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शनिवार, 21 जून, 2025
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‘एथनिसिटी पर जांच नस्लभेदी नहीं’—एशियन ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर ब्रिटेन की रिपोर्ट क्या कहती है

ब्रिटेन में लड़कियों को यौन शोषण के लिए 'ग्रूम' किए जाने के आरोप कई वर्षों से सामने आते रहे हैं. लुईस कैसी की रिपोर्ट कहती है कि अधिकारी अपराधियों की जातीयता दर्ज करने से “बचते रहे.”

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नई दिल्ली: कई सालों से, ग्रूमिंग गैंग्स घोटाला ब्रिटेन में सार्वजनिक और राजनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ है. और अब बैरोनेस लुईस कैसी की एक नई रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं—जिसने एक बार फिर ब्रिटिश-पाकिस्तानी समुदाय को सुर्खियों में ला दिया है और बच्चों व किशोर लड़कियों को बलात्कार, शोषण और गंभीर हिंसा से बचाने में संस्थागत नाकामी को उजागर किया है.

हाल के कई हाई-प्रोफाइल ग्रूमिंग मामलों में अपराधी पाकिस्तानी जातीय समुदाय से थे, लेकिन उनकी भागीदारी की व्यापकता को लेकर अक्सर बहस होती रही है. ताज़ा रिपोर्ट अब अधिकारियों को इस बात के लिए दोषी ठहराती है कि उन्होंने अपराधियों की जातीयता को दर्ज करने से “बचने” की कोशिश की—जबकि वे अक्सर पाकिस्तानी मूल या जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है, एशियाई विरासत वाले पुरुष थे.

ग्रूमिंग का मतलब है—अपराधी बच्चों को सेक्स के लिए बहकाते हैं, उन्हें गुमराह करते हैं और झूठी सहमति का भ्रम पैदा करते हैं. कई रिपोर्टों में पाया गया है कि ऐसे मामलों में पीड़ित अक्सर कमजोर पृष्ठभूमियों से होते हैं—वे बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे होते हैं, उन्हें शारीरिक या मानसिक विकलांगता होती है, और वे पहले से उपेक्षा या शोषण का शिकार रह चुके होते हैं.

ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रूमिंग गैंग मॉडल में एक आदमी किसी कमजोर किशोर बच्चे को यह विश्वास दिलाता है कि वह उसका ‘बॉयफ्रेंड’ है, और उसे प्यार और तोहफों से लाद देता है. फिर ड्रग्स, शराब, हिंसा और दबाव के ज़रिए इन बच्चों पर नियंत्रण किया जाता है, और फिर उन्हें दूसरे पुरुषों के पास यौन शोषण के लिए भेज दिया जाता है.

यह रिपोर्ट—‘नेशनल ऑडिट ऑन ग्रुप-बेस्ड चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉइटेशन एंड एब्यूज़’—16 जून को प्रकाशित हुई थी. इसे तैयार करने में लगभग चार महीने लगे, और यह पहली रिपोर्ट है जो राष्ट्रीय स्तर पर केवल ग्रूमिंग गैंग्स पर केंद्रित है.

रिपोर्ट के साथ लिंक्ड एक निजी टिप्पणी में बैरोनेस कैसी ने लिखा कि भले ही वह उन महिलाओं की हर बात की पुष्टि नहीं कर सकतीं, “लेकिन मैं उन पर विश्वास करती हूं, और एक बात बिल्कुल साफ है—समाज के तौर पर हमें इन महिलाओं का कर्ज़ चुकाना है.”

ब्रिटेन सरकार ने कैसी रिपोर्ट की सभी 12 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है, और प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने ग्रूमिंग गैंग्स और उन संस्थागत विफलताओं पर एक राष्ट्रीय जांच की घोषणा की है, जिनके चलते यह शोषण संभव हुआ.

