scorecardresearch
Sunday, 5 May, 2024
होमविदेशपाकिस्तान के पूर्व PM नवाज शरीफ 4 साल बाद लौटे वतन. क्यों छोड़ना पड़ा था देश और अब आगे क्या है रास्ता?

पाकिस्तान के पूर्व PM नवाज शरीफ 4 साल बाद लौटे वतन. क्यों छोड़ना पड़ा था देश और अब आगे क्या है रास्ता?

शरीफ को अपने जीवन में सैन्य तख्तापलट, भ्रष्टाचार का आरोप और जेल जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. वह दो बार निर्वासन में रह चुके हैं और अब चौथी बार देश का नेतृत्व करने की उम्मीद से वापस पाकिस्तान लौट हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ चार साल बाद शनिवार को देश लौट आए. नवाज लंदन में रह रहे थे. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री तीन बार सत्ता में रहे हैं और सैन्य तख्तापलट का भी सामना कर चुके हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सात साल की जेल की सजा से जमानत मिलने के बाद शरीफ 2019 में एयर-एम्बुलेंस से पाकिस्तान से लंदन के लिए रवाना हुए थे.

73 वर्षीय नेता अपनी विजयी वापसी का जश्न मनाने के लिए लाहौर के मीनार-ए-पाकिस्तान में एक बड़ी रैली करेंगे. PML-N कार्यकर्ता उनके समर्थन में जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं. साथ ही पार्टी के कई नेता मीनार-ए-पाकिस्तान में शरीफ की रैली के लिए काफिले के साथ लाहौर की ओर कूच कर रहे हैं.

जबकि शरीफ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में तीन कार्यकाल (1990-1993, 1997-1999 और 2013-2017) पूरे किए हैं, उन्हें अभी भी पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करना बाकी है. वह उस पाकिस्तान से बिल्कुल अलग पाकिस्तान में लौटे हैं जिसे उन्होंने छोड़ा था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

2022 के बाद से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बढ़ती मुद्रास्फीति और पाकिस्तानी रुपये के मूल्यह्रास से जूझ रही है. मई में मुद्रास्फीति 38 प्रतिशत की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई, जबकि UNDP के बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 के अनुसार लगभग दस में से चार पाकिस्तानी बहुआयामी रूप से गरीब हैं. इसे दिप्रिंट ने पहले भी रिपोर्ट किया था.

साथ ही शरीफ PML-N के लिए समर्थन दोबारा जुटाना चाहते हैं, उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी इमरान खान की कैद से अगले उन्हें तीन महीने में होने वाले आम चुनाव में फायदा मिल सकता है. अंतरिम प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर के नेतृत्व में एक कार्यवाहक सरकार अगस्त से पाकिस्तान चला रही है.

दुबई से इस्लामाबाद के लिए रवाना होने से पहले, शरीफ ने प्रेस को कहा था कि वह पाकिस्तान लौटकर “खुश” हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते थे कि यह बेहतर परिस्थितियों में होता. पाकिस्तानी दैनिक डॉन के अनुसार शरीफ ने दुबई में कहा, “जब मैं पाकिस्तान छोड़कर विदेश जा रहा था तो मुझे खुशी का कोई अहसास नहीं था लेकिन आज मैं बहुत खुश हूं.”

जब जुलाई 2017 में भ्रष्टाचार के आरोप में शरीफ को पद से हटा दिया गया था, तो स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017 के लिए मुख्य मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत थी, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) उस साल 4.6 प्रतिशत बढ़ी थी. 

बताया जा रहा है कि दुबई से इस्लामाबाद के लिए रवाना होने से पहले शरीफ ने कहा था, “यह देखकर बहुत दुख हो रहा है कि चीजें इतनी बुरी तरह बिगड़ गई हैं. जब मैं उस समय पाकिस्तान को याद करता हूं, तो हमने IMF को अलविदा कह दिया था. बिजली सस्ती थी, रुपया स्थिर था, रोजगार था, रोटी की कीमत 4 रुपये थी, गरीब परिवारों के बच्चे स्कूल जाते थे और दवाएं बहुत सस्ती थीं.”

PML-N प्रमुख के छोटे भाई शहबाज अप्रैल 2022 और अगस्त 2023 के बीच प्रधानमंत्री थे. हालांकि, इस दौरान नागरिकों को बड़ा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था.

