scorecardresearch
Wednesday, 18 December, 2024
होमविदेशक्यों 60 लाख कोरियाई अयोध्या से जुड़ाव महसूस करते हैं?

क्यों 60 लाख कोरियाई अयोध्या से जुड़ाव महसूस करते हैं?

भारत और कोरिया के बीच एक गहरा ऐतिहासिक संबंध है जिसकी ज़्यादा चर्चा नहीं होती. माना जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्ना कोरिया 48 ईसा पूर्व में गईं थी और कोरिया के राजा सुरो से उनका विवाह हुआ था.

Text Size:

कोरिया के राष्ट्रपति की पत्नी किम जोंग-सूक अयोध्या में रानी सूरीरत्ना (हौ ह्वांग-ओक) के स्मारक का शिलान्यास करेंगी.

नई दिल्ली: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन की पत्नी किम जोंग-सूक एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आ रही हैं. वे चार से सात नवंबर तक भारत में रहेंगी और अयोध्या में रानी सूरीरत्ना (हौ ह्वांग-ओक) के स्मारक का 6 नवंबर को शिलान्यास करेंगी. महारानी हौ का स्मारक अयोध्या में सरयू नदी के किनारे पर स्थित है. वे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम में भी भाग लेंगी.

भारत और दक्षिण कोरिया के बीच जुलाई 2018 में कोरियाई राष्ट्रपति मून जे -न की भारत यात्रा के दौरान इस स्मारक परियोजना के विस्तार पर समझौता हुआ था जिसके लिए दोनों सरकारें अंशदान देने वाली थी. दोनों सरकारों ने इसे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक विरासत और लंबी मित्रता की निशानी बताया.

क्या है कहानी

भारत और कोरिया के बीच एक गहरा ऐतिहासिक संबंध है जिसकी ज़्यादा चर्चा नहीं होती. माना जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्ना कोरिया 48 ईसा पूर्व में गईं थी और कोरिया के राजा सुरो से उनका विवाह हुआ था.

राजकुमारी सुरीरत्ना का पहली बार ज़िक्र कोरिया के 13वी सदी की कृति सामगुक युसा में मिलता है. इसमें कहा गया है कि थ्री किंगडम शासन काल में राजा सूरो ग्वेमग्वान गया के शासक थे. सामगुक युसा ग्रंथ को बौध भिक्षुओं ने लिखा था जिसमें ऐतिहासिक बातें हैं और किवदंतियां भी.

आधुनिक कोरिया का नाम भी गोगूरेयो से आया है जो कि कोरिया के तीन राज्यों बेजके, सिला और गोगुरेयो में से एक था. इस ग्रंथ में लिखा है कि हौ अयुता राज्य की राजकुमारी थी और जब वो 16 साल की थी वे कोरिया पहुंची. यहां उनका राजा सूरो से विवाह हुआ और वे ग्वेमग्वान गाया की पहली रानी बनी.

समगुक युसा में लिखा है, ‘मैं अयुता (भारत स्थित) की राजकुमारी हूं. मेरे परिवार का नाम हौ है, और मुझे ह्वांग औक नाम दिया गया है, मेरी उम्र 16 साल है. इस साल मई में मेरे शाही मां बाप ने मुझसे कहा, ‘कल रात हमने एक सपना देखा जिसमें एक भगवान ने हमसे कहा, मैने सूरो को कारक का राजा बनने भेजा है. सूरो धार्मिक आदमी है. उसकी अभी तक शादी नहीं हुई है, इसलिए तुम अपनी बेटी को उसकी रानी बनने के लिए भेजो.’ फिर वे स्वर्ग सिधार गए…’

समगुक युसा के अनुसार राजा कहता है, ‘मुझे पता था कि आप आ रहीं हैं.’ राजा ने उनसे कहा, ‘इसलिए मैंने सभी लड़कियों को जिन्हें मेरे सलाहकारों ने अपनी पत्नी बनाने का सुझाव दिया था, मना कर दिया. अब मेरा दिल बहुत खुश है क्योंकि सबसे सुंदर और सदाचारी लड़की मेरी रानी बनेगी.’

अयोध्या का ज़िक्र

इस ग्रंथ में अयुता राज्य का ज़िक्र है पर कही नहीं लिखा है कि ये था कहा. बस इतने संकेत है कि ये एक प्राचीन भूमि है. कुछ लोग ध्वनि एकसमान होने के कारण अयुता को अयोध्या मानते हैं. पर गौर करने की बात है कि तब अयोध्या का नाम साकेत था.

अयोध्या के नरेश बिमलेन्द्र मोहन प्रताप सिंह कहते है कि ‘अयोध्या का कोरिया कनेक्शन एक ऐतिहासिक तथ्य है. मैं कोरिया के राष्ट्रपति के न्यौते पर कोरिया गया था और वहां मुझे इसके साक्ष्य भी दिखे. कोरियाई लोगो का मानना है कि अगर राजा सूरो ने कोरिया को बसाया और अगर हौ न होती तो आज का कोरियाई गणराज्य भी न होता.’

वे कहते है कि पिछले 20 सालों से लगातार एक- दो उच्चस्तरीय कोरियाई प्रतिनिधिमंडल हर साल आते है और अयोध्या के राज सदन में उनका सादर सत्कार होता है.

आज माना जाता है कि इस परिवार के वंशजों की संख्या 60 लाख है. इसमें किम, हौ, इंछौन ली गोत्र शामिल है. उनके वंशजों ने 7वी शताब्दी में कोरियाई राज्यों का प्रथम एकीकरण करने वाले जनरल किम यू शिन तथा पूर्व कोरियाई राष्ट्रपति किम दे-चुंग और प्रधानमंत्री किम जांन्ग पिल शामिल हैं.

दक्षिण कोरिया के लोगों का मानना है कि गिमहे के कारक समुदाय के लोग रानी और राजा सूरो के वंश के हैं. रानी हियो का मकबरा गिमहे में मौजूद हैं और उसके सामने पत्थर के पगोडा पर लिखा है कि ये अयोध्या से लाए गए पत्थरों से बना है. इस वंश के लोगों ने उन पत्थरों को संभाल कर रखा है जिनके बारे में माना जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी अपनी समुद्र यात्रा के दौरान नाव को संतुलित रखने के लिए साथ लाई थीं. किमहये शहर में इस राजकुमारी की एक बड़ी प्रतिमा भी है.

बिमलेन्द्र मिश्र को आशा है कि ‘ इस स्मारक को विस्तार दिया जा रहा है. और मुझे आशा है कि बुद्धिस्ट सर्किट में आने वाले बौध श्रद्धालू भी अयोध्या आयेंगे और यहां पर्यटन का विस्तार होगा. फर्स्ट लेडी का आना दिखाता है कि कोरिया का इंटरेस्ट बढ़ा है. ‘

पर इतिहासकार इसे किवदंती मानते हैं इतिहास नहीं. पर इतिहास या विश्वास जो भी हो, इस समय भारत और दक्षिण कोरिया के रिश्तें नई गर्मजोशी देख रहे हैं. कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन को मोदी की भेजी मोदी जैकेट पसंद आ रही है, पहली बार कोरिया के राष्ट्रपति की पत्नी अपने पति के बिना राजकीय यात्रा पर आ रहीं हैं. उत्तर प्रदेश सरकार को आशा है कि इस साल दीपोत्सव कार्यक्रम में 5000 कोरियाई भी शामिल होंगे.

share & View comments