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Sunday, 5 May, 2024
होमविदेशनए हार्वर्ड अध्ययन का दावा- वायु प्रदूषण का स्तर और कोविड-19 मृत्यु दर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं

नए हार्वर्ड अध्ययन का दावा- वायु प्रदूषण का स्तर और कोविड-19 मृत्यु दर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं

हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा नए ने अध्ययन का दावा है कि जिन जगहों पर ज्यादा वायु प्रदूषण का इतिहास है उन क्षेत्रों में कोविड-19 रोगियों में बीमारी के शिकार होने की अधिक संभावना है.

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नई दिल्ली: अमेरिका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर और कोविड-19 मृत्यु दर के बीच संबंध होने का दावा किया गया है.

अध्ययन के अनुसार, जिन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का इतिहास रहा है, उनमें कोविड-19 के रोगी अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता वाले राज्यों की तुलना में बीमारी के शिकार होने की अधिक संभावना हैं.

पेपर के परिणाम बताते हैं कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से कोविड -19 के सबसे गंभीर परिणामों का अनुभव होता है.

अध्ययन को पूर्व में मौजूद स्थितियों को देखते हुए किया गया था जो कोविड -19 के लिए संवेदनशीलता बढ़ाते हैं, जो कि सांस संबंधी बीमारियां हैं, और यह वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक जोखिम से जुड़ी हैं.

जबकि अमेरिकी सरकार के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि महामारी 100,000 और 240,000 अमेरिकियों के बीच मार सकती है. अध्ययन का कहना है कि उनमें से ज्यादातर लोग अधिक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) वाले क्षेत्रों से होंगे.

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अध्ययन क्या कहता है

4 अप्रैल तक अमेरिका में देश की 98 प्रतिशत आबादी के लिए 3,000 काउंटियों का विश्लेषण करते हुए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में दावा किया गया है कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 में केवल 1 μg/m3 की वृद्धि कोविड-19 में 15 प्रतिशत मृत्यु दर की वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है.

एक उदाहरण के रूप में अध्ययन में कहा गया है कि यदि न्यूयॉर्क में मैनहट्टन ने पिछले दो दशकों में अपने औसत पीएम स्तर को केवल एक इकाई से कम कर दिया होता तो कोरोनोवायरस के कारण होने वाली 248 मौतों को टाला जा सकता था. 8 अप्रैल की सुबह तक न्यूयॉर्क में कुल 5,489 मौतें हुई हैं.

अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि न्यूयॉर्क के आस-पास के जिले जैसे कि कोलंबिया और मॉन्टगोमेरी काउंटी में पीएम स्तर अधिक होने के कारण केवल ज्यादा मृत्यु होने की संभावना है. वहीं इलिनोइस के लिए भी यही है, जिसमें शिकागो शामिल है, जॉर्जिया में लेक काउंटी और फुल्टन काउंटी से भी बदतर है, जिसमें अटलांटा भी शामिल है.

अध्ययन पर सवाल

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ता राष्ट्रव्यापी अध्ययन करने वाली पहली संस्था है , जो बताते सांख्यिकीय रूप से कोरोनोवायरस मौतों को वायु प्रदूषण से जोड़ता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया, ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में सहकर्मी की समीक्षा और प्रकाशन के लिए पेपर प्रस्तुत किया गया है.’

हालांकि, न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन व्यक्तिगत रोगी डेटा पर ध्यान नहीं देता है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह भी स्पष्ट नहीं है की प्रदूषण कोरोनावायरस के प्रसार में कोई भूमिका निभाता है या क्या दीर्घकालिक संपर्क से सीधे बीमार पड़ने का अधिक खतरा होता है.

अध्ययन का निष्कर्ष कोविड-19 संकट के दौरान और बाद में मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मौजूदा वायु प्रदूषण नियमों को लागू करने के लिए जारी रखने के महत्व पर जोर देता है. इसमें कहा गया है कि कुछ क्षेत्रों को पर्याप्त चिकित्सा उपकरणों, कर्मचारियों और अस्पतालों के साथ बेहतर तरीके से तैयार करने की आवश्यकता है.

इस साल की शुरुआत में, यह बताया गया था कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में हैं. भारत में 21 दिन के देशव्यापी लॉक डाउन का 15 दिन हो चुका है. अबतक कोविड -19 मामले में 149 मौतों के साथ 5,149 लोग संक्रमित हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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