कोलंबो, 18 मई (भाषा) श्रीलंका में हिंसक विरोध प्रदर्शन की वजह से प्रधानमंत्री पद से पिछले हफ्ते इस्तीफा देने और परिवार के साथ नौसेना अड्डे पर शरण लेने के नौ दिन बाद महिंदा राजपक्षे बुधवार को पहली बार संसद में दिखाई दिए।
अप्रैल की शुरुआत से सरकारी विरोधी प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे अपने अपने पदों से इस्तीफा दें, क्योंकि उन्होंने देश को आज़ादी के बाद के सबसे खराब आर्थिक सकंट में पहुंचाया है।
महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने नौ मई को सरकार विरोधी प्रदर्शकारियों पर हमला कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हमले की वजह से देशभर में हिंसक संघर्ष शुरू हो गए और राजनीतिक नेताओं के दर्जनों घरों को आग लगा दी गई जिनमें से कुछ राजपक्षे परिवार के भी थे।
महिंदा राजपक्षे (76) के आधिकारिक आवास ‘टैंपल ट्री’ को भीड़ ने घेर लिया था जिसके बाद सेना उन्हें वहां से निकाल कर ले गई।
उन्हें उत्तर पूर्वी श्रीलंका के त्रिंकोमाली में नौसैन्य अड्डे में शरण लेनी पड़ी थी। इस बीच कोलंबो की एक अदालत ने उनके देश छोड़ने पर रोक लगा दी।
हिंसा में कम से कम नौ लोगों की मौत हुई और 200 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। राजपक्षे दो बार देश के राष्ट्रपति और तीन बार प्रधानमंत्री रहे चुके हैं।
श्रीलंका की मीडिया ने खबर दी है कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद मंहिदा राजपक्षे आज संसद में दिखे। वह संसद के सदस्य हैं। उनके बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री नमल राजपक्षे ने भी संसद के सत्र में शिरकत की।
खबर के मुताबिक, पिता-पुत्र, दोनों मंगलवार को संसद से गैर हाजिर थे, जब राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के प्रति नाराजगी व्यक्त करने वाले प्रस्ताव पर बहस के लिए स्थायी आदेशों को निलंबित करने के प्रस्ताव पर मतदान किया गया था। यह प्रस्ताव गिर गया था।
भाषा नोमान नरेश
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