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Sunday, 31 August, 2025
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पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बाढ़ से बुरा हाल, 24 घंटे में 17 लोगों की मौत

अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश और भारत द्वारा बांधों से छोड़े गए अतिरिक्त पानी के कारण तीनों नदियों के जलस्तर में असमान्य बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

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लाहौर: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बाढ़ के कारण सैकड़ों गांवों के जलमग्न हो जाने से पिछले 24 घंटे में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी.

सतलुज, रावी और चिनाब नदियों के आस-पास आई बाढ़ के कारण 13 करोड़ से अधिक आबादी वाले प्रांत में बड़े पैमाने पर लोगों को निकाला गया जबकि बाढ़ से बुनियादी अवसंरचना को नुकसान पहुंचा और लाखों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई.

पंजाब आपातकालीन सेवा बचाव 1122 के अनुसार, पिछले 24 घंटे में बाढ़ के कारण 17 लोगों की मौत हो गई, जिसमें से सियालकोट में सात, गुजरात में चार, नारोवाल में तीन, हाफिजाबाद में दो और गुजरांवाला में एक व्यक्ति शामिल हैं.

अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश और भारत द्वारा बांधों से छोड़े गए अतिरिक्त पानी के कारण तीनों नदियों के जलस्तर में असमान्य बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

संघीय विकास मंत्री अहसान इकबाल ने भारत पर ‘जल आक्रमण’ का आरोप लगाया है.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने जल क्षेत्र में आक्रामकता अपनाई है. यह एक प्राकृतिक आपदा है, जिससे सीमा के दोनों ओर सहयोग से ही निपटा जा सकता है. भारत को इसे प्राकृतिक आपदा मानकर पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय उसने अचानक बाढ़ की लहर के रूप में पानी छोड़ दिया और इसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया.’’

अधिकारियों ने पहले बताया था कि भारत ने रावी नदी पर स्थित अपने थीन बांध के सभी फाटक खोल दिए हैं, जिसके बाद पंजाब प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्यों में नागरिक प्राधिकारियों की सहायता के लिए पंजाब के आठ जिलों – लाहौर, ओकारा, फैसलाबाद, सियालकोट, नारोवाल, कसूर, सरगोधा और हाफिजाबाद – में पाकिस्तानी सेना को बुलाना पड़ा है.

पाकिस्तान को भारत से चेतावनी मिली है कि वह तेज़ी से भर रहे माधोपुर बांध से पानी छोड़ सकता है. ये दोनों बांध रावी नदी पर हैं, जो भारत से पाकिस्तान में बहती है.

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल था. आमतौर पर, बाढ़ की चेतावनी सिंधु जल आयोग के माध्यम से साझा की जाती है.

प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (पीडीएमए) के अनुसार, बाढ़ का पानी नीचे की ओर बढ़ रहा हैं, चेनाब नदी पर खानकी और कादिराबाद हेडवर्क्स तथा सतलुज पर गंदा सिंह वाला में जलस्तर में असाधारण रूप से वृद्धि हुई है.

पंजाब सरकार ने एक बयान में कहा कि अब तक ढाई लाख से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है और राहत कार्य जारी है.

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने गुरुवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया.

चिनाब नदी के किनारे बसे सियालकोट, वजीराबाद, गुजरात, मंडी बहाउद्दीन, चिनओट और झांग के करीब 340 गांव सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. इसी तरह, सतलुज नदी के किनारे बसे 335 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.

इस बीच, बाढ़ से गुरुद्वारा दरबार साहिब सहित करतारपुर गलियारा परिसर जलमग्न हो गया.

प्राधिकारियों ने बताया कि बुधवार को वहां फंसे लगभग 150 लोगों को बचा लिया गया.

पाकिस्तान सरकार ने नवंबर 2019 में करतारपुर कॉरिडोर खोला था, जो पाकिस्तान-भारत सीमा से लगभग 4.1 किलोमीटर दूर है.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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