अपराधियों की जातीयता से जुड़ी जानकारी के अभाव पर रिपोर्ट में कहा गया है, “रिव्यू, रिपोर्ट्स और जांचों के बावजूद, जिनमें यह सवाल उठाया गया कि एशियाई या पाकिस्तानी पृष्ठभूमि के पुरुष युवा श्वेत लड़कियों को ग्रूम कर यौन शोषण कर रहे थे, सिस्टम लगातार इसे स्वीकार करने या सटीक डेटा इकट्ठा करने में असफल रहा, ताकि इसकी सही जांच हो सके.”

“इसके बजाय, बार-बार दोषपूर्ण आंकड़ों का इस्तेमाल कर ‘एशियन ग्रूमिंग गैंग्स’ के दावों को सनसनीखेज, पक्षपाती या झूठा कहकर खारिज कर दिया गया.”

अब ब्रिटेन सरकार ने घोषणा की है कि पुलिस के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा कि हर बाल यौन शोषण और उत्पीड़न के मामले में, जिसमें ग्रुप-बेस्ड चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉइटेशन यानी आम बोलचाल में जिसे ग्रूमिंग गैंग्स कहा जाता है, अपराधियों की जातीयता और राष्ट्रीयता का डेटा इकट्ठा करें.

एक गंध

हालांकि यह आरोप कि युवतियों को पुरुषों के गिरोह द्वारा ग्रूम किया जा रहा है, कई वर्षों से ब्रिटेन में चर्चा में था, लेकिन वर्ष 2010 में डर्बीशायर और रॉदरहैम में कई पुरुषों को किशोर लड़कियों को योजनाबद्ध तरीके से ग्रूम करने और यौन शोषण करने के आरोप में दोषी ठहराया गया.

ये मामले खासतौर पर संवेदनशील थे क्योंकि कई मामलों में यह पाया गया कि आरोपी ब्रिटिश-पाकिस्तानी जातीयता के थे, और जैसा कि रिपोर्ट में अब कहा गया है, एशियाई जातीय पृष्ठभूमि से थे.

इसके बाद, जनवरी 2011 में द टाइम्स ऑफ लंदन ने एक श्रृंखला में जांच रिपोर्टें प्रकाशित कीं, जिसने ब्रिटिश जनता और राजनीतिक तंत्र को झकझोर दिया.

2014 में प्रोफेसर एलेक्सिस जे ने रॉदरहैम में 1997 से 2013 के बीच हुए बाल यौन शोषण की स्वतंत्र जांच की. यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आई और चेतावनी दी. रिपोर्ट में पाया गया कि 1997 से 2013 के बीच कम से कम 1,400 बच्चों का शोषण किया गया था, जिनमें से ज़्यादातर आरोपी पाकिस्तानी जातीयता के पुरुष थे.

इस रिपोर्ट में कहा गया कि भले ही पीड़ितों ने अधिकांश आरोपियों को ‘एशियन’ बताया, लेकिन काउंसलर ने पाकिस्तानी पृष्ठभूमि वाले समुदाय के साथ सीधे बातचीत नहीं की कि इस मुद्दे का समाधान कैसे मिलकर निकाला जा सकता है. इसमें यह भी जोड़ा गया कि कई स्टाफ सदस्यों ने बताया कि वे अपराधियों की जातीयता को पहचानने में संकोच करते थे क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उन्हें नस्लभेदी न समझ लिया जाए; जबकि कुछ कर्मचारियों ने याद किया कि उनके प्रबंधकों ने उन्हें ऐसा न करने का स्पष्ट निर्देश दिया था.

सालों में ऐसे कई और मामले और रिपोर्टें सामने आई हैं, जिन्होंने इंग्लैंड के अन्य हिस्सों में सक्रिय ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर चिंता जताई है.

मस्क का प्रभाव

हालांकि, कई लोग बैरोनेस कैसी की रिपोर्ट का श्रेय अमेरिकी अरबपति एलन मस्क को दे रहे हैं.

जनवरी की शुरुआत में, मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कुछ खास पोस्ट्स के ज़रिए ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग्स के मुद्दे को दोबारा चर्चा में ला दिया. इन पोस्ट्स में उन्होंने प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और लेबर सरकार के अन्य सदस्यों पर हमला बोला.

