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शुक्रवार, 25 अप्रैल, 2025
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प्रशांत महासागर की अप्रत्याशित घटना के बारे में मिले सुराग, जानिए क्या है इसका महत्व

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(डोमिनिक कोल, मानद व्याख्याता, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी)

सिडनी, 15 फरवरी (द कन्वरसेशन) पृथ्वी पर एक करोड़ वर्ष पहले कुछ न कुछ असाधारण हुआ होगा। प्रशांत महासागर के तल पर से लिए गए चट्टान के नमूनों पर किए गए हमारे शोध में उस दौरान रेडियोधर्मी रासायनिक तत्व ‘बेरिलियम-10’ में एक अजीब वृद्धि होने का पता चला है।

‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित इस शोध से भूवैज्ञानिकों के लिए महासागरों की गहराई से प्राप्त नमूनों से पिछली घटनाओं की तारीख जानने के नए रास्ते खुल गए हैं।

लेकिन बेरिलियम-10 में विषमता का कारण अभी पता नहीं चल पाया है। क्या ऐसा वैश्विक महासागरीय धाराओं में बड़े बदलाव, एक तारे के अंत, या दो और उससे अधिक तारों की टक्कर के कारण हो सकता है?

समुद्र की गहराई में अत्यंत धीमी गति से चलने वाली चट्टानें

मैं पृथ्वी पर स्टारडस्ट (ब्रह्मांडीय धूलकण) की तलाश में हूं। इससे पहले, मैंने अंटार्कटिका में बर्फ छानी है। इस बार, समुद्र की गहराई में खोज की है।

लगभग 5,000 मीटर की गहराई पर, प्रशांत महासागर के रसातल क्षेत्र में कभी प्रकाश नहीं देखा गया, फिर भी वहां कुछ न कुछ पनपता रहता है।

धात्विक जल के नीचे मौजूद चट्टानें ‘फेरोमैंगनीज क्रस्ट’ पानी में घुले खनिजों के साथ मिलकर धीरे-धीरे और बहुत लंबे समय तक जमने से विकसित होती हैं। ये दस लाख वर्षों में केवल कुछ मिलीमीटर बढ़ती हैं। (गुफाओं में ‘स्टैलेक्टाइट्स’ और ‘स्टैलेग्माइट्” एक समान तरीके से बढ़ते हैं, लेकिन हजारों गुना तेजी से।)

यह प्रक्रिया लाखों वर्षों तक ‘फेरोमैंगनीज’ क्रस्ट्स (परतों) को स्टारडस्ट को ‘कैप्चर’ करने के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है। रेडियोधर्मी रासायनिक तत्व बेरिलियम-10 का उपयोग करके रेडियोमेट्रिक डेटिंग द्वारा इन परतों की आयु पता लगाई जा सकती है। जब अत्यधिक ऊर्जावान ब्रह्मांडीय किरणें वायु के अणुओं से टकराती हैं तो यह रासायनिक तत्व ऊपरी वायुमंडल में लगातार उत्पन्न होता रहता है। यह टक्कर हमारे वायुमंडल के मुख्य घटकों – नाइट्रोजन और ऑक्सीजन – को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देती है।

स्टारडस्ट और बेरिलियम-10 दोनों अंततः पृथ्वी के महासागरों में अपना रास्ता खोज लेते हैं जहां वे बढ़ते हुए ‘फेरोमैंगनीज क्रस्ट’ में शामिल हो जाते हैं।

सबसे बड़े फेरोमैंगनीज क्रस्ट में से एक 1976 में मध्य प्रशांत क्षेत्र से बरामद किया गया था। जर्मनी के हनोवर में ‘फेडरल इंस्टीट्यूट फॉर जियोसाइंसेज एंड नेचुरल रिसोर्सेज’ में दशकों से संग्रहीत फेरोमैंगनीज क्रस्ट का 3.7 किलोग्राम का खंड मेरे शोध का हिस्सा है।