दुबई में इस साल मई के दूसरे सप्ताह में PTI कार्यकर्ताओं द्वारा सेना पर हमला करने के बारे में मीडिया के एक सवाल पर शरीफ ने आगे कहा कि उन्होंने 9 मई का नहीं बल्कि 28 मई का प्रतिनिधित्व किया है. पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को चगाई परीक्षण स्थल पर परमाणु परीक्षण किया था जब शरीफ प्रधानमंत्री थे.

पाकिस्तान में चुनाव

सितंबर में पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने घोषणा की कि जनवरी के आखिरी सप्ताह में आम चुनाव होंगे. पहले चुनाव अक्टूबर में होने थे. लेकिन 9 अगस्त को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था, नेशनल असेंबली को उसका कार्यकाल समाप्त होने से तीन दिन पहले भंग कर दिया गया था, जिससे अगले आम चुनाव के लिए 90 दिनों की संवैधानिक उलटी गिनती शुरू हो गई थी. हालांकि, विघटन से ठीक पहले, शहबाज शरीफ सरकार ने नवीनतम जनगणना को अधिसूचित किया, जिसने ECP को अगले चुनाव से पहले परिसीमन अभ्यास करने का आदेश दिया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल भुट्टो-जरदारी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के इमरान खान ने तारीखों की तत्काल अधिसूचना की मांग की थी.

डॉन ने प्रस्थान से पहले पूर्व प्रधानमंत्री के हवाले से कहा, “ECP जो भी तारीख की घोषणा करेगा, हर कोई उसका पालन करेगा. मेरी प्राथमिकता वही है जो ECP कहे वह माना जाए. पाकिस्तान में आज एक निष्पक्ष ECP है और मुझे लगता है कि यह चुनाव के संबंध में सबसे अच्छा निर्णय लेगा.”


यह भी पढ़ें: 1.63M सब्सक्राइबर्स के साथ कौन हैं बांग्लादेशी यूट्यूबर सुमोन, जिन्होंने दुर्गा पूजा के इतिहास को सुलझाया


एक ऊबड़-खाबड़ वापसी

जहां शरीफ को कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के कारण वापसी पर तत्काल गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा, वहीं इस्लामाबाद उच्च न्यायालय और एक जवाबदेही अदालत ने उन्हें इस सप्ताह की शुरुआत में राहत दी. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कानूनी कार्यवाई के चलते उन्हें लाहौर जाने से पहले इस्लामाबाद में उतरना पड़ा.

जनता का मूड बहुत अनुकूल नहीं होने के कारण शरीफ का समय लगभग खत्म हो गया है. 28 सितंबर को प्रकाशित गैलप पाकिस्तान पोल के अनुसार, जून में 60 प्रतिशत पॉजिटिव रेटिंग के साथ इमरान खान अभी भी पाकिस्तान में सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं. सर्वेक्षण में शामिल राजनेताओं की सूची में शरीफ की रेटिंग केवल 36 प्रतिशत है, जो पांचवें स्थान पर है.

लगभग 59 प्रतिशत उत्तरदाताओं का द्वारा पॉजिटिव रेटिंग के साथ PTI सबसे लोकप्रिय पार्टी बनी हुई है. PML-N केवल 38 प्रतिशत पॉजिटिव रेटिंग के साथ चौथे स्थान पर है, जो अंतिम चुनाव से पहले शरीफ के लिए आगे के काम को उजागर करता है.

साथ ही शरीफ का राजनीतिक भविष्य अभी भी अधर में है क्योंकि उन्हें दो मामलों में अपनी सजा के खिलाफ अपील करनी है, जहां उन्हें दोषी ठहराया गया था. ये मामले हैं- एवेनफील्ड और अल-अजीजिया. PML-N प्रमुख ने अपनी अपीलों को पुनर्जीवित करने के लिए याचिका पर हस्ताक्षर किए, जिन्हें 2019 में पाकिस्तान से उनके जाने के बाद अदालतों ने खारिज कर दिया था.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: क्रिकेट के लिए हम जुनूनी या पक्षपाती सही, पर नाज़ी नहीं हैं; गुजरातियों की बदनामी नहीं करनी चाहिए


 

share & View comments