नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच 4 दिनों तक चली सीमा पार की सशस्त्र शत्रुता को समाप्त करने वाले युद्ध विराम में अमेरिका की भागीदारी का दावा करने के एक दिन बाद, राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अब कश्मीर मुद्दे के “हज़ार साल” बाद “समाधान” के लिए अमेरिकी मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा है, और भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार का विस्तार करने का संकल्प लिया है.
रविवार की सुबह सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में, ट्रंप ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद में नेतृत्व की प्रशंसा की और कहा कि उन्हें गर्व है कि अमेरिका “इस ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय पर पहुंचने में मदद करने में सक्षम था.”
“मुझे भारत और पाकिस्तान के मज़बूत और अडिग शक्तिशाली नेतृत्व पर बहुत गर्व है, क्योंकि उनके पास यह जानने और समझने की शक्ति, बुद्धि और धैर्य है कि वर्तमान आक्रामकता को रोकने का समय आ गया है, जो इतने सारे लोगों की मौत और विनाश का कारण बन सकती है। लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे!” ट्रंप ने लिखा.
उन्होंने कहा, “आपकी विरासत आपके साहसिक कार्यों से बहुत बढ़ी है. मुझे गर्व है कि अमेरिका आपको इस ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय पर पहुंचने में मदद करने में सक्षम था. हालांकि इस पर चर्चा भी नहीं हुई है, लेकिन मैं इन दोनों महान राष्ट्रों के साथ व्यापार को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं. इसके अलावा, मैं आप दोनों के साथ मिलकर यह देखने के लिए काम करूंगा कि क्या ‘हजार साल’ के बाद कश्मीर के संबंध में कोई समाधान निकाला जा सकता है. भगवान भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को अच्छी तरह से किए गए काम के लिए आशीर्वाद दें!!!”
भारत और पाकिस्तान ने शनिवार को घोषणा की कि दोनों देश 1700 बजे IST से भूमि, वायु और समुद्र से सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए हैं. हालांकि, इस आधिकारिक बयान के जारी होने से पहले, ट्रंप ने एक अन्य ट्रुथ सोशल पोस्ट में दावा किया कि युद्धविराम “अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की बातचीत” के बाद हुआ था.
एक्स पर एक अलग पोस्ट में, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने लिखा कि उन्होंने और उप-राष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने पिछले 48 घंटों में “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर, सेना प्रमुख असीम मुनीर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और असीम मलिक सहित वरिष्ठ भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत की है.”
भारत सरकार, जिसने लगातार कहा है कि भारत-पाकिस्तान के मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए, ने बाद में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच आपसी समझ बन गई है.
पाकिस्तान ने भी युद्ध विराम के बाद कहा कि यह ज्यादातर ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी, सऊदी राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान और तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान जैसे “मित्रों” के बीच “व्हाट्सएप कूटनीति” के माध्यम से किया गया था, जिनके साथ पिछले 24 घंटों में व्यापक बातचीत हुई थी, उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के एक बयान के अनुसार. दोनों देशों ने अपने शुरुआती बयानों में अमेरिका का कोई उल्लेख नहीं किया.
हालांकि, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रात में एक एक्स पोस्ट में ट्रंप को “क्षेत्र में शांति के लिए उनके नेतृत्व और सक्रिय भूमिका” समेत “इस परिणाम को सुगम बनाने” के लिए धन्यवाद दिया.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो कबीर तनेजा ने दिप्रिंट को बताया कि शत्रुता समाप्त होना एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है, लेकिन नई दिल्ली इस्लामाबाद के लिए किसी भी संभावित आर्थिक प्रोत्साहन को संदेह की दृष्टि से देख सकती है. उन्होंने कहा, “एक तरह से, शत्रुता समाप्त होना कुल मिलाकर एक अच्छी बात है. हालांकि, बदले में पाकिस्तान को संभावित रूप से आर्थिक लाभ मिलना नई दिल्ली के लिए इस पूरे केस में अनचाहा परिणाम माना जाएगा.”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को आर्थिक रूप से मज़बूत करना बार-बार बेकार साबित हुआ है. यह रावलपिंडी को थोड़े समय के लिए संभालने की कोशिश तो हो सकती है, लेकिन आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले इस देश की असली समस्या का कोई स्थायी हल नहीं है.”
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