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Sunday, 17 November, 2024
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अफ्रीका में 65 हजार वर्ष पूर्व बनाए गए औजारों से मिलता है मनुष्य के सामाजिक होने का सबूत

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(एमी मोसिग वे, ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम)

सिडनी, 10 जून (द कन्वरसेशन) मानव धरती पर एकमात्र ऐसा जीव है जो दुनिया की किसी भी पर्यावरणीय स्थिति में रह सकता है चाहे वह हिमाच्छादित पर्वत हो, मरुस्थल या वर्षावन। एक व्यक्ति के तौर पर हम कमजोर हैं लेकिन समाज से जुड़ने के बाद हम धरती पर सबसे प्रभावशाली जीव हैं।

अफ्रीका के दक्षिणी हिस्से में पत्थर के बने औजारों से प्राप्त नए साक्ष्य दिखाते हैं कि यह सामाजिक बंधन, आज से 65 हजार वर्ष पूर्व रहने वाले हमारे पूर्वजों के बीच और अधिक मजबूत थे। यह वह दौर था जिसे “अफ्रीका से बाहर” पलायन की संज्ञा दी जाती है और इस दौरान मनुष्य इस महाद्वीप से निकलकर दुनियाभर में फैला।

पुरातत्वविदों का मानना है कि सामाजिक संपर्क का विकास और विभिन्न समूहों के बीच जानकारी साझा करने की क्षमता इस सफलता को प्राप्त करने में अहम थी। मगर गहरे अतीत में इन सामाजिक संपर्क का स्वरूप क्या था? इस प्रश्न के उत्तर के लिए पुरातत्वविदों ने उन औजारों और अन्य मानव निर्मित वस्तुओं का अध्ययन किया जो आज भी अस्तित्व में हैं।

हम यह मानकर चल रहे हैं कि जिन लोगों ने ये वस्तुएं बनाई होंगी वे सामाजिक रहे होंगे और उन्होंने अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई वस्तुएं बनाई होंगी। अफ्रीका के दक्षिणी भाग में पाया गया एक छोटा सामान्य औजार हमें इस विचार को परखने का एक अवसर देता है।

लगभग 65 हजार साल पहले ऐसे बहुउद्देशीय औजार बनाए गए थे जिन्हें पुरातत्वविद “बैक्ड आर्टिफैक्ट्स” कहते हैं। आप इसे पत्थर का बना “स्विस आर्मी” चाकू समझ सकते हैं जिससे हम कई प्रकार के काम कर सकते हैं जो हाथ से नहीं किया जा सकता। ऐसे चाकू अफ्रीका के लिए नए नहीं हैं।

विभिन्न प्रकार के ऐसे औजार दुनियाभर में पाए गए हैं। इनकी विविधता को देखकर हम समझ सकते हैं कि 65 हजार साल पहले सामाजिक संपर्क का अस्तित्व रहा होगा। अफ्रीका के दक्षिणी हिस्से में इस तरह के धारदार औजार कई प्रकार से बनाए जा सकते थे लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि 65 हजार वर्ष पूर्व हजारों किलोमीटर की दूरी पर भी समान दिखने वाले औजार बनाए जाते थे।

पहले यह माना जाता था कि लोग इन्हें पर्यावरण की चुनौतियों से निपटने के लिए ही बनाते होंगे लेकिन ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिनसे पता चलता है कि पत्थर के इन ब्लेड को भाले, चाकू, आरी और अन्य प्रकार के औजार तथा हथियार बनाने के लिए गोंद से चिपकाया जाता था। इनका इस्तेमाल पौधे, खाल और पंख निकालने के लिए किया जाता था।

(द कन्वरसेशन) यश नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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