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रविवार, 8 जून, 2025
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अंटार्कटिका के ‘एम्परर पेंगुइन’ 2100 तक हो सकते हैं विलुप्त : नए शोध में खुलासा

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(जैस्मीन ली : संरक्षण जीवविज्ञानी, क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लैडाइन चाड्स: प्रधान अनुसंधान वैज्ञानिक, सीएसआईआरओ और जस्टिन शॉ: संरक्षण जीवविज्ञानी, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय)

मेलबर्न, 25 दिसंबर (द कन्वरसेशन) अंटार्कटिका के पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने के लिए बड़े स्तर पर संरक्षण संबंधी प्रयासों की आवश्यकता है, और यदि हम अपना रुख नहीं बदलते हैं तो अंटार्कटिका की 97 प्रतिशत भूमि आधारित प्रजातियों की आबादी में वर्ष 2100 तक भारी कमी आ सकती है। एक नए शोध में इस बात का पता चला है।

आज प्रकाशित इस शोध में यह भी पाया गया है कि अंटार्कटिका की जैव विविधता के लिए खतरों को कम करने के लिए दस प्रमुख रणनीतियों को लागू करने के लिए प्रति वर्ष केवल 2.30 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर्याप्त होंगे।

यह अपेक्षाकृत छोटी धन राशि अंटार्कटिका के 84 प्रतिशत स्थलीय पक्षी, स्तनपायी और पौधों के समूहों के संरक्षण को लाभान्वित करेगी।

हमने शोध में जलवायु परिवर्तन को अंटार्कटिका के अनूठे पौधों और जानवरों की प्रजातियों के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में पहचाना है।

वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि को सीमित करना अंटार्कटिका के जीवों के भविष्य को सुरक्षित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।

अंटार्कटिका की भूमि-आधारित प्रजातियों ने पृथ्वी पर सबसे ठंडे, हवादार, सबसे ऊंचे, सूखे महाद्वीप में जीवित रहने के लिए खुद को ढाला है।

इन प्रजातियों में दो फूल वाले पौधे, हार्डी मॉस और लाइकेन, कई सूक्ष्म जीव, कठिन अकशेरूकीय और सैकड़ों हजारों प्रजनन समुद्री पक्षी शामिल हैं, जिनमें एम्परर और एडेली पेंगुइन शामिल हैं।

अंटार्कटिका पृथ्वी और मानव जाति को अमूल्य सेवाएं भी प्रदान करता है। यह वायुमंडलीय परिसंचरण और महासागरीय धाराओं को चलाकर और गर्मी तथा कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके वैश्विक जलवायु को नियंत्रित करने में मदद करता है। अंटार्कटिका ऑस्ट्रेलिया में मौसम के मिजाज को भी संचालित करता है।

कुछ लोग अंटार्कटिका को एक सुरक्षित, संरक्षित जंगल मानते हैं। लेकिन इस महाद्वीप के पौधों और जानवरों को अभी भी कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इन खतरों में जलवायु परिवर्तन प्रमुख है। जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हो रही है, अंटार्कटिका के बर्फ-मुक्त क्षेत्रों के विस्तार की आशंका जताई जाती है, जिससे वन्य जीवन के लिए उपलब्ध आवास तेजी से बदल रहे हैं। इसके अलावा जैसे-जैसे मौसम संबंधी असाधारण घटनाएं बढ़ रही हैं, अंटार्कटिका के पौधों और जानवरों को नुकसान होने की आशंका अधिक है।

इतना ही नहीं, हर साल बर्फीले महाद्वीप पर जाने वाले वैज्ञानिक और पर्यटक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उदाहरण के लिए, प्रदूषण और जमीन या पौधों को परेशान करना। इसके अलावा अंटार्कटिका में अधिक मानव आगंतुकों और तापमान में मामूली वृद्धि होने से भी आक्रामक प्रजातियों के पनपने की स्थिति पैदा होती है।

तो ये खतरे अंटार्कटिका की प्रजातियों को कैसे प्रभावित करेंगे? और उन्हें कम करने के लिए कौन सी संरक्षण रणनीतियों का उपयोग किया जा सकता है? हमारा यह शोध इन सवालों के जवाब खोजने के लिए निर्धारित किया गया है।

हमने अपने शोध में क्या पाया—

हमारे अध्ययन में अंटार्कटिक जैव विविधता, संरक्षण, रसद, पर्यटन और नीति में 29 विशेषज्ञों के साथ काम करना शामिल था। विशेषज्ञों ने मूल्यांकन किया कि अंटार्कटिका की प्रजातियां भविष्य के खतरों पर कैसे प्रतिक्रिया देंगी।

सबसे खराब स्थिति के तहत, अंटार्कटिक स्थलीय प्रजातियों की 97 प्रतिशत आबादी और प्रजनन समुद्री पक्षी की संख्या में मौजूदा समय और 2100 के बीच कमी आ सकती है, यदि मौजूदा समय में किए जा रहे संरक्षण प्रयास ऐसे ही रहते हैं।

सबसे अच्छे रूप में, महाद्वीप पर 37 प्रतिशत प्रजातियों की आबादी घट जाएगी। सबसे संभावित परिदृश्य वर्ष 2100 तक महाद्वीप के 65 प्रतिशत पौधों और वन्य जीवन में गिरावट है।

शोध में पता चला है कि एम्परर पेंगुइन के 2100 तक विलुप्त होने का खतरा काफी अधिक है।

एम्परर पेंगुइन, दुनिया का सबसे बड़ा पेंगुइन है और यह अंटार्कटिका के लिए स्थानिक केवल दो पेंगुइन प्रजातियों में से एक है। यह अंटार्कटिक की सर्दियों के दौरान बच्चे को जन्म देता है और अप्रैल से दिसंबर तक नवेली चूजों के घोंसले के लिए ठोस समुद्री बर्फ की आवश्यकता होती है।

द कन्वरसेशन रवि कांत दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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