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Sunday, 3 November, 2024
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हंगरी के इमिग्रेशन नियमों में ढील से भारतीय ट्रक चालकों को मिला एक नया बाजार, बेहतर भुगतान और ट्रैफिक भी कम

श्रम संकट से जूझ रहे बुडापेस्ट ने भारतीय ट्रक चालकों के लिए रास्ता खोल दिया है. समय के पाबंद, भरोसेमंद और गाड़ी चलाने में माहिर माने जाने वाले भारतीय ट्रक चालक हंगरी के जरिए पूरे यूरोप में ड्राइव कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: अपनी अर्थव्यवस्था में मजदूरों की कमी से निपटने के लिए हंगरी ने 2022 के मध्य से कामगारों के लिए बनाए गए अपने कठोर आव्रजन नियमों में चुपचाप ढील दे दी थी. इस कदम से सबसे ज्यादा फायदा भारत के ट्रक ड्राइवर को हो रहा है.

भारतीय चालक अब बेहतर वेतन के साथ कम ट्रैफिक के बीच यूरोप के निर्बाध और खूबसूरत नजारों वाले राजमार्गों – हंगरी से फ्रांस और नीदरलैंड तक – पर गाड़ी चला रहे हैं.

‘गाड़ी चलाने में माहिर, समय के पाबंद, भरोसेमंद, अपने ट्रकों को साफ रखने और इकोनॉमिकली ड्राइविंग करने वाले- ये वो कुछ शब्द हैं जिन्हें भारतीय चालकों की प्रशंसा करते हुए इस्तेमाल में लाया जा रहा है. ये ड्राइवर अब हंगरी के जरिए पूरे यूरोप में काम कर रहे हैं.

ले मोंडे की रिपोर्ट के मुताबिक इन ड्राइवरों का वेतन भारत में मिलने वाले वेतन से तीन गुना ज्यादा है.

हंगरी में ‘श्रमिकों की बेहद कमी’ का जिक्र करते हुए यूरोपीय आयोग ने सितंबर 2020 में कहा था कि ‘पिछले 20-30 सालों में हंगरी आने वाले लोगों की संख्या मॉडरेट रही है.’

Dailynewshungary.com की मार्च 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, हंगरी के ट्रांसपोर्ट सेक्टर में तकरीबन 8,000 और यूरोप में लगभग 5 लाख ट्रक चालकों के पद खाली पड़े हैं.

इस कमी को पूरा करने के लिए भारतीय ट्रक चालकों ने पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में हंगरी की ओर पलायन किया है.


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बेंगलुरु से यूरोप तक का सफर

बन्यई एंड पार्टनर्स कंसल्टिंग कंपनी भारतीय ट्रक ड्राइवरों को हंगरी और फिर यूरोप भेजने के लिए काम कर रही है. इसका मुख्यालय बुडापेस्ट में है.

बन्‍यई भारत में ड्राइवरों की भर्ती, हंगरी की विभिन्‍न कंपनियों में संपर्क कराने से लेकर उनके साथ जोड़ने तक की पूरी प्रक्रिया को कवर करता है. यह कामगारों के लिए चौबीसों घंटे हेल्पलाइन भी मुहैया कराता है और उन्हें बैंक खाते खोलने में भी मदद करता है.

कंपनी के मालिक टिबोर बन्यई ने ले मोंडे को बताया कि उन्होंने सबसे पहले वियतनाम, कजाकिस्तान और मंगोलिया के ड्राइवरों को सुविधा देना शुरू किया था. बाद में, उन्होंने भारतीय ड्राइवरों पर ध्यान दिया, क्योंकि वे ‘बेस्ट’ हैं.

ले मोंडे की रिपोर्ट के अनुसार, बन्यई कंसल्टिंग ने बेंगलुरु में एक भर्ती केंद्र स्थापित किया है जो भारत से ड्राइवरों को दूसरे देश में भेजने में हर संभव मदद दे रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक, बन्यई ने भारत से हंगरी में 500 भारतीय ट्रक ड्राइवरों को आवाजाही की सुविधा मुहैया कराई की है. यूरोप में इसके ग्राहकों में अपोलो टायर्स, बैटन ट्रांसपोर्ट और सुजुकी शामिल हैं.

हंगरी और यूरोप में भारतीय ट्रक ड्राइवरों को ड्राइविंग में शामिल करने वाले दिग्गज कंपनियों में डेनिश फर्म बैटन ट्रांसपोर्ट भी शामिल है. यह पहले ही 30 से ज्यादा भारतीय चालकों को बन्यई के जरिए हंगरी में अपनी सहायक कंपनी में ला चुका है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बैटन ट्रांसपोर्ट जल्द ही भारत से महिला ड्राइवरों को भी अपने साथ जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है. अगले कुछ महीनों में 25 और अगले पांच सालों में 800 से ज्यादा महिला ड्राइवरों को लाने की योजना है.

बन्यई कंसल्टिंग ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि भारतीय ट्रक ड्राइवरों को हंगरी लाना कंपनियों के लिए भी फायदेमंद रहा है.

हंगेरियन कानून के मुताबिक, किसी कर्मचारी का वर्क परमिट सिर्फ उस विशेष कंपनी के लिए मान्य होता है जो कर्मचारी को लाती है. इसलिए वे दूसरी नौकरी पर स्विच नहीं कर सकते हैं.

इसके अलावा बन्यई ‘24 महीने के लिए अपने भारतीय कर्मचारियों के लिए (नौकरी की) गारंटी देता है’. इसमें यह भी कहा गया है कि ‘अगर कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है, तो बन्यई कंपनी (ग्राहक) को मुआवजा देगा’.

भारतीय ट्रक ड्राइवर, खासतौर पर पंजाब के ड्राइवर यूरोप से परे भी उत्तर अमेरिकी ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री में अपने लिए एक खास और विश्वसनीय जगह बना रहे हैं. लॉस एंजिल्स टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि वे रोड ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री का आधार बन गए हैं, खासकर कैलिफ़ोर्निया जैसे शहर में.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य / संपादन: आशा शाह )


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