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Monday, 23 December, 2024
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पाकिस्तानी मंत्री के ‘नाज़ी’ वाले ट्वीट पर फ्रांस ने जताया विरोध तो शिरीन मज़ारी ने इसे तुरंत डिलीट किया

पाकिस्तानी मानवाधिकार मंत्री शिरीन मज़ारी एक स्टोरी का लिंक शेयर करते हुए लिखा, 'मैक्रों वैसा ही मुसलमानों के साथ व्यवहार कर रहे हैं जैसा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाजियों ने यहूदियों के साथ किया था.'

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नई दिल्ली: फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान सरकार से उस ट्वीट को वापस लेने के लिए कहा जिसमें उनकी वरिष्ठ मंत्री द्वारा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों पर आरोप लगाया है कि फ्रांस में मुसलमानों के साथ वैसा ही व्यवहार किया जा रहा है जैसा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों ने यहूदियों के साथ किया था.

हालांकि रविवार को मज़ारी ने अपना ट्वीट ‘डिलीट’ कर दिया और लिखा, ‘फ्रांस के राजदूत ने मुझे आर्टिकल से रिलेटेड ये संदेश भेजा..मैंने पाया कि उस लेख में भी इसे सही कर लिया गया है जिसके बाद मैंने ट्वीट को डिलीट कर दिया है.’

शनिवार को पाकिस्तान की ह्यूमन राइट्स मंत्री शिरीन मज़ारी द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गई यह टिप्पणी एक फ्रांसीसी पत्रिका में पैगंबर मोहम्मद का अपमान किए जाने वाले कार्टून के प्रकाशन और उसके बाद फ्रांस में हुई वारदातों को लेकर किया जिसके बाद पाकिस्तान और फ्रांस आमने सामने हैं.

पैगंबर पर बनाया गया चित्र मुस्लिम समुदायों में गुस्सा भर गया और दुनिया भर में इसे लेकर प्रदर्शन हुए खासकर पाकिस्तान में इसका जमकर विरोध हुआ.

शनिवार को मज़ारी एक स्टोरी का लिंक शेयर करते हुए लिखा था, ‘मैक्रों वैसा ही मुसलमानों के साथ व्यवहार कर रहे हैं जैसा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाजियों ने यहूदियों के साथ किया था.’

‘मुस्लिम बच्चों को पहचान नंबर (ID) दिए जाएंगे (दूसरे बच्चों को नहीं) जैसे यहूदियों को पहचान के लिए पीला सितारा पहनने के लिए मजबूर किया जाता था.’

हालांकि इस ट्वीट का खंडन पाकिस्तान स्थित फ्रांस दूतावास ने तुरंत ही कर दिया था और इसे ‘फेक न्यूज’ और ‘झूठा आरोप’ बताया था.

 

लेकिन आज फ्रांस ने इस पूरे आरोप को नफरत से परीपूर्ण और सरासर झूठा बताया है.

विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता एगनेस वॉन दर मुहल ने कहा, ये शब्द घृणा से परिपूर्ण, नफरत फैलाने वाले और सरासर झूठे हैं, हिंसा की विचारधारा से जुड़े हैं. ‘

विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘हम सिरे से इसका विरोध करते हैं और ऐसी बातें इस स्तर पर किसी भी तौर पर स्वीकार्य नहीं है.’

‘पाकिस्तान को इन टिप्पणियों को सुधारना चाहिए और सम्मान के आधार पर बातचीत को शुरू करना चाहिए. ‘
फ्रांस मंत्रालय के विरोध के बाद मजारी ने अपने आरोपों को और पुरजोर तरीके से रखा और कहा,’ फ्रांस में नन्स को सार्वजनिक स्थानों पर क्यों उनकी ‘हैबिट’ (विशेष तरह की पोशाक) पहनने की आजादी है लेकिन मुस्लिम महिलाओं को हिजाब नहीं पहन सकतीं? भेदभाव है (क्या ऐसा नहीं है) ? ‘

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों बीते काफी दिनों से मुस्लिम देशों के निशाने पर चल रहे हैं. मैक्रां फ्रांस में ‘इस्लामिक अलगाववाद’ को संकट बताते रहे हैं और इसके लिए कानून लाने की तैयारी भी फ्रांस में चल रही हैं.

हालांकि, मैक्रां ने फ्रेंच काउंसिल ऑफ द मुस्लिम फेथ को जो ‘चार्टर ऑफ रिपब्लिकन वैल्यूज’ 15 दिन के अंदर स्वीकार करने के लिए कहा है, उसे लेकर पाकिस्तान की इमरान सरकार की मंत्री ने फर्जी न्यूज शेयर कर दी और आग में घी डालने का काम किया है.

बता दें कि इस चार्टर में होम-स्कूलिंग पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. हर बच्चे को एक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाएगा जिससे यह निश्चित किया जा सके कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं. नियमों का उल्लंघन करने वाले पैरंट्स को 6 महीने तक की जेल या जुर्माना भरना पड़ सकता है. पाकिस्तान की सरकार में मंत्री शिरीन मजारी ने जो खबर शेयर की थी उसके मुताबिक सिर्फ मुस्लिम परिवारों पर ये नियम लागू हुए हैं, ऐसा बताया गया है.


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