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Thursday, 2 May, 2024
होमविदेशएक धार्मिक वैज्ञानिक होने की चुनौतियाँ

एक धार्मिक वैज्ञानिक होने की चुनौतियाँ

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(क्रिस्टोफर पी. शेइटल, समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर, वेस्ट वर्जीनिया विश्वविद्यालय)

वर्जीनिया, 28 नवंबर (द कन्वरसेशन) लोकप्रिय धारणाओं और वर्णन के आधार पर अगर आप यह मानते हैं कि यदि कोई वैज्ञानिक है तो वह धार्मिक व्यक्ति नहीं होगा तो आपको इस गलती के लिए माफ कर दिया जाएगा। लोकप्रिय टेलीविज़न शो ‘द बिग बैंग थ्योरी’ पर विचार करें, जो उन दोस्तों के बारे में है जिनमें लगभग सभी के पास भौतिकी, जीव विज्ञान या तंत्रिका विज्ञान में उन्नत डिग्री है।

मुख्य पात्र, शेल्डन – एक भौतिक विज्ञानी जो अक्सर धर्म को खारिज करता है – उसकी धर्मनिष्ठ ईसाई मां के साथ तुलना की जाती है, जो विज्ञान में रुचि नहीं रखती है और विज्ञान के बारे में अनभिज्ञ है।

ऐसी रूढ़ियाँ इस विचार को पुष्ट करती हैं कि धर्म और विज्ञान न केवल एक-दूसरे से भिन्न हैं, बल्कि आपस में भिड़े हुए भी हैं। फिर भी सामाजिक वैज्ञानिकों ने पाया है कि अधिकांश अमेरिकी जनता वास्तव में धर्म और विज्ञान को टकराव के रूप में नहीं देखती है।

जब धर्म व्यक्तियों की वैज्ञानिक विचारों के प्रति स्वीकार्यता को कम करता प्रतीत होता है, तो यह आमतौर पर तथ्यों के कारण नहीं होता है। बल्कि, धार्मिक व्यक्तियों की आपत्तियाँ अक्सर उस शोध के नैतिक निहितार्थों, या नीति निर्माण में वैज्ञानिकों की कथित भूमिका पर आधारित होती हैं।

और बहुत सारे वैज्ञानिक धार्मिक हैं, आस्था और विज्ञान के बीच स्वाभाविक रूप से टकराव होने की धारणाओं को खारिज कर रहे हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के पूर्व निदेशक फ्रांसिस कोलिन्स को ही लें, जो अपनी ईसाई मान्यताओं के बारे में खुले विचारों वाले हैं।

दूसरी ओर, धार्मिक लोगों को विज्ञान में काम करते समय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों का मानव जीवन की उत्पत्ति जैसे रूढ़िवादी मुद्दों पर आंतरिक संघर्षों से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बजाय, धार्मिक वैज्ञानिक अक्सर अपने साथियों से शत्रुता और एक पेशेवर संस्कृति का जिक्र करते हैं जो परिवार के निर्माण जैसे अन्य जीवन लक्ष्यों के लिए चुनौतियां पैदा करती है।

जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी, मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में 1,300 से अधिक अमेरिकी स्नातक छात्रों का सर्वेक्षण करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा – धर्म और विज्ञान की सामाजिक गतिशीलता को समझने की कोशिश करने के लिए मैंने कई समाजशास्त्रीय अध्ययनों में से एक किया है। इस शोध के निष्कर्ष अक्टूबर 2023 में मेरे द्वारा प्रकाशित पुस्तक, ‘द फेथफुल साइंटिस्ट: एक्सपीरियंस ऑफ एंटी-रिलिजियस बायस इन साइंटिफिक ट्रेनिंग’ में प्रस्तुत किए गए हैं।

