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Wednesday, 26 June, 2024
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अमेरिका: ‘चलो इंडिया’ पहल के उपलक्ष्य में संगीतकार दीक्षितार पर आधारित वृत्तचित्र प्रदर्शित की गई

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(ललित के झा)

वाशिंगटन, नौ मार्च (भाषा) अमेरिका के वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास में 18वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित संगीतकार मुथुस्वामी दीक्षितार द्वारा औपनिवेशिक भारत में पाश्चात्य संगीत की धुनों को संस्कृत गीतों में पिरोने की कला पर आधारित एक वृत्तचित्र फिल्म प्रदर्शित की गई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए शुरू किये गये ‘चलो इंडिया ग्लोबल डायस्पोरा प्रोग्राम’ के उपलक्ष्य में इस वृत्तचित्र फिल्म का प्रदर्शन किया गया।

यह फिल्म डॉ. कृष्णमूर्ति कन्निकेश्वरन द्वारा बनाई गई है, जिन्हें कन्निक के नाम से भी जाना जाता है। भारत में जन्मे डॉ. कृष्णमूर्ति एक अमेरिकी संगीतकार, विद्वान, संगीतकार, लेखक और संगीत शिक्षक हैं। वह ओहियो के सिनसिनाटी में संगीत सिखाते हैं। उन्हें ‘जादुई संगीतकार’ भी कहा जाता है।

दीक्षितार का जन्म तमिलनाडु के तिरुवरुर में हुआ था। वह एक कवि, गायक, वीणा वादक और भारतीय शास्त्रीय संगीत के संगीतकार थे।

यह वृत्तचित्र फिल्म दीक्षितार (1775-1835) द्वारा औपनिवेशिक भारत में पाश्चात्य संगीत की धुनों को संस्कृत गीतों में पिरोने की कला को दिखाती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में भारतीय प्रवासियों को ‘अतुल्य भारत’ अभियान से जुड़ने और भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करने के लिए ‘चलो इंडिया ग्लोबल डायस्पोरा अभियान’ शुरू किया था।

यह प्रधानमंत्री मोदी के प्रवासी भारतीयों से कम से कम पांच गैर-भारतीय मित्रों को भारत की यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करने के आह्वान पर आधारित है।

चेन्नई में जन्मे कन्निकेश्वरन ने कहा कि दीक्षितार के काम का दस्तावेजीकरण करने के पीछे का उद्देश्य दुनिया के साथ भारत के सांस्कृतिक इतिहास का वह हिस्सा साझा करना था जिसके बारे में दुनिया नहीं जानती।

कन्निकेश्वरन ने कहा, ‘‘ दरअसल, भारत में बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता कि क्या दीक्षितार का अस्तित्व था अथवा इस तरह का आविष्कार 200 साल पहले हुआ था। मुझे यकीन है कि जब हम इतिहास में गहराई से उतरेंगे, तो ऐसी और भी ऐतिहासिक बातें सामने आएंगी, और उन सभी का जश्न मनाने, उन्हें प्रकाशित करने और दुनिया को उपलब्ध कराने की जरूरत है।’’

अमेरिका में भारत की उप राजदूत श्रीप्रिया रंगनाथन ने कहा कि कन्निकेश्वरन का काम तमिल संस्कृति पर प्रकाश डालता है, जो भारत के विविध सांस्कृतिक समूह में गौरव का स्थान रखती है।

रंगनाथन ने कहा, ‘‘हम हमेशा से यह जानते हैं कि तमिल, मलयालम और संस्कृत के साथ प्राचीन भारतीय भाषाएं हैं। भारतीय साहित्य, भारतीय कविता, भारतीय संगीत का अधिकांश भाग इन भाषाओं में रचा-बसा है।’’

कन्निकेश्वरन ने कहा कि ‘चलो इंडिया’ एक शानदार विचार है।

भाषा रवि कांत संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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