अबू दिस (वेस्ट बैंक): वेस्ट बैंक में विवादित परिस्थितियों के तहत इजराइली सेना के हमले में अपने बेटे के मारे जाने के एक साल बाद भी मुस्तफा इरेकत उसके शव का इंतजार कर रहे हैं. यह अकेले मुस्तफा की कहानी नहीं है बल्कि उनके जैसे दर्जनों लोग हैं जो अपने प्रियजनों को आखिरी बार देखने के लिए तरस रहे हैं.
इजराइल ने हमलों को रोकने और संभवत: इन शवों के बदले में दो इजराइली सैनिकों का शव हासिल करने का हवाला देते हुए फलस्तीनियों के शव देने से इनकार कर दिया है. इजराइल के दो सैनिकों के शव गाजा पट्टी में फलस्तीन के आतंकवादी समूह हमास के कब्जे में हैं.
फलस्तीन और मानवाधिकार समूह शवों को न देने को सामूहिक सजा के तौर पर देखते हैं जिससे शोक संतप्त परिवारों की पीड़ा बढ़ती है. इरेकत ने कहा, ‘उनके पास मेरे बेटे को रखने का कोई अधिकार नहीं है और मेरे बेटे के लिए यह मेरा अधिकार है कि सम्मानपूर्वक उसकी अंत्येष्टि की जाए.’
फलस्तीनी अधिकार समूह यरुशलम कानूनी सहायता एवं मानवाधिकार केंद्र का कहना है कि इजराइल ने 2015 में इस नीति के स्थापित होने के बाद से कम से कम 82 फलस्तीनियों के शव रोक रखे हैं. उसका कहना है कि कई शवों को गुप्त कब्रिस्तानों में दफन कर दिया गया. हमास ने 2014 के गाजा युद्ध के दौरान मारे गए दो इजराइली सैनिकों के शव एक अज्ञात स्थान पर रखे हुए हैं.
इजराइल के सुरक्षा मंत्रिमंडल ने पिछले साल अपनी नीति का विस्तार करते हुए इन कथित हमलों के दौरान मारे जाने वाले सभी फलस्तीनियों के शवों को रखने को मंजूरी दी थी न कि केवल हमास से संबंधित फलस्तीनियों के शवों को. इजराइल गाजा पर शासन करने वाले हमास को एक आतंकवादी समूह मानता है.
रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज ने कहा कि शवों को रोकने से हमले रुकेंगे और इससे इजराइल के बंधकों और शवों की वापसी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. रक्षा मंत्रालय ने इस नीति पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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