वाशिंगटन: दलाई लामा के वारिस पर फैसला करने के चीन के दावे को खारिज करते हुए अमेरिका ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में उठाया जाना चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका के विशेष राजदूत सैमुअल ब्राउनबैक ने संवाददाताओं से कहा, ‘कई लोग ऐसे हैं जो चीन में नहीं रहते लेकिन दलाई लामा का अनुसरण करते हैं. वह विश्वभर के एक जानेमाने धार्मिक नेता हैं, वह सम्मान के हकदार हैं और उनके वारिस को चुनने की प्रक्रिया उन पर विश्वास करने वाले समुदाय के हाथों में होनी चाहिए.’
ब्राउनबैक ने इस पर चीन के दावे को अस्वीकार करते हुए कहा कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में उठाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए अमेरिका दबाव बनाएगा.
ब्राउनबैक बीते दिनों धर्मशाला में थे जहां उन्होंने तिब्बती समुदाय को संबोधित किया.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि संयुक्त राष्ट्र को उनके वारिस के मुद्दे पर विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र को इस पर विचार करना चाहिए. अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भी इस बारे में सोचना चाहिए. यूरोपीय देशों की सरकारों को भी इस पर सोचना चाहिए.’
ब्राउनबैक ने कहा, ‘हम जानते हैं कि चीन क्या कर सकता है और क्या करना चाहता है क्योंकि हमने देखा है कि उन्होंने पंचेन लामा के साथ क्या किया. वह क्या कदम उठाना चाहते हैं इस बारे में हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए. जरूरत है कि हम पहले ही इस मामले को देख लें.’
उन्होंने कहा कि दलाई लामा के वारिस को चुनने का अधिकार तिब्बत के बौद्ध भिक्षुओं का है, चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी या किसी सरकार का नहीं.
ब्राउनबैक ने कहा कि यह तो ऐसा होगा कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी कहे कि अगले पोप के बारे में फैसला लेने का अधिकार उसका है. यह अधिकार उसका नहीं है, यह फैसला लेने का अधिकार तिब्बत के बौद्ध भिक्षुओं का है.
उन्होंने कहा, ‘चीन की सरकार ने बार-बार यह कहा है कि यह उसका अधिकार है. आप याद कीजिए कि उन्होंने पंचेम लामा को अगवा कर लिया था…अब हमें यह तक पता नहीं है कि वह जीवित भी हैं या नहीं. अब चीन की सरकार यह कह रही है कि वारिस का चयन उसके जरिए होना चाहिए.’