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Thursday, 19 September, 2024
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4 BNP और 3 जमात की तरफ झुकाव वाले सदस्य बाकी के ‘गैर-राजनीतिक’ – बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में कौन-कौन है

नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में 17 सदस्यीय सलाहकार परिषद में नागरिक समाज के सदस्य, पूर्व नौकरशाह और छात्र आंदोलन के प्रमुख नेता शामिल हैं, जिसके कारण हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा.

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नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार में सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि, पर्यावरणविद, पूर्व नौकरशाह और छात्र आंदोलन के दो प्रमुख चेहरे शामिल हैं, जिसके कारण पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा. केवल सात लोग बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) या जमात-ए-इस्लामी पार्टी की ओर स्पष्ट रूप से झुकाव रखते हैं.

17 सदस्यीय सलाहकार परिषद ने गुरुवार रात ढाका में राष्ट्रपति भवन में विदेशी राजनयिकों, व्यापारियों, राजनेताओं और अन्य लोगों की मौजूदगी में शपथ ली. ढाका में भारत के उच्चायुक्त भी मौजूद थे.

परिषद की संरचना ने छात्र प्रदर्शनकारियों की मांगों को पूरा किया है. आंदोलन के दो प्रमुख आयोजकों नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद को भी शपथ दिलाई गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 दिसंबर को एक बयान में कहा, “प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को उनकी नई जिम्मेदारी संभालने पर मेरी शुभकामनाएं.”

उन्होंने कहा, “हम जल्द ही सामान्य स्थिति की वापसी की उम्मीद करते हैं, जिससे हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित हो सके. भारत शांति, सुरक्षा और विकास के लिए दोनों देशों के लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.”

शपथ ग्रहण समारोह से पहले, सप्ताह भर के हिंसक विरोध प्रदर्शनों में मारे गए 300 से अधिक लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखा गया, जो आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ और जल्दी ही सत्ता-विरोधी प्रदर्शन में बदल गया.

यूनुस को छोड़कर, सलाहकार परिषद के अधिकांश सदस्य या तो पूर्व नौकरशाह, कार्यकर्ता या नागरिक समाज के सदस्य हैं.

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता के अनुसार, नई सरकार मुख्य रूप से नागरिक समाज के प्रतिनिधियों का एक “पारदर्शी, गैर-राजनीतिक” समूह है.

उन्होंने कहा, “यह सेवानिवृत्त नौकरशाहों, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों और अन्य लोगों का एक अच्छा समूह है. उन्हें किसी भी राजनीतिक विचारधार के प्रति झुकाव वालों के रूप में नहीं देखा जाता है.” हालांकि, अन्य एक्सपर्ट्स थोड़े संशय में हैं.

मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) में दक्षिण एशिया को कवर करने वाली रिसर्च फेलो स्मृति एस पटनायक ने दिप्रिंट को बताया, “पहली नज़र में तो लगता है कि ज्यादातर नए चेहरे सिविल सोसाइटी और एनजीओ से हैं. लेकिन सिर्फ इसलिए कि वे पहले किसी पार्टी का हिस्सा नहीं रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उनका राजनीतिक झुकाव किसी तरफ नहीं है या वे किसी खास राजनीतिक मुद्दे से सहानुभूति नहीं रखते हैं. देखते हैं कि वे कानून और व्यवस्था को कैसे बहाल करते हैं.”

यह भी संभावना है कि नई अंतरिम सरकार संवैधानिक रूप से अनिवार्य तीन महीने की अवधि से कहीं अधिक समय तक शासन करेगी.

दिप्रिंट आपको बांग्लादेश में गठित की गई नई अंतरिम सरकार की संरचना के बारे में जानकारी दे रहा है.

जमात का झुकाव

ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम. सखावत हुसैन एक पूर्व चुनाव आयुक्त हैं, जिन्होंने एक बार हसीना को “क्लासिक तानाशाह” कहा था. वे हाल ही में हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों को ठीक से न संभाल पाने के बारे में भी मुखर थे, जिसमें कई लोग मारे गए थे. उन्होंने बीबीसी से कहा, “पुलिस थक गई थी. हमने सुना है कि उनके पास पर्याप्त गोला-बारूद नहीं था.”

