विलियम डब्ल्यू एल चेउंग, प्रोफेसर और निदेशक, महासागर और मत्स्य पालन संस्थान, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय
केलॉना (कनाडा), 17 मई (द कन्वरसेशन) कनाडा के पश्चिमी तट के रेस्तरां के मेनू में जल्द ही स्क्वीड और सार्डिन जैसे व्यंजन दिखाई देंगे, जबकि लोकप्रिय सॉकी सैल्मन धीरे धीरे इनसे बाहर हो जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि यह जलवायु परिवर्तन की वजह से हो सकता है।
रेस्तरां समय समय अपने मेनू को अपडेट करते हैं और इसपर अक्सर वहां भोजन करने वालों द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता है। मेनू में किए जाने वाले ये परिवर्तन पाक प्रवृत्तियों, उपभोक्ता वरीयताओं और कई पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक कारकों से प्रेरित होते हैं जो सामग्री की उपलब्धता को प्रभावित करते हैं। मेरी शोध टीम द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अब हम इस सूची में जलवायु परिवर्तन को जोड़ सकते हैं।
हमने पाया कि जैसे-जैसे समुद्र का तापमान बढ़ता है, कई समुद्री मछलियाँ और घोंघे अपने पारंपरिक आवासों से ठंडे पानी की तलाश में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं। समुद्री जीवों की यह आवाजाही सीफ़ूड की उपलब्धता को प्रभावित करती है।
जलवायु परिवर्तन हमारे महासागर और मत्स्य पालन को प्रभावित करता है
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल की नवीनतम रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि जलवायु परिवर्तन समुद्र के गर्म होने, समुद्री बर्फ के नुकसान, समुद्र के अम्लीकरण, हीटवेव, महासागर डीऑक्सीजनेशन और अन्य चरम मौसम की घटनाओं के माध्यम से समुद्र, मछलियों की संख्या और मत्स्य पालन को प्रभावित कर रहा है।
तापमान बढ़ने से होने वाले पारिस्थितिक बदलाव के प्रभाव मत्स्य पालन में भी देखे जाते हैं। दुनिया भर में मछली पकड़ने वाली प्रजातियों में उन प्रजातियों का वर्चस्व बढ़ रहा है जो गर्म पानी पसंद करती हैं।
मेनू में समुद्री भोजन को जलवायु परिवर्तन से जोड़ना
लेकिन मत्स्य पालन में ये परिवर्तन वास्तव में हमारी प्लेटों में दिखाई देने वाले भोजन को कैसे प्रभावित करते हैं? मेरे सह-लेखक जॉन-पॉल एनजी और मैंने कनाडा और अमेरिका के पश्चिमी तट पर अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करके इस प्रश्न से निपटने का फैसला किया, जहां कई रेस्तरां समुद्री भोजन परोसते हैं।
हमने इन क्षेत्रों के रेस्तरां के वर्तमान मेनू को पुराने मेनू के साथ देखा – जिनमें से कुछ 19 वीं शताब्दी के हैं – जो सिटी हॉल और स्थानीय संग्रहालयों के ऐतिहासिक अभिलेखागार से लिए गए।
362 मेनू को देखने के बाद, हमने मत्स्य पालन के अध्ययन के लिए विकसित किए गए एक समान दृष्टिकोण का उपयोग किया और ‘‘रेस्तरां समुद्री भोजन के औसत तापमान’’ की गणना की। यह सूचकांक सभी समुद्री खाद्य प्रजातियों में औसत पसंदीदा तापमान का प्रतिनिधित्व करता है जो एक विशिष्ट समय अवधि के लिए एक शहर के रेस्तरां के नमूना मेनू पर दिखाई देता है।
यह सूचकांक हमें यह पता लगाने में मदद करने के लिए एक उपकरण है कि क्या हमारे रेस्तरां कम या ज्यादा गर्म और ठंडे पानी के समुद्री भोजन परोस रहे हैं।
हमने पाया कि हमारे मेनू में दिखाई देने वाली मछली और घोंघे का औसत पसंदीदा पानी का तापमान हाल के दिनों (2019-21) में 1961-90 की अवधि में 9 सी से बढ़कर 14 सी हो गया।
रेस्तरां मेनू में मछली के पसंदीदा पानी के तापमान में यह वृद्धि समुद्र के पानी के तापमान में परिवर्तन और उसी समय अवधि के दौरान पकड़ी गई मछली प्रजातियों की संरचना में तापमान से संबंधित परिवर्तनों से जुड़ी है।
रेस्तरां के मेनू पर हमारा अध्ययन हमारी खाद्य प्रणाली पर जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभावों को रेखांकित करता है। ऐसे मामलों में जहां वैकल्पिक समुद्री भोजन सामग्री उपलब्ध है और उपभोक्ता प्राथमिकताएं लचीली हैं, हमारे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कल्याण पर प्रभाव सीमित हो सकते हैं। हालांकि, कई कमजोर समुदायों द्वारा पर्याप्त नकारात्मक परिणाम महसूस किए जाने की संभावना है, जो ऐसे परिवर्तनों के अनुकूल होने की क्षमता नहीं रखते हैं।
यदि हम चाहते हैं कि महासागर दुनिया भर के उन लोगों के लिए भोजन प्रदान करना जारी रखे जो पोषण सुरक्षा के लिए इस पर निर्भर हैं, तो जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन दोनों का समर्थन करने के लिए वैश्विक और स्थानीय कार्रवाई आवश्यक है।
द कन्वरसेशन एकता एकता
एकता
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