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Thursday, 25 April, 2024
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चीन के पास समझौतों के उल्लंघन के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं, द्विपक्षीय संबंध ‘खराब दौर’ से गुजर रहे: जयशंकर

इसी बीच, भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के अन्य क्षेत्रों से सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए जल्द ही किसी तारीख पर 14वें दौर की सैन्य वार्ता कराने पर सहमति व्यक्त की.

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सिंगापुर: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन अपने संबंधों को लेकर ‘विशेषतौर पर खराब दौर’ से गुजर रहे हैं क्योंकि बीजिंग ने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसी गतिविधियां कीं जिनके पीछे उसके पास अब तक ‘विश्वसनीय स्पष्टीकरण’ नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि चीन के नेतृत्व को इस बात का जवाब देना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों को वे किस ओर ले जाना चाहते हैं.

यहां ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमिक फोरम में ‘वृहद सत्ता प्रतिस्पर्धा: उभरती हुई विश्व व्यवस्था’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि चीन को इस बारे में कोई संदेह है कि हमारे संबंधों में हम किस मुकाम पर खड़े हैं और क्या गड़बड़ है. मेरे समकक्ष वांग यी के साथ मेरी कई बार मुलाकात हुई हैं. जैसा कि आपने भी यह महसूस किया होगा कि मैं बिलकुल स्पष्ट बात करता हूं, अत: समझा जा सकता है कि स्पष्टवादिता की कोई कमी नहीं है. यदि वे इसे सुनना चाहते हैं तो मुझे पूरा भरोसा है कि उन्होंने सुना होगा.’

चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम, हमारे संबंधों में विशेष तौर पर खराब दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि उन्होंने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जिनके बारे में उनके पास अब तक ऐसा स्पष्टीकरण नहीं है जिस पर भरोसा किया जा सके. यह इस बारे में संकेत देता है कि यह सोचा जाना चाहिए कि वे हमारे संबंधों को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं लेकिन इसका जवाब उन्हें देना है.’

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के हालात बीते वर्ष पांच मई को बने थे. पैंगांग झील से लगते इलाकों में दोनों के बीच हिंसक संघर्ष भी हुआ था और दोनों देशों ने अपने हजारों सैनिक और हथियार वहां तैनात किए थे.

पिछले वर्ष 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद तनाव और भी बढ़ गया था.

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हालांकि कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बाद दोनों पक्ष फरवरी में पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से तथा अगस्त में गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए राजी हो गए. सैन्य वार्ता पिछली बार 10 अक्टूबर को हुई थी जो बेनतीजा रही.

इसी बीच, भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के अन्य क्षेत्रों से सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए जल्द ही किसी तारीख पर 14वें दौर की सैन्य वार्ता कराने पर बृहस्पतिवार को सहमति व्यक्त की.

जयशंकर ने इस धारणा को ‘हास्यास्पद’ करार देते हुए खारिज कर दिया कि अमेरिका रणनीतिक रूप से सिकुड़ रहा है और शक्ति के वैश्विक पुनर्संतुलन के बीच अन्य के लिए स्थान बना रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका आज एक कहीं अधिक लचीला साझेदार है, वह अतीत की तुलना में विचारों, सुझावों और कार्य व्यवस्थाओं का अधिक स्वागत करता है.

उन्होंने सत्र के मध्यस्थ के एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘इसे अमेरिका का कमजोर होना नहीं समझें. मुझे लगता है कि ऐसा सोचना हास्यास्पद है.’ इस सत्र में अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने भी भाग लिया.

जयशंकर ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि चीन अपना विस्तार कर रहा है, लेकिन चीन की प्रकृति, जिस तरीके से उसका प्रभाव बढ़ रहा है, वह बहुत अलग है और हमारे सामने ऐसी स्थिति नहीं है, जहां चीन अनिवार्य रूप से अमेरिका का स्थान ले ले. चीन और अमेरिका के बारे में सोचना स्वाभाविक है.’

उन्होंने कहा, ‘सच्चाई यह है कि भारत समेत अन्य भी कई देश हैं, जो परिदृश्य में अधिक भूमिका निभा रहे हैं. दुनिया में पुनर्संतुलन है.’

 

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