ऐसी ही एक पोस्ट में मस्क ने दावा किया कि स्टारमर सामूहिक बलात्कारों में वोटों के बदले गहराई से शामिल थे. एक अन्य पोस्ट में उन्होंने सेफगार्डिंग मंत्री जेस फिलिप्स को “बलात्कार नरसंहार का समर्थक” कहा, जब उन्हें ऐसी रिपोर्टें दिखीं जिनमें कहा गया था कि फिलिप्स ने ओल्डहैम में ग्रूमिंग आरोपों की सार्वजनिक जांच की मांग को खारिज कर दिया था. फिलिप्स ने इसके बजाय यह कहा था कि नई जांच शुरू करने का निर्णय स्थानीय परिषदों पर छोड़ देना चाहिए.

From the National Audit on Group-Based Child Sexual Exploitation and Abuse
समूह-आधारित बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार पर नेशनल ऑडिट

इसी बीच, प्रधानमंत्री स्टारमर राष्ट्रीय स्तर पर ग्रूमिंग गैंग्स की जांच शुरू करने की मांगों का विरोध कर रहे थे. उन्होंने यहां तक कहा कि कुछ मांगें राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित हैं, और कंजरवेटिव सांसदों व अन्य पर “फार-राइट के साथ बहाव में बहने” का आरोप लगाया.

8 जनवरी को, ग्रूमिंग गैंग्स पर राष्ट्रीय जांच शुरू करने के कंजरवेटिव प्रस्ताव को हाउस ऑफ कॉमन्स में सभी लेबर सांसदों ने 364 बनाम 111 वोटों से खारिज कर दिया.

हालांकि, अब कुछ ब्रिटिश राजनेताओं ने मस्क को इसका श्रेय दिया है कि उन्होंने लेबर सरकार पर दोबारा दबाव बनाया, जिसके बाद सरकार ने जनवरी के मध्य में बैरोनेस कैसी को समूह-आधारित बाल यौन शोषण पर त्वरित समीक्षा करने का काम सौंपा.

रिपोर्ट की शुरुआत में ही कहा गया है कि भले ही ‘समूह-आधारित बाल यौन शोषण’ शब्दावली असली स्थिति को नरम करके पेश करती है, लेकिन वह इसे असली शब्दों में सामने रखना चाहती हैं: “हम बात कर रहे हैं बच्चों के साथ कई बार, कई पुरुषों द्वारा किए गए यौन हमलों की; पिटाई और सामूहिक बलात्कार की. लड़कियों को गर्भपात कराना पड़ा, यौन रोग हो गए, जन्म के समय बच्चों को उनसे छीन लिया गया. जब ये लड़कियां बड़ी हुईं, तो उन्हें लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ा.”

‘नस्लवादी नहीं’

ग्रूमिंग गैंग्स और बाल यौन शोषण की कई जांचों ने ऐसे मामलों में जातीयता से जुड़े डेटा की कमी की आलोचना की है. हालांकि, कुछ आलोचकों ने यह चेतावनी भी दी है कि जातीयता से जुड़ी बातें अक्सर सनसनी, नस्लीय रूढ़ियों और राजनीतिक एजेंडों के ख़तरनाक मिश्रण में बदल जाती हैं, और ऐसे आरोप पूरे एशियाई समुदायों को कलंकित कर देते हैं.

‘एशियन ग्रूमिंग गैंग्स’ जैसे शब्द का सामान्य तौर पर इस्तेमाल ब्रिटेन में रहने वाले ब्रिटिश भारतीयों, सिखों और ईस्ट एशियन समुदायों द्वारा आलोचना का विषय बना है.

यह मुद्दा शिवसेना (उद्धव गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ‘एक्स’ पर उठाया. उन्होंने लिखा: “मेरे पीछे दोहराइए, वे एशियन ग्रूमिंग गैंग्स नहीं, बल्कि पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग्स हैं. एक पूरी तरह भटके हुए देश की ग़लतियों का ठीकरा सारे एशियाइयों पर क्यों फोड़ा जाए?” इस पर एलन मस्क ने “ट्रू” (सच) लिखकर प्रतिक्रिया दी.

