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Saturday, 29 March, 2025
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पाकिस्तानियों के लिए ‘दुनिया का सबसे बड़ा मुकाबला’ खत्म हो गया है, अब यह ‘सालाना बेइज़्ज़ती’ जैसा है

कई लोगों कहते हैं कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट का सार यह नहीं है कि कौन जीतता है या हारता है. यह कभी न भूल पाने वाले पलों, जोशीली बहसों और उन कहानियों के बारे में है जो हम पीढ़ियों से आगे बढ़ाते आ रहे हैं.

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नई दिल्ली: आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तानियों ने पहले ही हार स्वीकार कर ली है. वह चाहते हैं कि यह खेल खत्म हो जाए. ‘दुनिया का सबसे बड़ा मुकाबला’ टैगलाइन अब उबाऊ होने लगी है. चिर प्रतिद्वंद्वी भारत के खिलाफ निराशाजनक हार के बाद निराश पाकिस्तानी फैन्स कह रहे हैं कि यह अब यह “सालाना बेइज़्ज़ती” जैसा है.

कुछ लोगों के लिए इस बार-बार की हार ने प्रतिद्वंद्विता को एक भयंकर मुकाबले के बजाय एक खोखली परंपरा जैसा बना दिया है.

एक्स पर एक यूज़र ने लिखा, “मैं भारत बनाम पाकिस्तान के इर्द-गिर्द होने वाली हाइप को समझ नहीं पा रहा हूं, चलिए हमारी तरफ से तो ठीक है मुकाबला, ये वो…लेकिन भारत को क्या मज़ा आ रहा है यार…ऐसी बकवास टीम को मारे जा रहे हैं इतने सालों से मतलब बोरिंग हो गया है, हर बार एक ही नतीजा.”

और फिर भी, पाकिस्तान के भीतर हार और निराशा की भावना स्पष्ट है.

एक्स पर एक और यूज़र ने कहा, “जब मैं मर जाऊंगा, तो मैं चाहता हूं कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम मेरे अंतिम संस्कार में शामिल हो और मेरा ताबूत उठाए, ताकि वह मुझे आखिरी बार निराश कर सकें.”

विश्लेषक और सांख्यिकीविद भी दुखी हैं.

क्रिकेट सांख्यिकीविद मज़हर अरशद ने लिखा, “विश्व स्तर पर पाकिस्तान के खराब प्रदर्शन के पीछे सबसे बड़ा कारण वर्चस्व की झूठी भावना है. आजकल ज़्यादातर टीमें प्रयोगात्मक आधार पर द्विपक्षीय क्रिकेट खेलती हैं. पाकिस्तान उन खेलों को जीतकर यह मानता है कि उन्हें किसी सुधार की दरकार नहीं है.”

पूर्व क्रिकेटर शोएब मलिक के पास शब्द नहीं थे. उन्होंने गाना चुना: “दिल के अरमान आँसुओं में बह गए”.

बाबर आज़म और पाकिस्तान क्रिकेट की स्थिति

शुरू में, बाबर आज़म के प्रदर्शन से नाराज़ फैन्स शांत नहीं हो पाए, लेकिन पाकिस्तान के क्रिकेट ढांचे के भीतर की आंतरिक गतिशीलता भी ध्यान में आ गई है. कुछ ने तो पाकिस्तान सेना को भी दोषी ठहराया.

क्रिकेट कमेंटेटर मुफद्दल वोहरा ने लिखा, “काकुल में एक हफ्ता बिताने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट टीम कभी भी उबर नहीं पाई.”

विल्सन सेंटर में पाकिस्तान फेलो हसन अकबर ने लिखा, “पाकिस्तान में क्रिकेट की स्थिति इस बात का प्रतिबिंब है कि इसकी शासी संस्था का प्रबंधन और संचालन कितनी लापरवाही से किया गया है. लगातार तीन ICC टूर्नामेंट में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद किसी वास्तविक बदलाव की बहुत कम उम्मीद है. शीर्ष पर और टीम के भीतर बहुत ज़्यादा अहंकार है.”

इन निराशाओं के बीच, फैन्स पूछ रहे हैं: भविष्य में यह प्रतिद्वंद्विता कैसे आगे बढ़ेगी? क्या यह अपनी तीव्रता को फिर से पा सकती है, या यह भूली-बिसरी बात बन गई है?

कई लोगों का मानना ​​है कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट का सार केवल यह नहीं है कि कौन जीतता है या हारता है. यह कभी न भूलने वाले पलों, भावुक बहसों और उन कहानियों के बारे में है जिन्हें हम पीढ़ियों से आगे बढ़ा रहे हैं.

एक भारतीय फैन कोरा अब्राहम ने लिखा, “एक प्रतिद्वंद्विता जो कभी पीढ़ियों को परिभाषित करती थी, अब ICC मुकाबलों पर टिकी हुई है. भारत-पाकिस्तान केवल यह नहीं है कि कौन जीतता है. यह उन कहानियों के बारे में है जिन्हें हम पीढ़ियों से सुना रहे हैं, लेकिन नई कहानियां कहां हैं? 16 साल से ज़्यादा वक्त बीत गया है, कोई भी भारतीय खिलाड़ी पाकिस्तान नहीं आया है. जेन-ज़ी फैन्स क्या याद रखेंगे? सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता खत्म हो रही है — कोई दौरा नहीं, कोई इतिहास नहीं लिखा जा रहा है. क्रिकेट को अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता को पूरी ताकत से वापस लाने की ज़रूरत है.”

पाकिस्तानी सहमत हैं. एक्स यूज़र हारून ने लिखा, “मुझे यकीन है कि पाकिस्तान बनाम भारत अब प्रतिद्वंद्विता नहीं है, असल में आईसीसी हर साल मैच का आयोजन सिर्फ हमें दिल टूटने का नया बहाना और ज़ख्म देने के लिए करता है, जिससे हम कभी उबर नहीं पाते हैं.”

लाहौर में कोहली के फैन्स

लेकिन मैच में कुछ पल ऐसे भी थे — भले ही वह ज़्यादातर फैन्स के लिए बहुत मायने नहीं रखते हों. भाईचारा और उत्साह किसी की नज़र से नहीं छूटा. विराट कोहली नसीम शाह को जूते का फीता बांधने में मदद करते हुए वायरल हो गए. लाहौर में कोहली के फैन्स द्वारा शतक के लिए चीयर करने का एक वीडियो भी वायरल हुआ. मज़हर अरशद ने लाहौर में कोहली के एक फैन की तस्वीर भी शेयर की.

इस बीच, पाकिस्तानी हास्य बरकरार रहा. इंटरनेट पर मीम्स की बाढ़ आ गई. कमेंट्री भी वायरल हो गई.

सबाह बानो मलिक ने मज़ाक में कहा, “पाकिस्तान की टीम हमेशा मेहंदी के समय की टीम की तरह प्रदर्शन करती है, जो एक रात पहले तक डांस प्रैक्टिस करना भूल गई थी.”

खेल पत्रकार फैज़ान लखानी ने कहा, “भारत को हर बार पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज़ आयोजित करनी चाहिए, जब भी उन्हें लगे कि कोहली अपने फॉर्म से जूझ रहे हैं या ज़्यादा रन नहीं बना रहे हैं. चिंता मत कीजिए – हम तय करेंगे कि विराट फिर से फॉर्म में आ जाएं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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