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Friday, 22 November, 2024
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भारत में EU प्रतिनिधि का बयान, रूस-यूक्रेन युद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए खतरनाक नजीर पेश कर रहा

यूरोपीय संघ के राजदूत ने कहा कि 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र का भविष्य अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान पर आधारित होना चाहिए' और इसलिए यूक्रेन संकट को केवल एक यूरोपीय मुद्दे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

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नई दिल्ली: भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत यूगो एस्टुटो के अनुसार, रूस-यूक्रेन संकट अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन और एक शांतिपूर्ण पड़ोसी के प्रति आक्रामक रवैये के मामले में हिंद-प्रशांत देशों के लिए भी एक ‘जोखिम भरा. उदाहरण स्थापित करेगा.

दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में, यूरोपीय संघ के राजदूत ने कहा कि ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र का भविष्य अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान पर आधारित होना चाहिए’ और इसलिए इस संकट को केवल एक यूरोपीय मुद्दे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘हिंद-प्रशांत इसका प्रभाव एक अनियंत्रित आक्रामकता के रूप में पड़ेगा. यहां हमारे सामने अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन और शांतिपूर्ण पड़ोसी की आक्रामकता का सवाल सबसे बड़ा है जिसका जवाब हमारे पास नहीं है. यह पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए और भौगोलिक स्थिति की परवाह किए बिना पूरी दुनिया के लिए एक बहुत ही खतरनाक उदाहरण है.’

ईयू के प्रतिनिधि ने कहा, ‘हम जो देख रहे हैं हैं वह रूस की यूक्रेन पर एक अभूतपूर्व, अनुचित, अकारण आक्रामकता है. यह अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन है, यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है, कहने की जरूरत नहीं है लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में खुद मिन्स्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे. इसलिए जरूरत इस बात की है कि रूस बिना किसी शर्त के हिंसा बंद कर दे और वहां से वापस हो जाए.’

उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनी बाध्यताओं के साथ इन समझौतों को फाड़कर टुकड़े टुकड़े कर दिए हैं, क्योंकि यह नागरिकों पर गोलाबारी कर रहा है और सैकड़ों-हजारों लोगों, महिलाओं और बच्चों को सीमाओं की ओर भागने के लिए मजबूर कर रहा है.’

यह बयान रूस द्वारा एक युद्ध में यूक्रेन पर हमला करने के एक सप्ताह बाद आया है जो वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डाल रही है और इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था को अलग थलग कर दिया है.


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‘प्रतिबंध पहले से ही रूस को के लिए संकट’

यूरोपीय संघ के दूत ने कहा कि आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस के लिए युद्ध का खर्च उठाना मुश्किल हो जाएगा. यह युद्ध तभी रुक सकता है जब रूस ‘बिना शर्त के अपनी सेना को वापस बुला ले.’

उन्होंने कहा, ‘इस प्रतिबंध का उद्देश्य रूस के लिए इस ऑपरेशन की फंडिंग को मुश्किल बनाना और उसे राजनीति रूप से अलग-थलग करना है. और मुझे लगता है कि वे बहुत प्रभावी हैं. यह काफी महत्त्वपूर्ण प्रतिबंध हैं जो कि रूस को कई तरह से प्रभावित करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘हमने रूसी विमानों के लिए अमेरिकी हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है, रूसी बैंकों को स्विफ्ट प्रणाली से बाहर कर दिया है, रूसी अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों को टारगेट करने वाले प्रतिबंध हम लगा रहे हैं. हम रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने की संभावना को भी टारगेट कर रहे हैं, हम विमानों, स्पेयर पार्ट्स और उपकरणों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और हम रूस से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी तक पहुंच को भी सीमित कर रहे हैं.

एस्टुटो ने जोर देकर कहा, ‘यह काफी गंभीर पल हैं जिस पर यूरोपीय संघ, दुनिया भर के भागीदारों और सहयोगियों ने समान रूप से गंभीर प्रतिक्रियाएं दी हैं. मुझे लगता है कि प्रतिबंधों ने रूस के लिए पहले से ही संकट खड़े कर दिए हैं और जो दिख भी रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘यह पिछले कुछ दिनों से दिखाई भी दे रहा है और हम जमीनी हकीकत के आधार पर यदि जरूरी लगा तो और ज्यादा प्रतिबंध लगा देंगे.

चूंकि रूस यूरोप महाद्वीप में ऊर्जा और खनिज जरूरतों को पूरा करने वाला काफी बड़ा स्रोत है इसलिए जब यूरोपीय देशों पर प्रतिबंधों की वजह से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछा गया तो एस्टुटो ने कहा, ‘हम सभी परिणामों का सामना करने के लिए तैयार हैं. हम पिछले कुछ समय से अपने स्रोतों में विविधता ला रहे हैं. हम एलएनजी की आपूर्ति के लिए कई अन्य देशों से बात कर रहे हैं. हमारे पास रणनीतिक भंडार मौजूद हैं ताकि हम आकस्मिकताओं का सामना कर सकें.’

