scorecardresearch
Tuesday, 2 July, 2024
होमविदेशपाकिस्तान में हाल में हुई बारिश के कारण दिलीप कुमार का पैतृक आवास क्षतिग्रस्त

पाकिस्तान में हाल में हुई बारिश के कारण दिलीप कुमार का पैतृक आवास क्षतिग्रस्त

Text Size:

(फोटो के साथ)

पेशावर, 11 मार्च (भाषा) पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार का पैतृक आवास हाल में हुई बारिशों के चलते गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त होने के बाद लगभग ढहने के कगार पर है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

मूसलाधार बारिश ने घर के पुनर्वास और नवीनीकरण के बारे में खैबर पख्तूनख्वा के पुरालेख विभाग के बड़े-बड़े दावों की पूरी तरह से पोल खोल दी है।

दिलीप कुमार का जन्म 1922 में पेशावर शहर के ऐतिहासिक किस्सा ख्वानी बाजार के पीछे मुहल्ला खुदादाद में स्थित इस घर में हुआ था और 1932 में भारत जाने से पहले उन्होंने अपने शुरुआती 12 साल यहीं बिताए थे।

पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 13 जुलाई 2014 को इस घर को पाकिस्तान का राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित किया था। कुमार एक बार अपने घर आए थे और उन्होंने भावुक होकर वहां की मिट्टी को चूम लिया था।

खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की विरासत परिषद के सचिव शकील वहीदुल्ला खान ने कहा कि पेशावर में हाल में हुईं बारिश ने कुमार के घर को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है।

वर्ष 1880 में बनी इस संपत्ति के बारे में उन्होंने कहा कि खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की पिछली सरकार ने काफी सारे अनुदान देने का वादा किया था, इसके बावजूद इस राष्ट्रीय विरासत की सुरक्षा व संरक्षण के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है।

दुनिया भर से यहां आने वाले पर्यटक ऐतिहासिक संपत्ति की जर्जर हालत देखकर निराश हो जाते हैं।

पुरालेख विभाग द्वारा घर का अधिग्रहण करने से पहले इसकी देखभाल करने वाले मुहम्मद अली मीर ने कहा कि वह बहुत सावधानी से इसकी उचित तरीके देखभाल कर रहे थे।

अली ने कहा कि पुरालेख विभाग द्वारा अधिग्रहण के बाद घर की हालत खराब होने लगी और इसके पुनर्वास व नवीनीकरण की प्रक्रिया बयानों तक सिमट कर रह गई।

कुमार का मकान अब वीरान पड़ा हुआ है।

अली ने कहा, “कुमार के मन में पेशावर के लोगों के प्रति बहुत प्यार और सम्मान था और दुर्भाग्यवश, हमारा विभाग उनके घर को ढहने से बचाने के लिए कुछ नहीं कर सका।”

अभिनेता का 7 जुलाई, 2021 को 98 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया था। उन्होंने हमेशा पेशावर शहर को अपने दिल के करीब बताया और वह अपने बचपन की बातें याद करते थे।

उन्हें 1997 में पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से सम्मानित किया गया था।

भाषा जोहेब वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments