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बुधवार, 18 जून, 2025
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खतरनाक सेल्फी सिर्फ बेवकूफी नहीं, इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा मानकर निपटना होगा

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(सैमुअल कॉर्नेल, एमी पेडेन और रॉब ब्रैंडर, यूएनएसडब्ल्यू सिडनी)

सिडनी, 3 मार्च (द कन्वरसेशन) सेल्फी को कला के रूप से लेकर आत्ममुग्धता तक सब कुछ कहा गया है और यह एक खराब समाज का संकेत है।

सेल्फी आपकी जान भी ले सकती हैं।

जब लोग सोशल मीडिया पर साझा करने के लिए अपनी एक तस्वीर लेने के लिए बहुत दूर तक जाते हैं – शायद दूरस्थ या सुरम्य स्थानों में – वे अपने जीवन को जोखिम में डाल सकते हैं।

इसलिए हमें स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के आने के बाद सेल्फी को एक सामाजिक घटना के रूप में वर्णित करने से कुछ आगे बढ़ने की जरूरत है।

हमें खतरनाक सेल्फी को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा मानने की जरूरत है, क्योंकि वे वास्तव में हैं।

अधिक मौतें, साल दर साल

कुछ सुरम्य स्थानों को सेल्फी से होने वाली मौतों से जोड़ा गया है। इसमें कैलिफोर्निया का योसेमाइट नेशनल पार्क भी शामिल है। ऑस्ट्रेलिया में, हमने लोगों को चट्टानों, प्राकृतिक पूलों और झरनों सहित ऐसे कई स्थानों पर मरते देखा है।

ये अकेली घटनाएं नहीं हैं।

एक अध्ययन में पाया गया कि 2008 और 2021 के बीच सेल्फी के कारण दुनिया भर में 379 लोग मारे गए, और इससे भी अधिक घायल हुए। युवाओं और विशेषकर पुरुषों में इस तरह की घटनाएं अधिक होती हैं।

कई यात्री या पर्यटक ऐसे होते हैं (विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में) जो अकेले सफर करते हैं और सेल्फी लेते हुए अक्सर घायल हो जाते हैं या मारे जाते हैं, और ऐसी घटनाएं आम तौर पर ऐसे स्थानों पर होती हैं, जहां आपातकालीन सेवाओं का पहुंचना बहुत मुश्किल होता है।

भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में, एक समूह के रूप में, विशेष रूप से झीलों जैसे जलाशयों के पास, सेल्फी लेने वालों के मरने की संभावना अधिक होती है।

शोधकर्ताओं ने चर्चित स्थानों जैसे ऊंची इमारतों के आसपास ‘नो सेल्फी जोन’ शुरू करने का आह्वान किया है। रूसी और भारतीय अधिकारियों ने इसकी शुरूआत की है। रूस ने ‘सुरक्षित सेल्फी’ गाइड लॉन्च की है।

लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये रणनीतियाँ कितनी प्रभावी रही हैं। कुछ भी हो, विश्व स्तर पर सेल्फी की घटनाएं बढ़ती दिख रही हैं।

मीडिया इन्हें मूर्ख, स्वार्थी कहता है

मीडिया अक्सर सेल्फी की घटनाओं में शामिल लोगों को मूर्ख या स्वार्थी के रूप में चित्रित करता है।

ऐसा लगता है कि यह हमारे शोध की पुष्टि करता है, जो कहता है कि इस तरह की घटनाओं में मीडिया रिपोर्टें अक्सर पीड़ित को दोष देती हैं। रिपोर्ट कभी इस बारे में सुरक्षा जानकारी प्रदान नहीं करती हैं।

लेकिन लाखों लोगों के लिए सेल्फी लेना रोजमर्रा की जिंदगी का एक सामान्य हिस्सा है। हमें ऐसे लोगों को आंकना बंद करना होगा जो जोखिम भरी सेल्फी ले रहे हैं, और इसके बजाय जोखिम भरी सेल्फी को सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के रूप में देखा जाना चाहिए।

यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा क्यों है?

हमें अन्य गतिविधियों के साथ भी ऐसी ही समस्याएँ थीं जिन्हें अब हम सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों के रूप में देखते हैं। इनमें बिना सीटबेल्ट के गाड़ी चलाना, बिना हेलमेट के साइकिल चलाना, सिगरेट पीना या अत्यधिक शराब का सेवन करना शामिल है।

ये सभी ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें कभी लोग ‘सामान्य’ मानते थे, जिन्हें अब हम जोखिम भरा मानते हैं। खतरनाक सेल्फी लेना उस सूची में जोड़ा जाना चाहिए।

सेल्फी लेने को सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के रूप में सोचकर, हम पीड़ितों को दोष देना बंद कर देते हैं और इसके बजाय सेल्फी लेने वालों को जोखिम के बारे में प्रभावी ढंग से बताने की जरूरत महसूस करते हैं।

एक उदाहरण लोकप्रिय सेल्फी हॉटस्पॉट, रॉयल नेशनल पार्क, न्यू साउथ वेल्स में फिगर आठ पूल से संबंधित है, जहां लोग ऊंची लहरों की अठखेलियों से अभिभूत हो जाते हैं।

अधिकारियों ने एक रंग-कोडित जोखिम रेटिंग तैयार की है जो समुद्र और मौसम की स्थिति को ध्यान में रखती है। लोग यह देखने के लिए ऑनलाइन जा सकते हैं कि पूल में जाने का जोखिम ‘बहुत कम’ से ‘चरम’ पर है या नहीं।

अगर हम इन जोखिम भरी सेल्फी को सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के रूप में सोचते हैं तो हम शिक्षा और रोकथाम की ओर भी बढ़ते हैं।

सेल्फी हॉटस्पॉट्स पर संकेत एक बात है। लेकिन हम जानते हैं कि संकेतों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, या बस देखा नहीं जाता है।

इसलिए हमें सेल्फी लेने वालों को सुरक्षा संदेशों को बेहतर ढंग से संप्रेषित करने की आवश्यकता है कि वे वास्तव में कब और कैसे नोटिस करेंगे।

इंस्टाग्राम के साथ

हमारे शोध का उद्देश्य इंस्टाग्राम ऐप के माध्यम से सेल्फी लेने वालों से सीधे संवाद करना है। इसका उद्देश्य इंस्टाग्राम उपयोगकर्ताओं को ज्ञात जोखिम भरे सेल्फी स्पॉट के साथ जियोलोकेशन करके सुरक्षा संदेश देना है – उपयोगकर्ताओं को वास्तविक समय में सुरक्षा चेतावनी भेजना।

सही संचार रणनीति के साथ, हम जानते हैं कि हम इन पूरी तरह से परिहार्य त्रासदियों की संख्या को कम कर सकते हैं।

प्राकृतिक परिवेश में सेल्फी लेते समय सुरक्षित रहने के 5 टिप्स

1. मौसम और पानी की स्थिति के बारे में सोचें

मौसम और तटीय स्थितियां तेजी से बदल सकती हैं। सिर्फ इसलिए कि जब आप अपनी सेल्फी यात्रा शुरू करते हैं तो मौसम और लहरें खतरनाक नहीं लगतीं, हो सकता है कि जब आप वहां पहुंचें तो वे खतरनाक हों। जाने से पहले जांच लें, खराब मौसम से बचें, और ज्वार और लहर की स्थिति पर कड़ी नजर रखें।

2. सुरक्षा चिह्नों और भौतिक बाधाओं से आगे न बढ़ें

जीवन रक्षक जानकारी प्रदान करने के लिए चेतावनी के संकेत होते हैं। संकेतों पर ध्यान दें और उनकी सलाह मानें। पहुँच को अवरुद्ध करने वाली किसी भी भौतिक बाधा को पार नहीं करें और न ही उसके आसपास जाएँ। वे एक अच्छे कारण और आपकी सुरक्षा के लिए वहाँ लगाए जाते हैं।

3. निर्धारित मार्ग पर रहें

रास्तों और पगडंडियों पर बने रहना सबसे सुरक्षित होता है और यह नाजुक पारिस्थितिक तंत्र पर भी बड़ा उपकार करता है।

4. किनारे के बहुत पास न जाएं। उखड़ने वाले किनारों से अवगत रहें

चट्टानों के किनारों पर भरोसा न करें और अस्थिर जमीन से अवगत रहें। चट्टान के किनारे स्वाभाविक रूप से कमजोर होते हैं और आपका अतिरिक्त वजन उन्हें गिरा सकता है। उन पर खड़े होने के दौरान चट्टान के किनारों के टूटने से लोगों की मौत हो जाती है।

5. ‘लाइक’ कितने भी हों, आपका जीवन उससे ज्यादा अनमोल है

सेल्फी लेने और सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए अपनी प्रेरणाओं पर विचार करें। अध्ययनों से पता चलता है कि प्रकृति में समय बिताना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। लेकिन स्क्रीन के माध्यम से नहीं देखे जाने पर दुनिया और बेहतर दिखती है।

द कन्वरसेशन एकता

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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