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शनिवार, 14 जून, 2025
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सामुदायिक संवाद और जिजीविषा बहाल करना, अगला कोविड-19 आपातकाल

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गेब्रियल ब्लौइन-जेनेस्ट, एसोसिएट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी डे शेरब्रुक, मैथ्यू रॉय: प्रोफेसर एसोसिएट, यूनिवर्सिटी डे शेरब्रुक और मेलिसा जेनेरेक्स: एसोसिएट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी डे शेरब्रुक टोरंटो, 10 फरवरी (द कन्वरसेशन) कोविड-19 कनाडा को प्रभावित करने वाला पहला स्वास्थ्य संकट नहीं है। पिछली आपात स्थिति, जैसे 2013 में लैक-मेगाटिक ट्रेन त्रासदी, ने निवारक उपायों के बेहतर अनुपालन और त्रासदी से उबरने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध समुदायों का निर्माण करने के लिए इनमें प्रभावित समुदायों को शामिल करने के महत्व को दिखाया है।

हमारे शोध से पता चलता है कि कोविड-19 के निवारक उपायों में यह काफी हद तक गायब है, जिसका समग्र रूप से समाज पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।

जिजीविषा से तात्पर्य एक समुदाय की एक संकट के बाद भी जीवित रहने, कार्य करने, विकसित होने और फलने-फूलने की क्षमता है। जिजीविषा बढ़ाने के प्रमुख तत्वों में सामाजिक सामंजस्य, सहयोग, सशक्तिकरण, भागीदारी को अधिकतम करना और स्थानीय विशेषताओं और मुद्दों पर विचार करना शामिल है। इसका अर्थ है प्रभावित समुदायों के साथ बातचीत और उनसे मिली जानकारी के अनुसार कदम उठाना।

यदि इन तत्वों का उचित रूप से ध्यान में नहीं रखा गया तो एक समुदाय के ‘‘क्षयकारी’’ बनने का एक बड़ा जोखिम है। ऐसे समुदायों को विभाजन, ध्रुवीकरण और चिंता और अवसाद जैसे मनोवैज्ञानिक प्रभावों का खतरा होता है। कोविड-19 से मुकाबले के दौरान इस्तेमाल किए गए विभाजनकारी दृष्टिकोण के लिए कनाडाई लोगों को ये कीमतें चुकानी पड़ सकती हैं।

शेरब्रुक विश्वविद्यालय में हमारी बहु-विषयक अनुसंधान टीम फरवरी 2020 से कोविड-19 महामारी के विभिन्न प्रभावों का मूल्यांकन और तुलना करने के लिए सर्वेक्षणों का उपयोग कर रही है। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण हमारे मूल निष्कर्षों की पुष्टि करते हैं: महामारी का मनोसामाजिक प्रभाव और इसकी प्रतिक्रियाएँ अपार हैं।

महामारी थकान

हमने अपना सबसे हालिया सर्वेक्षण 1-17 अक्टूबर, 2021 तक ऑनलाइन किया, जिसमें क्यूबेक के सभी क्षेत्रों के 10,368 वयस्क और कनाडा के बाकी हिस्सों में 1,001 वयस्क थे। परिणामों से पता चला कि पूरे कनाडा के आधे वयस्क (और, क्यूबेक में, लगभग दो-तिहाई युवा वयस्क) ‘‘महामारी की थकान’’ से पीड़ित हैं।

महामारी की थकान प्रतिकूलताओं के प्रति एक सामान्य और अपेक्षित प्रतिक्रिया है, लेकिन जब यह बढ़ जाए, तो यह न केवल इस बात को खतरे में डाल सकता है कि हम, समुदायों के रूप में, वर्तमान संकट का जवाब कैसे देते हैं, जैसा कि हमारे डेटा द्वारा दिखाया गया है, बल्कि यह भी है कि हम भविष्य में इसपर कैसे प्रतिक्रिया देंगे – जो समर्थ समुदायों के निर्माण में प्रमुख घटक है।

हमारे परिणामों से पता चला है कि महामारी की थकान चिंता, अवसाद और आत्मघाती विचारों के माध्यम से प्रकट होती है, जो क्रमशः 21.9 प्रतिशत, 25.6 प्रतिशत और 9.4 प्रतिशत कनाडाई लोगों को प्रभावित करती है।

पिछली गलतियों की पहचान, विनम्रता और बेहतर सामुदायिक भागीदारी नागरिक और सामुदायिक समावेश के साथ इस संकट के प्रति हमारी प्रतिक्रियाओं की आधारशिला होनी चाहिए।

महामारी से प्रभावित अधिकारियों और समुदायों के बीच संवाद को वापस लाना एक वास्तविक आपात स्थिति है। व्यक्तियों और समुदायों का दीर्घकालिक स्वास्थ्य दांव पर है।

द कन्वरसेशन एकता एकता

एकता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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