बीजिंग : चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने मंगलवार को अमेरिका-इंडो पैसिफिक स्ट्रैटजी की निंदा करते हुए कहा कि यह NATO के एशिया-प्रशांत वर्जन की तरह ‘एकमात्र ब्लॉक्स’ तैयार करने के लिए गिरोह बनाने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि यह ‘विफल होने के लिए बाध्य है.’
शिन्हुआ न्यूज एजेंसी द्वारा पोस्ट की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में गांग ने कहा, ‘अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति कथित तौर पर क्षेत्र में स्वतंत्रता और खुलेपन को कायम रखने के मकसद से सुरक्षा और समृद्धि बनाए रखने के लिए है की जा रही है, पर वास्तव में, यह एकमात्र ब्लॉक्स को लेकर एक गिरोह बनाने की कोशिश है, जो नाटो के एशिया पैसिफिक वर्जन की तरह है, यह टकराव को बढ़ाने वाला है.
उन्होंने कहा, ‘चीन जिस रणनीतिक माहौल में काम करता है, उसे आकार देने का अमेरिका का दावा वास्तव में उसकी हिंद-प्रशांत रणनीति के मकसद को जाहिर करता है, जो कि जो चीन को घेरना है, ऐसी कोशिश केवल आसियान-केंद्रित खुले और समावेशी क्षेत्रीय सहयोग के ढांचे को रोकेगी, और क्षेत्र के देशों के समग्र और दीर्घकालिक हितों को कमजोर करने वाली है. यह विफल होने के लिए बाध्य है.’
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, यह प्रेस कॉन्फ्रेंस 14वें राष्ट्रीय प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले सत्र के दौरान आयोजित की गई थी और 3 महीने पहले पदभार ग्रहण करने के बाद किन की दो सत्रों में यह पहली उपस्थिति है.
ग्लोबल टाइम्स ने खबर के मुताबिक, इससे पहले, रूस के साथ अपने संबंधों के बारे में बात करते हुए, चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि उनका रिश्ता अंतरराष्ट्रीय संबंधों का एक अच्छा उदाहरण पेश करता है और यह बिना किसी गठबंधन, किसी टकराव पर आधारित है.
गांग ने कहा, ‘चीन और रूस ने रणनीतिक भरोसे और अच्छे पड़ोसी वाले प्रमुख देशों के संबंधों का रास्ता खोज लिया है, अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अच्छा उदाहरण स्थापित कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘चीन-रूस संबंध बिना किसी गठबंधन और बिना किसी टकराव पर आधारित है और यह किसी तीसरे को टारगेट नहीं करता. यह किसी देश के लिए खतरा नहीं, न ही यह किसी तीसरे पक्ष द्वारा दखल या कलह पैदा करने वाला है.’
चीनी विदेश मंत्री ने आगे कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो चीन-रूस संबंधों को शीत युद्ध के गठबंधनों के चश्मे से देखना चाहते हैं, वे अपनी छवि के सिवा कुछ नहीं देखते हैं.
प्रेसवार्ता के दौरान, उन्होंने आगे कहा कि चीन और रूस मिलकर काम करने से, दुनिया के पास अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहु-ध्रुवीयता और अधिक लोकतंत्र का प्रेरित करेगा. और वैश्विक रणनीतिक संतुलन और स्थिरता को बेहतर तरीके से सुनिश्चित करेगा.
किन ने कहा कि दुनिया जितनी अधिक अस्थिर होगी, चीन और रूस के लिए अपने संबंधों को लगातार आगे बढ़ाना उतना ही जरूरी हो जाएगा.
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