(जेनिफर ई. ग्राहम-एंजेलैंड और मार्टिन जे. स्लिविंस्की, पेन प्रांत)
पेनसिल्वेनिया, 29 मई (द कन्वरसेशन) किसी भी अमेरिकी व्यक्ति के अपने जीवनकाल में मनोभ्रंश से ग्रस्त हो जाने की संभावना पहले की अपेक्षा कहीं अधिक हो सकती है।
उदाहरण के लिए, 2025 के एक अध्ययन में पाया गया कि 55 से 95 वर्ष तक की आयु के लोगों में मनोभ्रंश विकसित होने की औसत संभावना 42 प्रतिशत थी तथा यह आंकड़ा महिलाओं, अश्वेत वयस्कों और आनुवांशिक जोखिम वाले लोगों में और भी अधिक था। इस अध्ययन में तीन दशकों से अधिक समय तक अमेरिकी वयस्कों के एक समूह पर नज़र रखी गई थी।
अब, इस बात पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है कि बढ़ती उम्र की अमेरिकी आबादी में संज्ञानात्मक गिरावट को कैसे रोका जाए। लेकिन इस बातचीत में अक्सर जो बात छूट जाती है, वह यह है कि चिर तनाव संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से लोगों की उम्र बढ़ने में क्या भूमिका निभा सकता है तथा उनमें मनोभ्रंश का जोखिम भी कितना बढ़ा सकता है।
हम पेन प्रांत में ‘सेंटर फॉर हेल्दी एजिंग’ में प्रोफेसर हैं तथा स्वास्थ्य मनोविज्ञान और ‘न्यूरोसाइकोलॉजी’ में हमारी विशेषज्ञता है। हम उन मार्गों का अध्ययन करते हैं जिनके द्वारा चिर मनोवैज्ञानिक तनाव मनोभ्रंश के जोखिम को प्रभावित करता है और यह कैसे लोगों की उम्र बढ़ने के साथ स्वस्थ रहने की क्षमता को प्रभावित करता है।
हालिया शोध से पता चलता है कि वर्तमान में मध्यम आयु वर्ग या उससे अधिक उम्र के अमेरिकी लोग पिछली पीढ़ियों की तुलना में अधिक बार तनावपूर्ण घटनाओं का अनुभव करते हैं।
आर्थिक और नौकरी की बढ़ती हुई असुरक्षा तनाव में इस वृद्धि की मुख्य वजह प्रतीत होती है, विशेष रूप से 2007-2009 की महामंदी और श्रम बाजार में जारी बदलावों के मद्देनजर।
कई लोग वित्तीय आवश्यकता के कारण लंबे समय तक कार्यबल (श्रमबल) में बने रहते हैं, क्योंकि अमेरिकी लंबे समय तक जीवित रहते हैं और बाद के जीवन में बुनियादी खर्चों को पूरा करने में अधिक चुनौतियों से जूझते हैं।
इसलिए, यह समझना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है कि तनाव किस प्रकार संज्ञानात्मक उम्र में वृद्धि को प्रभावित करता है।
सामाजिक अलगाव और तनाव
हालांकि हर कोई दैनिक जीवन में कुछ तनाव का अनुभव करता है, लेकिन कुछ लोग अधिक तीव्र, लगातार या लंबे समय तक तनाव का अनुभव करते हैं। यह अपेक्षाकृत पुराना तनाव है जो सबसे अधिक लगातार खराब स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।
हाल में एक समीक्षा पत्र में, हमारी टीम ने संक्षेप में बताया कि कैसे दीर्घकालिक तनाव संज्ञानात्मक उम्र बढ़ने के पीछे एक छिपा हुआ लेकिन शक्तिशाली कारक है या वह गति है जिससे आपकी संज्ञानात्मक कार्यक्षमता उम्र के साथ धीमी हो जाती है।
उम्र बढ़ने के साथ आपके संज्ञानात्मक स्वास्थ्य पर तनाव के प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर बताना मुश्किल है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रोज़मर्रा की तनावपूर्ण घटनाओं के प्रति आपकी मनोवैज्ञानिक, व्यवहारिक और जैविक प्रतिक्रियाएं आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई हैं और प्रत्येक एक दूसरे के साथ बढ़ सकती हैं और परस्पर क्रिया कर सकती हैं।
उदाहरण के तौर पर अकेले रहना तनावपूर्ण हो सकता है – विशेष रूप से वृद्धों के लिए – तथा एकाकी रहने से स्वस्थ जीवनशैली जीना और संज्ञानात्मक गिरावट के लक्षणों का पता लगा पाना एवं सहायता प्राप्त कर पाना अधिक कठिन हो जाता है।
इसके अलावा, तनावपूर्ण अनुभव – और उन पर आपकी प्रतिक्रियाएं – अच्छी नींद लेना को प्रभावित कर सकती हैं। अन्य स्वस्थ व्यवहार जैसे पर्याप्त व्यायाम करना और स्वस्थ आहार बनाए रखना उपयोगी हो सकता है। लेकिन अपर्याप्त नींद और शारीरिक गतिविधि की कमी तनावपूर्ण अनुभवों से निपटना कठिन बना सकती है।
मनोभ्रंश की रोकथाम के प्रयासों में अक्सर तनाव को शामिल नहीं किया जाता है।
शोध के एक मजबूत निकाय ने कम से कम 14 विभिन्न कारकों के महत्व पर प्रकाश डाला है जो अल्जाइमर रोग– मनोभ्रंश का एक सामान्य और विनाशकारी रूप – और मनोभ्रंश के अन्य रूपों के आपके जोखिम से संबंधित हैं।
हालांकि इनमें से कुछ कारक आपके नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं, जैसे कि मधुमेह या अवसाद। इनमें से कई कारक उन चीजों से संबंधित हैं जो लोग करते हैं, जैसे कि शारीरिक गतिविधि, स्वस्थ भोजन और सामाजिक जुड़ाव।
(द कन्वरसेशन ) राजकुमार मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.