जोकि सुरक्षा परिषद के गैर-सदस्य है.
Thus, we have secured an unprecedented support from the international community for listing of Masood Azhar under the UN Sanctions Committee. /6
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) March 15, 2019
संयुक्त राष्ट्र के द्वारा मसूद अज़हर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को चीन के द्वारा रोकने पर अमेरिका ने एक बार फिर किसी दूसरे तरीके से आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है. अमेरिका आतंकवाद से लड़ने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के अपने घोषित लक्ष्यों से भटकने के लिए चीन को फटकार लगा रहा है.
बुधवार को चीन का नाम लिए बिना ही भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) समिति के द्वारा किसी भी निर्णय पर न आने की विफलता पर निराशा व्यक्त की.
एक दिन बाद विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने ट्वीट किया कि चीन आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए सही उदाहरण स्थापित नहीं कर रहा है.
हालांकि, चीन ने अपने रूख का बचाव करते हुए कहा कि वह इस मामले पर ज्यादा समय इसलिए ले रहा ताकि सभी को ‘स्थायी समाधान’ मिल सके.
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