(अपर्णा बोस)
धुलीखेल (नेपाल), 20 दिसंबर (भाषा) जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के वैश्विक सहयोग निदेशक हरजीत सिंह ने कहा है कि यह पहल भारत के पक्ष में है और भारत को इसका समर्थन करना चाहिए।
सिंह ने यह बात बृहस्पतिवार को नेपाल में जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल की पहली एशिया बैठक के दौरान कही।
जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि कोयला, तेल और गैस दोहन के विस्तार को रोकने और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की ओर रुख करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी तंत्र बनाने की एक पहल है। अब तक पाकिस्तान और बहामास सहित चार महाद्वीपों के 16 देशों ने इस पहल का समर्थन किया है।
इस कार्यक्रम में बांग्लादेश, कंबोडिया, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपीन, श्रीलंका और थाईलैंड सहित 11 एशियाई देशों ने भाग लिया।
सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि की कार्ययोजना भारत के पक्ष वाली होगी क्योंकि समूह और भारत सरकार की चिंताएं समान हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘ यह संधि भारत के पक्ष वाली होगी क्योंकि हम भी वही मांग कर रहे हैं जो भारत सरकार की है और यह मांग है कि अमीर देशों को जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को तेजी से कम करना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ कोलकाता ने पहले ही इस संधि पहल का समर्थन किया है। हम सिक्किम और इंदौर जैसे शहरों में भी पहुंच रहे हैं। इन शहरों ने पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को समझा है।’’
धुलीखेल नगर पालिका के महापौर अशोक कुमार बयांजू ने कहा कि जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल जैसी कार्य योजनाओं को लागू करने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण है। धुलीखेल सात अक्टूबर 2021 को इसका समर्थन करने वाला दक्षिण एशिया का पहला शहर बना।
भाषा शोभना मनीषा
मनीषा
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