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सोमवार, 26 मई, 2025
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बांग्लादेश के सरकारी कर्मचारियों ने नये सेवा कानून के खिलाफ अपना विरोध जारी रखने का संकल्प जताया

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ढाका/नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) बांग्लादेश में सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों ने सोमवार को राजधानी ढाका स्थित सचिवालय पर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प जताया और अपने सहकर्मियों से उस नए सेवा कानून के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन करने का आग्रह किया, जो कदाचार के लिए अधिकारियों को आसानी से बर्खास्त करने की अनुमति देता है।

नए सेवा कानून के खिलाफ विरोध तेज करते हुए आज सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों ने बांग्लादेश सचिवालय के मुख्य द्वार पर कुछ देर के लिए ताला जड़ दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने लोक सेवा (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अपने विरोध प्रदर्शन के तीसरे दिन मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया।

उन्होंने देश भर के अधिकारियों और कर्मचारियों से मंगलवार को ‘‘दमनकारी’’ और ‘‘काले कानून’’ के खिलाफ प्रदर्शन करने का आग्रह किया।

सचिवालय में मंत्रालय और महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय स्थित हैं।

छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के एक प्रमुख नेता हसनत अब्दुल्ला ने सरकारी कर्मचारियों को विरोध प्रदर्शन के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘हम लोगों के समर्थन से इसका दृढ़ता से विरोध करेंगे।’’

पिछले वर्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से बेदखल करने वाले छात्र आंदोलन के प्रमुख नेता अब्दुल्ला ने प्रदर्शनकारियों को अपदस्थ प्रधानमंत्री का सहयोगी बताया।

खबरों के अनुसार, कर्मचारियों द्वारा काम बंद रखने के कारण परिसर के अंदर आधिकारिक गतिविधियां काफी हद तक ठप रहीं।

मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा उस संशोधित कानून को अधिसूचित करने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, जिससे कदाचार के लिए अधिकारियों को आसानी से बर्खास्त किया जा सकता है।

सरकारी कर्मचारियों ने अध्यादेश को रद्द किए जाने तक प्रदर्शन जारी रखने की धमकी दी है। अधिकारियों ने परिसर में किसी भी संभावित हिंसा के खिलाफ सतर्कता बरतते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है।

इस बीच, ढाका दक्षिण नगर निगम के कर्मचारी अदालती आदेश के अनुरूप बीएनपी नेता इशराक हुसैन को महापौर बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं, जिसके कारण प्रशासनिक सेवाएं ठप्प हो गई हैं।

निर्वाचन आयोग ने फैसले का विरोध नहीं किया, लेकिन अंतरिम सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी, जिसमें हुसैन के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने तथा महापौर की भूमिका का निर्वहन करने के लिए नियुक्त प्रशासक को काम जारी रखने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया।

वहीं, सेना ने सोमवार को चुनाव कराने की संभावित समयसीमा और अन्य नीतिगत मुद्दों को लेकर सैन्य और नागरिक प्रशासन नेतृत्व में मतभेद की खबरों के बीच स्पष्टीकरण दिया।

बांग्लादेश सेना के ब्रिगेडियर जनरल एम नाजिम-उद-दौला ने कहा कि सेना के अंतरिम सरकार के साथ कोई मतभेद नहीं है। हालाकि, उन्होंने दावा किया कि देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा में अपनी भूमिका निभाने के लिए सेना प्रतिबद्ध है।

भाषा शफीक वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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