न्यूयॉर्क, 16 अप्रैल (भाषा) मिशिगन के सरकारी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले एक भारतीय समेत चार छात्रों ने अपने छात्र आव्रजन दर्जे को ‘अवैध’ रूप से समाप्त किए जाने के बाद अमेरिका से संभावित निर्वासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
भारत के चिन्मय देवरे, चीन के जियांगयुन बु और कियुई यांग और नेपाल के योगेश जोशी ने शुक्रवार को ‘डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी’ (डीएचएस) और आव्रजन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया।
चारों छात्रों ने मुकदमा दायर करके आरोप लगाया है कि ‘छात्र एवं विनिमय आगंतुक सूचना प्रणाली’ (एसईवीआईएस) में उनके छात्र आव्रजन दर्जे को ‘पर्याप्त नोटिस और स्पष्टीकरण के बिना’ अवैध रूप से समाप्त कर दिया गया।
एसईवीआईएस एक ऐसा आंकड़ा है जो अमेरिका में गैर-प्रवासी छात्रों और शैक्षणिक विनिमय के तहत आने वाले छात्रों (विनिमय आगंतुक) के बारे में जानकारी एकत्र करता है।
छात्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे मिशिगन के ‘अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन’ (एसीएलयू) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने उन छात्रों की ओर से एक संघीय मुकदमा दायर करके एक आपतकालीन निषेधाज्ञा जारी करने का अनुरोध किया है, जिनकी एफ-1 छात्र आव्रजन स्थिति को ट्रंप प्रशासन द्वारा बिना किसी वैध कारण और बिना किसी नोटिस के अवैध रूप से और अचानक समाप्त कर दिया गया था।
एसीएलयू ने कहा कि मुकदमे में अदालत से इन छात्रों की स्थिति को बहाल करने के लिए कहा गया है ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें और हिरासत और निर्वासन के जोखिम का सामना करने से बच सकें।
अदालत में की गई शिकायत में कहा गया है, “उनमें से किसी पर भी अमेरिका में किसी भी अपराध का आरोप नहीं लगाया गया है, न ही उन्हें दोषी ठहराया गया है। किसी ने भी किसी आव्रजन कानून का उल्लंघन नहीं किया है। न ही वे किसी राजनीतिक मुद्दे को लेकर परिसर में विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रहे हैं।”
इस शिकायत में डीएचएस सचिव क्रिस्टी नोएम, कार्यकारी आईसीई निदेशक टॉड लियोन्स और आईसीई डेट्रॉयट फील्ड ऑफिस निदेशक रॉबर्ट लिंच का नाम शामिल है।
इसी प्रकार के मुकदमे न्यू हैम्पशायर, इंडियाना और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों समेत देशभर में दायर किये गए हैं।
भाषा संतोष प्रशांत
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