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Sunday, 17 November, 2024
होमविदेशडब्ल्यूएचओ के प्रति नरम हुआ अमेरिका, कहा-'भ्रष्टाचार और चीन के प्रति झुकाव खत्म हो तो फिर शामिल होने पर करेगा विचार'

डब्ल्यूएचओ के प्रति नरम हुआ अमेरिका, कहा-‘भ्रष्टाचार और चीन के प्रति झुकाव खत्म हो तो फिर शामिल होने पर करेगा विचार’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का साथ देने का आरोप लगाते हुए उनकी फंडिंग बंद करने की बात कही थी और 14 अप्रैल को फैसला लिया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की अमेरिका से दी जा रही फंडिंग रोक दी जाएगी.

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वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने रविवार को कहा कि अगर डब्ल्यूएचओ भ्रष्टाचार और चीन के प्रति झुकाव को खत्म करे तो उनका देश फिर से इसमें शामिल हो सकता है.

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से नाता तोड़ते हुए उसपर चीन के प्रति झुकाव रखने और कोरोना वायरस महामारी को लेकर जानकारियां छिपाने का आरोप लगाया था.

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने एबीसी न्यूज से कहा, ‘राष्ट्रपति ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ में सुधार की जरूरत है. अगर उसमें सुधार होता है और भ्रष्टाचार तथा चीन के झुकाव खत्म होता है तो अमेरिका बहुत गंभीरता से इसमें दोबारा शामिल होने पर विचार करेगा.’

बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का साथ देने का आरोप लगाते हुए उनकी फंडिंग बंद करने की बात कही थी और 14 अप्रैल को फैसला लिया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की अमेरिका से दी जा रही फंडिंग रोक दी जाएगी.

यही नहीं इस बाबत बीते सोमवार को ट्रंप ने रोक लगाए जाने को लेकर एक पत्र भी ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर कई तरह के आरोप लगाए थे और साल उठाए थे. उस पर चीन के इशारों पर काम करते हुए दुनिया को इस संक्रमण के खतरे को कम आंक कर बताने का आरोप लगाया है.

ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से सवाल करते हुए बीते सोमवार को चार पन्नो का एक पत्र ट्वीट किया था.

इससे पहले 14 अप्रैल 2020 को ट्रंप प्रशासन ने फैसला लिया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमरीकी फंडिंग रोक जी जाये क्योंकि संगठन चीन के इशारों पर काम कर रहा था और उसने कोविड 19 की गंभीरता को छुपा के रखा. ट्रंप का कहना था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन मे वुहान में दिसम्बर 2019 में फैंले कोविड को गंभीरता से नहीं लिया, लैंसेट जैसे मेडिकल जर्नल्स की चेतावनी को नज़रअंदाज़ किया.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस को लिखे चार पन्नों के पत्र में ट्रंप ने कहा था, ‘यह साफ है कि आपने और आपके संगठन ने महामारी से निपटने में बार-बार गलत कदम उठाए हैं जो दुनिया को बहुत महंगा पड़ा है. डब्ल्यूएचओ के सामने सिर्फ यह रास्ता रहता है कि क्या वह असल में दिखा सकता है कि वह चीन से प्रभावित नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे प्रशासन ने आपसे इस बात पर पहले ही चर्चा शुरू कर दी है कि संगठन में सुधार कैसे हों. लेकिन तेजी से कार्रवाई की जरूरत है. हमारे पास ज़ाया करने के लिए वक्त नहीं है.’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा फर्ज है कि आपको सूचित करुं कि अगर डब्ल्यूएचओ अगले 30 दिन में बड़े मूल सुधारों के लिए प्रतिबद्ध नहीं होता है तो डब्ल्यूएचओ को स्थायी रूप से रोकी गई अमेरिकी आर्थिक सहायता को मैं स्थायी रूप से रोक दूंगा और संगठन में अमेरिका की सदस्यता के बारे में फिर से सोचूंगा.’

ट्रंप ने कहा, ‘मैं अमेरिकी करदाताओं के डॉलर को उस संगठन को देने की इजाजत नहीं दे सकता हूं, जो अपनी मौजूदा स्थिति में साफ तौर पर अमेरिकी हितों की सेवा नहीं कर रहा है.’

ट्रंप ने 18 मई को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएचओ वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच की अनुमति देने के लिए चीन से सार्वजनिक रूप से अपील करने में नाकाम रहा है, बावजूद इसके कि उसकी अपनी आपात समिति ने इसका समर्थन किया है.

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