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Thursday, 4 July, 2024
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चीन ने कोरोना महामारी की गंभीरता छिपाई, दस्तावेजों पर जनवरी की जगह मई की तारीख: अमेरिकी अधिकारी

आकलन में कहा गया है कि चीन कोरोनावायरस की गंभीरता को कमतर बताता रहा और इस दौरान उसने चिकित्सीय आपूर्तियों का आयात बढ़ा दिया जबकि निर्यात को घटा दिया.

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वाशिंगटन: अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि चीन ने कोरोनावायरस के प्रकोप के पैमाने और बीमारी के अति संक्रामक होने की बात इसलिए गोपनीय रखी ताकि वह इससे निपटने के लिए जरूरी चिकित्सीय आपूर्तियों को जमा कर रख सके. खुफिया दस्तावेजों में यह जानकारी सामने आई है.

एजेंसी को प्राप्त हुए गृह सुरक्षा मंत्रालय के चार पन्नों वाले दस्तावेज के मुताबिक चीन के नेताओं ने जनवरी की शुरुआत में दुनिया से वैश्विक महामारी की ‘गंभीरता जान-बूझकर छिपाई.’ इन दस्तावेजों पर एक मई की तारीख अंकित है.

यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब ट्रंप प्रशासन लगातार चीन की आलोचना कर रहा है. विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने रविवार को कहा कि बीमारी के प्रसार के लिए चीन जिम्मेदार है और उसे इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

चीन की तीखी आलोचना के साथ ही प्रशासन के आलोचक सरकार पर भी सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि वायरस के खिलाफ सरकार की प्रतिक्रिया अपर्याप्त एवं धीमी है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राजीनितक प्रतिद्वंद्वियों ने राष्ट्रपति और उनके प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वे अपनी आलोचना को दूसरी दिशा में मोड़ने के लिए चीन पर दोष मढ़ रहे हैं जो एक भू-राजनीतिक दुश्मन तो है लेकिन अमेरिका का अहम व्यापारिक साझेदार भी है.

आकलन में कहा गया है कि चीन कोरोनावायरस की गंभीरता को कमतर बताता रहा और इस दौरान उसने चिकित्सीय आपूर्तियों का आयात बढ़ा दिया जबकि निर्यात को घटा दिया.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन ने लगभग पूरी जनवरी विश्व स्वास्थ्य संगठन को यह सूचना नहीं दी कि कोरोनावायरस ‘संक्रामक’ है ताकि वह विदेशों से चिकित्सा सामग्रियां मंगा सके और इस दौरान फेस मास्क, सर्जिकल गाउन और दस्तावेजों का उसका आयात तेजी से बढ़ा था.

रिपोर्ट के मुताबिक ये परिणाम 95 प्रतिशत संभावना पर आधारित हैं कि आयात एवं निर्यात नीति में चीन के बदलाव सामान्य नहीं थे.

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