जैसे पेड़ के कटे हुए तने पर दिखने वाले छल्लों से पेड़ की उम्र का पता चलता है, वैसे ही फेरोमैंगनीज परतें लाखों वर्षों में परत दर परत बढ़ती हैं। बेरिलियम-10 रेडियोधर्मी क्षय से बहुत धीरे-धीरे गुजरता है, जिसका अर्थ है कि यह चट्टानों में बैठते ही लाखों वर्षों में धीरे-धीरे टूट जाता है। बेरिलियम-10 वास्तव में धीरे-धीरे रेडियोधर्मी रूप से नष्ट होना शुरू होता है, इसका मतलब है कि यह चट्टानों में बैठते ही लाखों वर्षों में धीरे-धीरे टूट जाता है।

जैसे-जैसे समय के साथ बेरिलियम-10 का क्षरण होता जाता है, गहरी, पुरानी तलछट परतों में इसकी सांद्रता कम होती जाती है। क्योंकि क्षरण की दर स्थिर है, हम चट्टानों की उम्र और इतिहास को समझने के लिए प्राकृतिक घड़ी के रूप में रेडियोधर्मी रासायनिक तत्वों का उपयोग कर सकते हैं – इसे ‘रेडियोएक्टिव डेटिंग’ कहा जाता है।

एक रहस्यमय विषमता

व्यापक रासायनिक प्रक्रिया के बाद, मेरे सहयोगियों और मैंने परत में मौजूद बेरिलियम -10 की सांद्रता को मापने के लिए ‘एक्सेलेरेटर मास स्पेक्ट्रोमेट्री’ नामक तकनीक का उपयोग किया। यह लंबे समय तक रहने वाले रेडियोधर्मी रासायनिक तत्व को समझने के लिए अति संवेदनशील विश्लेषणात्मक तकनीक होती है।

इस बार, मेरा शोध मुझे ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा से जर्मनी के ड्रेसडेन ले गया, जहां हेल्महोल्ट्ज-जेंट्रम ड्रेसडेन-रॉसेंडॉर्फ (एचजेडडीआर) प्रयोगशाला में बेरिलियम -10 को मापने के लिए व्यवस्था की गई थी।

परिणामों से पता चला कि पिछले एक करोड़ वर्षों में परत केवल 3.5 सेंटीमीटर बढ़ी थी और यह दो लाख वर्ष से अधिक पुरानी थी।

यह हैरान करने वाला था: रेडियोधर्मी क्षय (रेडियोएक्टिव डिकेय) काफी जटिल प्रक्रिया के बाद होता है। इसका अर्थ है कि उस समय किसी चीज ने अतिरिक्त बेरिलियम -10 को परत में दाखिल किया होगा।

विज्ञान की दुनिया में संशयवाद महत्वपूर्ण होता है। त्रुटियों से बचने के लिए, मैंने रासायनिक तैयारी की और कई बार माप लिया। लगभग 3,000 किलोमीटर दूर स्थानों से विभिन्न परतों के विश्लेषण के बाद परिणाम यह निकला कि लगभग एक करोड़ वर्ष पहले प्रशांत महासागर में बेरिलियम-10 नामक रेडियोधर्मी रासायनिक तत्व में अजीब वृद्धि हुई थी।

एक करोड़ वर्ष पहले हुई इस घटना का कारण क्या हो सकता है? इस बारे में हम पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह सकते।

पिछले साल, एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन से पता चला कि ‘अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट’ नामक तरंगें लगभग एक करोड़ 20 लाख वर्ष पहले तीव्र हुईं, जिन्होंने अंटार्कटिक महासागर के वर्तमान स्वरूप को प्रभावित किया।

क्या प्रशांत क्षेत्र में यह बेरिलियम-10 से जुड़ी आधुनिक वैश्विक महासागर परिसंचरण की शुरुआत का प्रतीक हो सकती है? यदि समुद्री धाराएं जिम्मेदार होतीं, तो बेरिलियम-10 पृथ्वी पर असमान रूप से वितरित होता और कुछ नमूनों में बेरिलियम-10 की कमी भी दिखाई देती। सभी प्रमुख महासागरों और दोनों गोलार्धों से मिलने वाले नए नमूने हमें इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं।

इस बीच, ब्रह्मांडीय धूलकणों (स्टारडस्ट) के लिए मेरी खोज जारी है, लेकिन अब बेरिलियम-10 से जुड़ी घटना को समझने के लिए एक करोड़ वर्ष पुराने नमूनों पर शोध कर रहा हूं। मेरे साथ बने रहें।

(द कन्वरसेशन)

जोहेब पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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