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मंगलवार, 3 जून, 2025
होमविदेशएक ऐसा जीवाणु जो भोजन के लिए अस्पताल के प्लास्टिक पर निर्भर रहता है

एक ऐसा जीवाणु जो भोजन के लिए अस्पताल के प्लास्टिक पर निर्भर रहता है

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(रोनन मैक्कार्थी और रूबेन डी डिओस, ब्रुनेल विश्वविद्यालय-लंदन)

किंगस्टन (ब्रिटेन), 25 मई (द कन्वरसेशन) प्लास्टिक प्रदूषण हमारे समय की सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है और प्रकृति के कुछ सबसे छोटे जीव इससे निपटने का एक आश्चर्यजनक तरीका सुझा सकते हैं।

हाल के वर्षों में सूक्ष्मजीव विज्ञानियों ने विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक को तोड़ने में सक्षम एक ऐसे जीवाणु की खोज की है, जो भविष्य में प्लास्टिक के निपटान के लिए अधिक टिकाऊ मार्ग की ओर संकेत करता है।

ये ‘प्लास्टिक खाने वाले’ सूक्ष्मजीव एक दिन लैंडफिल और महासागरों में जमा कचरे के पहाड़ों को कम करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन, वे हमेशा प्लास्टिक की समस्या का एक आदर्श समाधान नहीं होते हैं। गलत वातावरण में, वे गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

अस्पतालों में टांके (खास तौर पर घुलने वाले टांके), घाव की ड्रेसिंग और प्रतिरोपण जैसी चीजों में प्लास्टिक का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। तो क्या अस्पतालों में पाए जाने वाले जीवाणु प्लास्टिक को तोड़कर खा सकते हैं?

यह जानने के लिए हमने अस्पताल के ज्ञात रोगाणु (हानिकारक जीवाणु) के जीनोम का अध्ययन किया, ताकि यह देखा जा सके कि क्या उनमें पर्यावरण में मौजूद कुछ जीवाणुओं में पाए जाने वाले प्लास्टिक-विघटनकारी एंजाइम मौजूद हैं।

हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि अस्पतालों में पाए जाने वाले कुछ जीवाणु जैसे कि स्यूडोमोनास एरुगिनोसा, प्लास्टिक को विघटित करने में सक्षम हो सकते हैं।

पी एरुगिनोसा जीवाणु के कारण हर साल दुनिया भर में लगभग 5,59,000 लोगों की मौत होती है और इनमें अधिकतर संक्रमण अस्पतालों में फैलता है।

वेंटिलेटर पर रहने वाले अथवा सर्जरी या जलने से खुले घाव वाले मरीजों को पी एरुगिनोसा संक्रमण का विशेष खतरा होता है। साथ ही, कैथेटर वाले मरीजों को भी पी एरुगिनोसा संक्रमण का खतरा होता है।

हमने जीवाणु डेटाबेस की कम्प्यूटेशनल खोज से आगे बढ़कर प्रयोगशाला में पी एरुगिनोसा की प्लास्टिक खाने की क्षमता का परीक्षण करने का निर्णय लिया। इस जीवाणु के एक विशेष प्रकार पर ध्यान केंद्रित किया जिसमें प्लास्टिक खाने वाले एंजाइम बनाने वाला जीन था। इसे घाव के संक्रमण से पीड़ित एक मरीज से अलग किया गया था।

हमने पाया कि यह न केवल प्लास्टिक को तोड़ सकता है, बल्कि प्लास्टिक को भोजन के रूप में इस्तेमाल करके विकसित भी हो सकता है। यह क्षमता एक एंजाइम से आती है जिसे हमने पैप1 नाम दिया है।

बायोफिल्म—

पी एरुगिनोसा को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उच्च प्राथमिकता वाला रोगाणु माना जाता है। यह बायोफिल्म नामक कठोर परतें बना सकता है जो इसे प्रतिरक्षा प्रणाली और एंटीबायोटिक दवाओं से बचाती हैं, जिससे इसका इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

हमारे समूह ने पहले दिखाया था कि जब पर्यावरणीय जीवाणु बायोफिल्म बनाते हैं, तो वे प्लास्टिक को तेजी से तोड़ सकते हैं।

इसलिए हमने सोचा कि क्या प्लास्टिक को नष्ट करने वाले एंजाइम की मौजूदगी से पी एरुगिनोसा को रोगजनक बनने में मदद मिल सकती है। आश्चर्यजनक रूप से, ऐसा होता है। इस एंजाइम ने स्ट्रेन को और अधिक हानिकारक बना दिया तथा बड़ी बायोफिल्म बनाने में मदद की।

पी एरुगिनोसा जैसे रोगाणु अस्पतालों में लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं, जहां प्लास्टिक हर जगह मौजूद है। क्या अस्पतालों में यह स्थिरता रोगाणुओं की प्लास्टिक खाने की क्षमता के कारण हो सकती है? हमें लगता है कि यह एक वास्तविक संभावना है।

कई चिकित्सा उपचारों में प्लास्टिक का उपयोग होता है, जैसे आर्थोपेडिक प्रतिरोपण, कैथेटर, दंत प्रतिरोपण और जलने के उपचार के लिए हाइड्रोजेल पैड।

हमारे अध्ययन से पता चलता है कि इन उपकरणों में प्लास्टिक को नष्ट करने वाला रोगाणु एक गंभीर समस्या बन सकते हैं। इससे उपचार विफल हो सकता है या रोगी की स्थिति और खराब हो सकती है।

द कन्वरसेशन रवि कांत नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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