ए.एफ.एम. खालिद हुसैन एक इस्लामी विद्वान और हिफाज़त-ए-इस्लाम बांग्लादेश के पूर्व उपाध्यक्ष हैं, जो एक दक्षिणपंथी रूढ़िवादी-इस्लाम की वकालत करने वाला समूह है.

फारूक-ए-आज़म एक सेवानिवृत्त नौसेना कमांडो और स्वतंत्रता सेनानी हैं. वह बांग्लादेश में चौथे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार, बीर प्रतीक पुरस्कार विजेता हैं.

बीएनपी की ओर झुकाव

डॉ. मोहम्मद नज़रुल इस्लाम (आसिफ नज़रुल) लॉ प्रोफेसर, शोधकर्ता और कार्यकर्ता हैं. माना जाता है कि जब बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान ने हसीना के इस्तीफ़े की घोषणा करने से पहले सोमवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ बैठक की थी, तब उन्होंने बीएनपी का प्रतिनिधित्व किया था.

आदिलुर्रहमान खान को पहले बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी-जमात-ए-इस्लामी सरकार द्वारा डिप्टी अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था. वह एक लॉ प्रोफेसर, शोधकर्ता और सिविल सोसायटी एक्टिविस्ट हैं. पिछले सितंबर में, उन्हें एक दशक पहले ढाका में हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के सदस्यों के खिलाफ़ एक ऑपरेशन के बारे में झूठी सूचना फैलाने के लिए दोषी ठहराया गया था. सजा के समय, अवामी लीग सरकार ने उनकी कड़ी निंदा की थी.

एएफ हसन आरिफ 2008 से 2009 तक बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के विधि सलाहकार (कैबिनेट मंत्री) थे. 2009 में अवामी लीग के सत्ता में आने से ठीक पहले वे सेवानिवृत्त हुए. आरिफ ने 2001 से 2005 तक बीएनपी के नेतृत्व वाली सरकार के शासन के दौरान अटॉर्नी जनरल के रूप में भी काम किया.

तौहीद हुसैन 2006 से 2009 तक विदेश सचिव थे. उनका कार्यकाल 2000 के दशक के मध्य में राजनीतिक संकट के बाद कार्यवाहक सरकार और उसके बाद बनी हसीना सरकार दोनों के साथ ओवरलैप हुआ.

पूर्व नौकरशाह, नागरिक समाज के सदस्य

सलाहकार परिषद में पूर्व नौकरशाहों में 2005 से 2009 तक बांग्लादेश बैंक के नौवें गवर्नर डॉ. सालेहुद्दीन अहमद और पूर्व राजदूत तथा चटगांव विकास बोर्ड के अध्यक्ष सुप्रदीप चकमा शामिल हैं.

सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों में वकील और पर्यावरणविद् सईदा रिजवाना हसन, महिला अधिकार कार्यकर्ता और कृषि शोधकर्ता फरीदा अख्तर, स्थानीय चुनाव पर्यवेक्षक समूह की प्रमुख शर्मीन मुर्शिद और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक बिधान रंजन रॉय शामिल हैं.

नूरजहां बेगम को यूनुस का करीबी सहयोगी माना जाता है, जो नोबेल पुरस्कार विजेता के दिमाग की उपज ग्रामीण बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक रह चुकी हैं. 2012 में, जब शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने ग्रामीण बैंक पर शिकंजा कसना शुरू किया और युनुस को बैंक के प्रमुख पद से हटा दिया, तो बेगम ने बैंक के बोर्ड के बचाव में न्यूयॉर्क टाइम्स से बात की.

सरकार द्वारा बैंक के पैनल को ‘कम सक्षम’ पाए जाने के बाद बेगम ने न्यूज़ पेपर से कहा था, “हमारे बोर्ड के सदस्य बहुत पढ़े-लिखे नहीं हैं. लेकिन वे बुद्धिमान हैं और उन्हें गरीबी का अनुभव है,”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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