उनके अनुसार, यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं किसी भी संभावित प्रभाव का सामना करने के लिए तैयार हैं, ‘क्योंकि हम जानते हैं कि जो कुछ भी दांव पर लगा है वह सिर्फ यूक्रेन या यूरोप के लिए प्रासंगिक नहीं है बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय और उसके भविष्य के लिए भी प्रासंगिक है.’

उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या हम एक ऐसा भविष्य चाहते हैं जहां ‘जिसके पास ताकत है वही सही है’, जहां क्रूर सैन्य बल देशों और लोगों के भाग्य का फैसला करेंगे? या, क्या हम शासन की उन प्रणालियों का समर्थन और उन्हें बनाए रखना चाहेंगे जिन्होंने यूरोप को समृद्ध होने में मदद की है. मुझे लगता है कि सवाल स्पष्ट है और इसलिए जवाब भी स्पष्ट है.’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए हम वह सब करेंगे जो रूस पर प्रतिबंध लगाने, रूस को राजनीतिक रूप से अलग करने के संदर्भ में और इस आक्रामकता को रोकने के लिए जरूरी होगा.’

‘वार्ता और कूटनीति’ पर जोर देने वाले भारतीय रुख के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘भारतीय मित्रों के साथ हमारा नियमित और गहन वैचारिक आदान-प्रदान होता है. भारत एक समान विचारधारा वाला देश है, एक दोस्त और एक भागीदार है, इसलिए हम भारत के सामने अपने विचारों को प्रस्तुत कर रहे हैं और हम अपने दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान भी कर रहे हैं.


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यूक्रेन पहले से ही यूरोपीय परिवार का हिस्सा है

यूरोपीय संघ द्वारा यूक्रेन को तत्काल सदस्यता देने के मुद्दे पर, जिसे राष्ट्रपति वोलोडिमीर ज़ेलेन्स्की आगे बढ़ा रहे थे, एस्टुटो ने कहा कि यह एक आपातकालीन स्थिति है.

हम वित्तीय सहायता देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, कई सदस्य देशों ने भी हथियारों की आपूर्ति करने का फैसला किया है जो पहले नहीं हुआ है.’

उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन आज सभी यूरोपीय लोगों के दिल के करीब है, हमारा सहयोग आने वाले हफ्तों और महीनों में और गहरा होगा. यूक्रेन पहले से ही यूरोपीय परिवार का हिस्सा है. यूरोपीय संघ की सदस्यता उस बातचीत का हिस्सा होगी जिसके स्थिति सामान्य होने पर शुरू किए जाने की संभावना है.

रूसी अधिनियम ‘अकारण, अनुचित

एस्टुटो ने कहा कि 24 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा घोषित ‘विशेष सैन्य अभियान’ ‘एक शांतिपूर्ण पड़ोसी के खिलाफ की गई अकारण, अनुचित कार्रवाई’ है.

उन्होंने खरकीव में 21 वर्षीय भारतीय मेडिकल छात्र की हत्या का जिक्र करते हुए कहा, ‘मामले के तथ्य बहुत स्पष्ट हैं. रूस ने बिना किसी उकसावे के, एक शांतिपूर्ण पड़ोसी के खिलाफ अनुचित कदम उठाया है. शहरी क्षेत्रों में अंधाधुंध गोलाबारी हुई है जिसमें भारतीय छात्र सहित तमाम नागरिक हताहत हुए हैं.

एस्टुटो ने कहा, ‘सैकड़ों-हजारों नागरिक हिंसा की वजह से यूक्रेन की सीमा से लगे पड़ोसी यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की ओर भाग रहे हैं. यह जमीनी हकीकत है और मुझे लगता है कि इसे झुठलाना मुश्किल है.

उनके अनुसार, यूरोपीय संघ ने पुतिन द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने से पहले रूस से बात करने के लिए ‘ईमानदार प्रयास’ किया था. हम हमेशा बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन जो कुछ भी हुआ है उसके बाद राष्ट्रपति पुतिन पर भरोसा करना मुश्किल है. यूरोपीय संघ हमेशा राजनयिक समाधान के लिए तैयार है.’

इस युद्ध के भविष्य के बारे में, यूरोपीय संघ के दूत ने कहा: ‘यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि युद्ध कब समाप्त होगा… यह एक ऐसा युद्ध है जो एक ही देश के कारण और वास्तव में राष्ट्रपति पुतिन के फैसले के कारण हुआ है. जरूरत इस बात की है कि यूक्रेनी धरती से रूसी बलों की बिना शर्त वापसी हो और एक स्वतंत्र देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का किया जाए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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