काठमांडू: इस महीने की शुरुआत में नेपाल में युवा-नेतृत्व वाले प्रदर्शनों के कारण पद से हटाए गए देश के पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने अपने पहले सार्वजनिक बयान में 2015 में दक्षिणी सीमा पर लगे अवरोध का इशारा करते हुए भारत पर कटाक्ष किया और चीन के साथ समझौतों का ज़िक्र भी किया.
शुक्रवार को नेपाल के संविधान दिवस पर फेसबुक पर जारी बयान में ओली ने नेपाल में संविधान बनाने के ऐतिहासिक संघर्ष को याद किया और इसे “नेपाली लोगों द्वारा अपने लिए लिखी गई भविष्य की रेखा” बताया.
ओली ने 2015 के ब्लॉकैड का ज़िक्र करते हुए, जिसे नए संविधान की घोषणा के बाद भारत पर दोषारोपित किया गया था, नेपाली में लिखा, “संविधान अवरोध और देश की संप्रभुता से जुड़े चुनौतियों को पार कर जारी किया गया.”
सितंबर 2015 से फरवरी 2016 तक, नेपाल ने अपनी दक्षिणी सीमा पर गंभीर ब्लॉकैड का सामना किया, जिसमें ईंधन, दवा और अन्य ज़रूरी सामान ले जा रही ट्रकों को देश में प्रवेश करने से रोका गया. अवरोध का नेतृत्व उन अल्पसंख्यक समूहों ने किया जो कहते थे कि उन्हें नए संविधान में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. इससे आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हुई. तब के पीएम ओली ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, संयुक्त राष्ट्र समेत उठाया था.
भारत ने उस समय नेपाल को सप्लाई रोकने से इनकार किया, कहा कि रोक नेपाल की ओर से नेपाली जनता द्वारा की गई थी.
हालांकि, ओली ने अपने पोस्ट में सीधे भारत का नाम नहीं लिया, उनके बयान साफ तौर पर उस ओर इशारा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यह अवरोध नेपाल की विदेश नीति और बुनियादी ढांचे की रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.
उन्होंने लिखा, “संविधान जारी होने के बाद, उत्तर और दक्षिण को जोड़ने वाले परिवहन ढांचे बनाए गए ताकि कोई नेपाल को ब्लॉक न कर सके.”
ओली ने अपने बयान में चीन के साथ अपने कार्यकाल के दौरान किए गए महत्वपूर्ण कदमों का भी ज़िक्र किया. “हमने उत्तर पड़ोसी देश के साथ एक परिवहन समझौता भी किया था.” वे 2016 के ट्रांजिट और ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट का उल्लेख कर रहे थे.
उन्होंने लिखा, “हमने अपनी संप्रभुता की क्षमता बढ़ाई. हमने विकास संरचनाओं की नींव रखी. अर्थव्यवस्था कांप रही थी.”
ओली ने इन कदमों को एक व्यापक प्रयास के रूप में पेश किया, ताकि एक ही पड़ोसी पर निर्भरता कम हो और बाहरी दबाव से नेपाल की स्वतंत्रता कमज़ोर न हो.
उनका बयान तब आया है जब देश में युवा कार्यकर्ताओं के नेतृत्व वाले प्रदर्शनों के बाद हिंसा बढ़ गई थी. प्रदर्शन के दौरान, ओली सेना के ठिकाने पर थे. नौ दिन की सुरक्षा के बाद वह गुरुवार को एक निजी स्थान पर चले गए.
अपने पोस्ट में उन्होंने जनता के विरोध करने के अधिकार को मान्यता दी, लेकिन “साजिशकर्ताओं” द्वारा जानबूझकर घुसपैठ की निंदा की.
उन्होंने कहा, “GenZ के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान घुसपैठ हुई…घुसपैठ करने वाले साजिशकर्ताओं ने हिंसा भड़का दी, हमारे युवा मारे गए.”
उन्होंने आगे लिखा, “सरकार ने प्रदर्शनकारियों को गोली मारने का आदेश नहीं दिया था, जो घटना हुई, उसमें पुलिस के पास न होने वाले ऑटोमैटिक हथियारों से गोलीबारी हुई, इसकी जांच होनी चाहिए.”
ओली ने बेनाम ताकतों पर देश के मुख्य प्रतीकों और संस्थानों पर हमला कर उसे अस्थिर करने का आरोप लगाया. उन्होंने अपने इस्तीफे के बाद राष्ट्रीय स्थलों और प्रतीकों के जलने को गहरे साजिश का प्रमाण बताया.
उन्होंने कहा, “मेरे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद सिंहदरबार जलाया गया, नेपाल का नक्शा जलाया गया, देश के प्रतीक मिटाने की कोशिश हुई. जनप्रतिनिधि संगठन, अदालतें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और राजनीतिक दलों के कार्यालय, उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं के घर, निजी संपत्ति राख हो गई.”
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनों में कही गई कई बातें “झूठे नैरेटिल” थे.
ओली ने कहा,“मैं आज इन घटनाओं के पीछे की साजिश के बारे में ज्यादा नहीं बोलूंगा. वक्त आने पर कई बातें खुद ब खुद सामने आएंगी, लेकिन हमें यह पूछना चाहिए: क्या हमारा देश बनाया जा रहा था या तोड़ा जा रहा था? क्या यह सिर्फ झूठी और भ्रामक कहानी के कारण बढ़ा हुआ गुस्सा था?”
उन्होंने कहा, “हमारी नई पीढ़ी खुद सच्चाई को समझेगी और समय उन लोगों को याद दिलाएगा जो युवाओं के देश छोड़ने पर नकारात्मक नज़र रखते थे कि उनकी राय गलत थी. आखिरकार, नई पीढ़ी सब कुछ वास्तविक रूप में देखेगी.”
ओली ने पीढ़ियों के बीच राष्ट्रीय एकता की अपील की और जनता से राजनीतिक विभाजन से ऊपर उठकर संविधान की रक्षा करने को कहा.
उन्होंने लिखा, “हम, सभी नेपाली पीढ़ियों को एकजुट होना होगा, संप्रभुता पर हमला झेलने और अपने संविधान की रक्षा करने के लिए. यदि संप्रभुता हमारा अस्तित्व है, तो संविधान हमारी स्वतंत्रता की ढाल है.”
अपने संबोधन का समापन करते हुए, ओली ने चेतावनी दी कि अगर नेपाली लोग वर्तमान समय की गंभीरता को नहीं समझते हैं, तो देश एक चेतावनी की कहानी बन सकता है. उन्होंने कहा, “वक्त बीतने से पहले इसे समझना ज़रूरी है. अगर नहीं, तो हमारे देश की संप्रभुता केवल इतिहास में रहेगी.”
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