कल्पित नास्तिकता

मेरे सर्वेक्षण के अनुसार, विज्ञान में स्नातक छात्रों में से 22% का कहना है कि वे भगवान में विश्वास करते हैं और 20% खुद को ‘बहुत’ या ‘मध्यम’ धार्मिक बताते हैं। ये प्रतिशत वैसा ही है जैसा विज्ञान संकाय में देखा जाता है, लेकिन आम अमेरिकी जनता में जो देखा जाता है उससे बहुत कम है।

प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षणों के अनुसार, लगभग आधे अमेरिकियों का कहना है कि वे ‘बाइबिल में वर्णित भगवान’ में विश्वास करते हैं, जबकि अन्य तिहाई किसी प्रकार की उच्च शक्ति में विश्वास करते हैं। गैलप ने पाया है कि 4 में से 3 अमेरिकी कहते हैं कि धर्म उनके जीवन में बहुत या काफी महत्वपूर्ण है।

उनके साथियों और संकाय की अपेक्षाकृत गैर-धार्मिक संरचना धार्मिक स्नातक छात्रों के लिए चुनौतियाँ पैदा कर सकती है। जिन धार्मिक छात्रों से मैंने बात की उनमें से कई ने एक ऐसी संस्कृति का वर्णन किया जिसमें यह मान लिया गया कि प्रयोगशाला या कक्षा में हर कोई नास्तिक था और ऐसी टिप्पणियों की अनुमति दी गई जो खुले तौर पर धर्म या धार्मिक लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण थीं। जीव विज्ञान में एक ईसाई स्नातक छात्र ने मुझसे कहा, ‘जब मैंने स्नातक विद्यालय शुरू किया तो मैं वास्तव में हैरान था… अपने साथी छात्रों के साथ-साथ प्रोफेसरों के सम्मान की कमी से। मुझे अब भी ऐसा लगता है कि मुझे अपने जीवन के उस हिस्से को छिपाने की ज़रूरत है। …मैं खुलकर बोलने को तैयार नहीं हूं।”

वास्तव में, लगभग दो-तिहाई छात्र जो बहुत धार्मिक या मध्यम धार्मिक के रूप में पहचाने जाते हैं, वे इस कथन से सहमत थे कि ‘मेरे विषय वाले लोगों का धर्म के प्रति नकारात्मक रवैया है,’ मेरे द्वारा अपनी पुस्तक में बनाए और जांचे गए एक सर्वेक्षण के अनुसार। उनमें से लगभग 40% छात्र इस बात से भी सहमत थे कि वे अपने कार्यक्रम में लोगों के प्रति अपने विचार या पहचान को ‘छिपाते’ हैं।

परिवार और करियर

विज्ञान में धार्मिक स्नातक छात्रों को अधिक सूक्ष्म सांस्कृतिक संघर्षों का भी सामना करना पड़ता है।

सामाजिक विज्ञान ने अकादमिक वैज्ञानिकों को अपने पारिवारिक जीवन को स्थापित करने और बनाए रखने में आने वाली कई चुनौतियों पर प्रकाश डाला है। एक बात तो यह है कि ग्रेजुएट स्कूल और प्री-टेन्योर पदों की मांग बढ़ रही है, जिसके कारण कई अकादमिक वैज्ञानिक बच्चे पैदा करने में देरी कर रहे हैं और जितना वे चाहते हैं उससे कम बच्चे पैदा कर रहे हैं।

अकादमिक नौकरियों की अत्यधिक प्रतिस्पर्धी प्रकृति का मतलब यह भी है कि वैज्ञानिकों को जहां वे रहते हैं वहां शायद ही कुछ कहने का मौका मिलता है, जिससे परिवार का पालन-पोषण करते समय दादा-दादी और अन्य विस्तारित परिवार के समर्थन पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है। ये सभी गतिशीलताएँ और भी कठिन हो जाती हैं यदि एक वैज्ञानिक का साथी भी वैज्ञानिक है।

ये चुनौतियाँ धार्मिक स्नातक छात्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। कई विद्वानों के अध्ययनों से पता चला है कि धर्म व्यक्तियों के दृष्टिकोण और व्यवहार को प्रभावित करता है जब यह बात आती है कि वे कितने बच्चे चाहते हैं।

