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Friday, 15 November, 2024
होमविदेशअफगानी महिलाओं की जिंदगी 'व्यवस्थित भेदभाव' के साये में, अधिकतर तालिबान के जुल्म का शिकार: UN रिपोर्ट

अफगानी महिलाओं की जिंदगी ‘व्यवस्थित भेदभाव’ के साये में, अधिकतर तालिबान के जुल्म का शिकार: UN रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत रिचर्ड बेनेट द्वारा जारी रिपोर्ट ने महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव पर प्रकाश डाला है और कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ व्यवस्थित भेदभाव होता है.

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नई दिल्ली: तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में महिलाओं पर जुल्म और भेदभाव के केस बढ़े हैं. इसकी जानकारी एक रिपोर्ट के माध्यम से मिली है.

संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत रिचर्ड बेनेट द्वारा जारी रिपोर्ट ने महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव पर प्रकाश डाला है और कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ व्यवस्थित भेदभाव होता है.

रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2021 और मई 2023 के बीच इस्लामिक सरकार द्वारा महिलाओं और लड़कियों के संबंध में 50 से अधिक फरमान जारी किए गए, जिसने “अफगान महिलाओं को शिक्षा, काम और सामाजिक और राजनीतिक जीवन में भागीदारी के अधिकार से वंचित कर दिया है.” 

 इसमें कहा गया है, “आज अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ व्यवस्थित भेदभाव के कई उदाहरण हमारे पास है. उनके अधिकारों पर प्रतिबंध लगाना, स्वतंत्रता को कम करना, पोशाक और शिक्षा तक उनकी पहुंच को कम करने के साथ साथ काम, स्वास्थ्य और न्याय जैसे विषयों को तालिबान सरकार द्वारा कम किया है.”

इस रिपोर्ट में शामिल विषयों में शिक्षा, आत्महत्या, अवसाद, जबरन विवाह और अफगानिस्तान में बच्चों की बिक्री के मुद्दे को शामिल किया गया हैं.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “तालिबान का महिलाओं के लिए फरमान महिलाओं और लड़कियों के लिए समाज में किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता को कम करता है और बुनियादी सेवाओं तक पहुंच और जीविकोपार्जन पर रोक लगाता है.”

महिला अधिकार कार्यकर्ता अलमताब रासौली कहती हैं, “हमें ऐसी महिलाओं की जरूरत है जो डॉक्टर, इंजीनियर, वकील हों और इस समाज में प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों की वकालत करें. लेकिन तालिबान के शासन में ऐसा संभव नहीं दिख रहा है.”

रिपोर्ट के अनुसार, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन न करने की शर्त पर कई प्रदर्शनकारी महिलाओं को इस्लामिक अमीरात की जेलों से रिहा कर दिया गया.

हालांकि, इस्लामिक अमीरात ने इस रिपोर्ट को अनुचित और निराधार बताया और कहा कि इस रिपोर्ट में अफगानिस्तान के इस्लामी और सांस्कृतिक मूल्यों की अनदेखी की गई है.

स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप ने इस रिपोर्ट के लिए कुल 79 अफगानी लोगों (67 महिलाएं और 12 पुरुष) का साक्षात्कार लिया, जिनमें से 63 (51 महिलाएं और 12 पुरुष) अफगानिस्तान में रह रहे हैं. उनमें मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार, वकील, शिक्षाविद, उद्यमी, शिक्षक, छात्र, सामाजिक लोग और व्यवसायी महिलाएं शामिल थीं. इसके अलावा, उन्होंने मार्च 2023 में 18 प्रांतों में 2,112 अफगान महिलाओं का एक सर्वेक्षण किया. 

2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से अफगानिस्तान की महिलाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. युद्धग्रस्त देश में लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच नहीं है.

तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ, विधानसभा और आंदोलन के अधिकारों पर कठोर प्रतिबंध लगाए हैं.


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