न्यूयॉर्क: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां भारतीय समुदाय को आश्वासन दिया कि संशोधित नागरिकता कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हमारी संस्कृति हमें नफरत करना नहीं सिखाती’.
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक यहां आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के सदस्यों, जिन्हें वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो, को यहां अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी.
वाशिंगटन में 18 दिसंबर 2019 को अमेरिका-भारत टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता के लिए सोमवार को अमेरिका पहुंचे सिंह ने एशिया सोसायटी नामक शिक्षण संस्थान में भारत के महावाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान यहां भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित किया.
उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लिये गये कई फैसले गिनाये जिनमें अनुच्छेद 370 को समाप्त करना, नागरिकता संशोधन कानून, तीन तलाक कानून तथा पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद पर भारत की ओर से की गयी कार्रवाई शामिल हैं.
सिंह ने कहा, ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक, जो अब कानून बन गया है, मुस्लिम विरोधी नहीं है.’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक यातनाओं की वजह से यहां आने वाले वहां के अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध तथा जैन समुदायों को नागरिकता देने के उद्देश्य से विधेयक लाया गया.
रक्षा मंत्री ने कहा कि सीएए में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया क्योंकि ये तीनों देश ‘धर्म आधारित’ तथा ‘इस्लामिक’ देश हैं और किसी इस्लामिक देश में कम से कम इस्लाम धर्म का पालन करने वालों को धार्मिक उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ता. हो सकता है कि उन्हें कुछ अन्य प्रताड़नाएं सहनी पड़ती हों लेकिन धार्मिक यातना नहीं क्योंकि देश का धर्म इस्लाम है.
सिंह ने कहा, ‘इसलिए हमने इसमें मुस्लिमों को नहीं लिया. अन्यथा हम जाति, वर्ग या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते. हमारी संस्कृति हमें नफरत नहीं सिखाती.’
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि भारत में रहने वाला हर मुस्लिम मेरा भाई, मेरे परिवार का सदस्य है.’
सीएए को लेकर असम और पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शनों के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हालात नियंत्रण में हैं. कोई भी संशय दूर किया जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि सीएबी मुस्लिम विरोधी नहीं है. अगर कोई मुझे बता दे कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है तो हम इस बारे में पुनर्विचार करेंगे, लेकिन ऐसे में नहीं कि जब कोई इस मुद्दे पर केवल माहौल बनाने की कोशिश करे. यह नहीं चलेगा.’
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर 18 दिसंबर को टू प्लस टू वार्ता के लिए सिंह तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर की मेजबानी करेंगे.
राजनाथ सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों के शौर्य का बखान करते हुए कहा कि भारत के पास अब अपने लड़ाकू विमान होंगे. उन्होंने कहा, ‘अगर हमें आतंकी शिविरों को तबाह करना हुआ तो विमानों को पाकिस्तान ले जाने की जरूरत नहीं होगी. हम भारत से यह कर सकते हैं.’
जब एक श्रोता ने रक्षा मंत्री को उनका बयान याद दिलाया कि अगर पाकिस्तान से कोई बात होगी तो पीओके पर होगी, इस पर सिंह ने कहा, ‘बात क्या होगी. पीओके तो अपना है ही.’
इस पर श्रोताओं ने तालियां बजाईं.
उन्होंने कहा कि अगर भारत चाहता तो वह पाकिस्तान में सैन्य प्रतिष्ठानों और असैन्य इलाकों में हमले कर सकता था लेकिन इससे बड़ी संख्या में लोग हताहत होते.
सिंह ने कहा, ‘लेकिन हमने सावधानी बरती और फैसला किया कि उन्हीं जगहों को निशाना बनाएंगे जहां आतंकी प्रशिक्षण शिविर हैं. एक भी नागरिक नहीं मारा गया और हमने पाकिस्तान के किसी सैन्य प्रतिष्ठान पर भी हमला नहीं किया. हम किसी देश की संप्रभुता पर कभी हमला नहीं चाहते. यही हमारा चरित्र है.’
सिंह ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहता है.
उन्होंने 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘लेकिन पाकिस्तान ने हमें बदले में क्या दिया-करगिल.’
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों तथा सरकार प्रमुखों को बुलाने का फैसला किया था.
राजनाथ सिंह ने इसका उल्लेख करते हुए कहा, ‘यह हमारे प्रधानमंत्री की सोच दर्शाता है. हमें अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध रखने चाहिए. लेकिन पाकिस्तान हमसे कैसा बर्ताव करता है. आप देख सकते हैं.’