कैसी रिपोर्ट अब कहती है कि ग्रूमिंग गैंग्स में शामिल लोगों की जातीयता को लेकर अधिकारियों ने “बचने” की कोशिश की, और दो-तिहाई आरोपियों की जातीयता का डेटा दर्ज ही नहीं किया गयाय रिपोर्ट इस डेटा की कमी को “भयानक” और “एक बड़ी नाकामी” बताती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस ऑडिट के लिए आरोपियों की जातीयता एक अहम सवाल था. लेकिन चूंकि अधिकारियों ने जातीयता से जुड़े डेटा दर्ज नहीं किए, इसलिए वे राष्ट्रीय स्तर पर इकट्ठा किए गए आंकड़ों के आधार पर कोई सटीक मूल्यांकन नहीं दे सके.

हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि राष्ट्रीय डेटा में पूरी तस्वीर नहीं होने के बावजूद, तीन पुलिस बल क्षेत्रों के स्थानीय पुलिस आंकड़ों में पर्याप्त सबूत मिले हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, ये आंकड़े दिखाते हैं कि ग्रुप-बेस्ड बाल यौन शोषण के संदिग्धों में एशियाई जातीय पृष्ठभूमि के पुरुषों की संख्या असामान्य रूप से अधिक है, और देशभर में स्थानीय समीक्षा और हाई-प्रोफाइल मुकदमों में बड़ी संख्या में एशियाई जातीयता के अपराधियों की पहचान हुई है, जो इस विषय पर और जांच की मांग करता है.

रिपोर्ट कहती है: “अपराधियों की जातीयता की जांच करना नस्लभेदी नहीं है.” यह जोर देती है कि अपराध (चाहे वह अपराधी हो या पीड़ित) में जातीयता की जांच इसलिए जरूरी है ताकि यह समझा जा सके कि अपराध को बेहतर ढंग से कैसे समझा और रोका जा सकता है.

सिफारिश

197 पन्नों की इस रिपोर्ट में 12 बहुत ही स्पष्ट सिफारिशें दी गई हैं.

पहली सिफारिश यह कहती है कि इंग्लैंड और वेल्स में कानून में बदलाव किया जाए ताकि जो भी वयस्क जानबूझकर 16 साल से कम उम्र की बच्ची के योनि, गुदा या मुंह में प्रवेश करता है, उस पर अनिवार्य रूप से बलात्कार का आरोप लगे.

यह इसलिए कहा गया है क्योंकि ब्रिटेन में सहमति की उम्र 16 साल है, लेकिन इसके बावजूद रिपोर्ट में पाया गया कि कई आपराधिक मामले या तो छोड़ दिए गए या बलात्कार के बजाय कम गंभीर आरोपों में बदल दिए गए, जिसमें यह कहा गया कि 13 से 15 साल की लड़की आरोपी से ‘प्यार करती थी’ या उसने ‘सेक्स के लिए सहमति दी थी.’

यह कानून में मौजूद एक ‘ग्रे एरिया’ के कारण होता है, जहां भले ही 13 से 15 साल की उम्र वालों के साथ किसी भी प्रकार की यौन गतिविधि गैरकानूनी होती है, लेकिन इस पर किस आरोप में केस चलेगा, यह तय करना विवेक पर छोड़ दिया जाता है.

अब रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि जो वयस्क पुरुष 13 से 15 साल की लड़कियों को ग्रूम करके उनके साथ यौन संबंध बनाते हैं, उन पर अनिवार्य रूप से बलात्कार का आरोप लगाया जाए, जैसा कि फ्रांस जैसे देशों में किया जाता है.