दरअसल, मेरी पुस्तक के सर्वेक्षण में पाया गया कि 23% विज्ञान स्नातक छात्र जो खुद को बहुत धार्मिक मानते हैं, उनके पास पहले से ही कम से कम एक बच्चा है। इसकी तुलना मध्यम धार्मिक लोगों में 12%, थोड़े धार्मिक लोगों में 7% और उन लोगों में 6% है जो कहते हैं कि वे धार्मिक नहीं हैं। अधिक धार्मिक छात्रों ने भी भविष्य में अतिरिक्त बच्चे पैदा करने की अधिक इच्छा का संकेत दिया।

इन विचारधाराओं का करियर के रास्तों पर प्रभाव पड़ता है। मेरे सर्वेक्षण ने उत्तरदाताओं से करियर, साझेदारी और पितृत्व के महत्व को चार-बिंदु पैमाने पर रेट करने के लिए कहा। औसतन, धार्मिक छात्र अपने कम धार्मिक साथियों की तुलना में करियर को कम महत्व नहीं देते थे, लेकिन उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन को अधिक महत्व दिया।

धार्मिक विविधता के लाभ

बहुत से लोग इन चुनौतियों को ख़ारिज कर सकते हैं, क्योंकि धर्म आम तौर पर विज्ञान में विविधता का समर्थन करने और उसे बढ़ाने के बारे में बातचीत का हिस्सा नहीं है।

हालाँकि, कम से कम, अपमानजनक टिप्पणियाँ करना या किसी व्यक्ति के धर्म के प्रति शत्रुता के अन्य रूप दिखाना – जैसा कि मेरे कई उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने अनुभव किया – भेदभाव और उत्पीड़न विरोधी कानूनों का उल्लंघन हो सकता है।

इससे भी अधिक, विविधता के आयाम एक-दूसरे से पृथक नहीं हैं। मेरी पुस्तक के लिए एकत्र किए गए डेटा से पता चलता है कि विज्ञान में महिला और अश्वेत स्नातक छात्रों को पुरुष और श्वेत छात्रों की तुलना में धार्मिक के रूप में पहचाने जाने की अधिक संभावना है। उदाहरण के लिए, मेरे द्वारा सर्वेक्षण किए गए तेईस प्रतिशत अश्वेत छात्रों की पहचान ‘बहुत धार्मिक’ के रूप में हुई, जबकि श्वेत छात्रों की संख्या 7.3% थी। विविधता के एक आयाम के रूप में धर्म को नजरअंदाज करने से विज्ञान में विविधता के अन्य रूपों का समर्थन करने के प्रयासों को कमजोर करने की क्षमता है।

मैं तर्क दूंगा कि धार्मिक विविधता वैज्ञानिक समुदाय के लिए अन्य लाभ भी ला सकती है। धार्मिक वैज्ञानिकों के बीच कार्य-परिवार के मुद्दों के बढ़ते महत्व को देखते हुए, ये व्यक्ति मानदंडों और नीतियों को बदलने में महत्वपूर्ण प्रतिनिधि हो सकते हैं जो सभी वैज्ञानिकों के लिए कार्य-जीवन संतुलन में सुधार करते हैं।

इसी तरह, जो वैज्ञानिक धार्मिक हैं, वे भी अग्रज के रूप में काम कर सकते हैं, या जिसे समाजशास्त्री एलेन हॉवर्ड एक्लंड वैज्ञानिक और धार्मिक समुदायों के बीच ‘पुल-निर्माता’ कहते हैं।

अल्पावधि में, विज्ञान में स्नातक कार्यक्रम इस बात पर विचार कर सकते हैं कि वे धर्म के बारे में कैसे दृष्टिकोण रखते हैं और बात करते हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि उनके छात्रों में से लगभग 5 में से संभवतः 1 धार्मिक है।

द कन्वरसेशन एकता एकता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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