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गुरूवार, 26 जून, 2025
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चीनी विषाणु विज्ञानियों ने नए कोरोना वायरस का पता लगाया, मनुष्यों को भी कर सकता है संक्रमित

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बीजिंग, 22 फरवरी (भाषा) चीन के विषाणु विज्ञानियों की एक टीम ने चमगादड़ों में होने वाले एक नए कोरोना वायरस का पता लगाया है, जिसके मनुष्यों में भी फैलने का खतरा है। मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई है।

इस अध्ययन का नेतृत्व विवादास्पद ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ (डब्ल्यूआईवी) के चीनी विषाणु विज्ञानी शी झेंगली ने किया था। कहा जाता है कि डब्ल्यूआईवी से कथित तौर पर कोविड-19 फैला था।

चमगादड़ों से उत्पन्न वायरस पर अपने शोध के लिए ‘बैट वूमन’ के नाम से मशहूर शी और चीनी सरकार भी इस बात से इनकार करती है कि वायरस वुहान प्रयोगशाला से फैलना शुरू हुआ था।

नवीनतम वायरस ‘एचकेयू5’ कोरोना वायरस का नया रूप है, जो पहली बार हांगकांग में जापानी पिपिस्ट्रेल चमगादड़ में पहचाना गया था।

हांगकांग में स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के अनुसार, यह नया वायरस ‘मेरबेकोवायरस’ उपस्वरूपों से निकला है, जिसमें मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (मर्स) का कारण बनने वाला वायरस भी शामिल है।

खबर के अनुसार, मंगलवार को ‘सेल’ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में शी की अध्यक्षता वाली विषाणु विज्ञानियों की टीम ने लिखा, ‘हमें एचकेयू5-सीओवी की एक अलग वंशावली (वंश 2) की पहचान की है, जो न केवल चमगादड़ और मनुष्यों बल्कि समान मूल के एक ही अनुवांशिक गुणों वाले विभिन्न स्तनधारी पशुओं में भी फैल सकता है।”

शोधकर्ताओं ने पाया कि जब वायरस को चमगादड़ के नमूनों से अलग किया गया तो पाया गया कि यह मानव कोशिकाओं के साथ-साथ कृत्रिम रूप से विकसित कोशिका या ऊतक के छोटे-छोटे समूहों को भी संक्रमित कर सकता है, जो छोटे श्वसन या आंत्र अंगों जैसे दिखते थे।

भाषा जोहेब रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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