इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति के बारे में शुक्रवार को आगाह किया और वहां गृह युद्ध टालने के लिए सभी पक्षों से सत्ता साझेदारी के एक फार्मूले पर सहमत होने का अनुरोध किया.
विदेश मामलों पर सीनेट की स्थायी समिति में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद युसूफ ने स्थिति को लेकर चिंता प्रकट की और संकेत दिया कि पड़ोसी देश अफगानिस्तान में सशस्त्र संघर्ष तेज होने की सूरत में वह कहीं अधिक संख्या में शरणार्थियों के उमड़ने की स्थिति से नहीं निपट सकेगा.
कुरैशी ने कहा, ‘यह हमारी कोशिश और आकांक्षा है कि पड़ोसी देश (अफगानिस्तान) में फिर से गृह युद्ध नहीं छिड़े.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चाहता है कि अफगान शरणार्थियों की गरिमापूर्ण वापसी को अफगान शांति प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाए.
अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादियों द्वारा हाल के हफ्तों में दर्जनों जिलों पर कब्जा करने के बीच उनका यह बयान आया है. समझा जाता है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों के सैनिकों की अफगानिस्तान से पूर्ण वापसी से पहले ही तालिबान आतंकवादियों का वहां के एक तिहाई हिस्से पर नियंत्रण है.
कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान में हालात पर, आने वाले दिनों में उज्बेकिस्तान में एक अहम सम्मेलन होगा और पाकिस्तान यह रेखांकित करेगा कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करना सिर्फ उसकी (अफगानिस्तान की) जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि उसके सभी पड़ोसी देशों को अपनी भूमिका निभानी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान में स्थिति बिगड़ रही है और इस स्थिति के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है.’
पाकिस्तान के एनएसए युसूफ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति ‘अत्यधिक खराब है और पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर है.’
उन्होंने आगाह किया कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ सकती है और गृह युद्ध छिड़ सकता है.