अन्य सिफारिशों में यह भी कहा गया है कि सरकार को यह अनिवार्य कर देना चाहिए कि बच्चों के यौन शोषण और आपराधिक शोषण से जुड़े मामलों में सभी संदिग्धों की जातीयता और राष्ट्रीयता से जुड़ा डेटा इकट्ठा किया जाए और पुलिस के साथ मिलकर पीड़ितों की जातीयता से जुड़े डेटा को बेहतर तरीके से दर्ज किया जाए.

एक और सुझाव में कहा गया है कि ट्रांसपोर्ट विभाग को तुरंत कदम उठाकर ‘आउट ऑफ एरिया टैक्सियों’ पर रोक लगानी चाहिए और टैक्सी ड्राइवरों के लाइसेंस और नियमों को लेकर सख्त कानून और मानक लागू करने चाहिए.

यह इसलिए कहा गया क्योंकि ऑडिट में पाया गया कि कई ग्रुप-बेस्ड अपराधी नाइटटाइम इकोनॉमी यानी रात के समय चलने वाले व्यवसायों में काम करते थे, और टैक्सी सेवा भी इसका हिस्सा है. इसमें यह भी पाया गया कि लड़कियों को बार-बार गाड़ियों और टैक्सियों में एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया, और यह खराब टैक्सी लाइसेंस व्यवस्था के कारण संभव हुआ.

आगे क्या?

आलोचकों ने इस बात की ओर इशारा किया है कि पहले की कई जांचों की सिफारिशें अब तक लागू नहीं की गईं. हालांकि, बैरोनेस कैसी की रिपोर्ट पर ब्रिटेन सरकार ने तेज़ी से कार्रवाई की है.

संसद में दिए गए अपने बयान में, होम सेक्रेटरी यवेट कूपर ने पीड़ितों से माफ़ी भी मांगी. उन्होंने कहा, “यौन शोषण और ग्रूमिंग गैंग्स के पीड़ितों और बचे लोगों से—इस सरकार और पिछली सरकारों की ओर से, और उन कई सार्वजनिक संस्थाओं की ओर से जिन्होंने आपको निराश किया—मैं उस असहनीय पीड़ा और तकलीफ के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगती हूं, जो आपने सही और सुरक्षित रहने के हक़ के बावजूद झेली. हमारे देश की संस्थाएं दशकों तक इस नुकसान को रोकने और आपकी सुरक्षा करने में नाकाम रहीं. लेकिन सिर्फ शब्दों से काम नहीं चलेगा. पीड़ितों और बचे लोगों को अब कार्रवाई चाहिए.”

राष्ट्रीय ऑडिट पर सरकार की प्रतिक्रिया में कहा गया है कि वह रिपोर्ट की सभी 12 सिफारिशों को मानेगी. इसके साथ ही एक राष्ट्रीय जांच की भी घोषणा की गई है, जिसका मकसद यह होगा कि स्थानीय स्तर पर विशेष जांचों को एकजुट करके संस्थाओं को उनके वर्तमान और पुराने फेलियर के लिए जवाबदेह ठहराया जाए, खासकर ग्रुप-बेस्ड बाल यौन शोषण (CSE) से जुड़े मामलों में.

इसका कुल मतलब यह है कि वे पुराने मामले, जिन्हें पहले बंद कर दिया गया था, अब दोबारा जांचे जाएंगे. यह कैसी रिपोर्ट की एक सिफारिश भी थी. रिपोर्ट ने एक राष्ट्रीय आपराधिक जांच और एक राष्ट्रीय स्तर की जांच की मांग की थी.

दरअसल, रिपोर्ट ने कहा था कि इंग्लैंड और वेल्स की हर स्थानीय पुलिस को अपने रिकॉर्ड की समीक्षा करनी चाहिए ताकि ऐसे बाल यौन शोषण के मामले चिन्हित किए जा सकें जिन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

कूपर ने हाउस ऑफ कॉमन्स को यह भी बताया कि ग्रूमिंग गैंग्स से जुड़े 800 से अधिक पुराने और अनसुलझे मामलों की औपचारिक समीक्षा के लिए पहचान की जा चुकी है, और आने वाले हफ्तों में यह संख्या 1,000 से अधिक हो सकती है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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