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Monday, 23 September, 2024
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रामबुकाना हिंसा पर बैठक में शामिल नहीं होकर गलती की: महिंदा राजपक्षे

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कोलंबो, 22 अप्रैल (भाषा) श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि उन्होंने दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र रामबुकाना में हुई हिंसा को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की आयोजित बैठक में शामिल नहीं होकर गलती की। इस घटना में नवीनतम ईंधन मूल्य वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सरकार विरोधी निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

राजपक्ो की यह टिप्पणी विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा की आलोचना के जवाब में आयी। प्रेमदासा ने कहा था कि रामबुकाना घटना पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री को एनएससी की बैठक में क्यों नहीं आमंत्रित किया गया था।

प्रधानमंत्री राजपक्षे ने संसद में कहा, ‘‘मुझे आमंत्रित किया गया था लेकिन मैं उसमें शामिल नहीं हुआ। यह मेरी गलती है लेकिन मुझे उस शाम प्रगति के बारे में बताया गया था।’’

देश में आर्थिक संकट से निपटने को लेकर प्रधानमंत्री के भाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार आलोचनाओं के घेरे में है। रामबुकाना में हुई हिंसा में 41 वर्षीय चामिंडा लक्षन की मौत हो गई थी।

1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है। संकट विदेशी मुद्रा की कमी के कारण है, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता है, जिससे तीव्र आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है चीजों के दाम बहुत अधिक बढ़ गए हैं।

देश के इतिहास में अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से सरकार के निपटने में विफल रहने के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

राष्ट्रपति राजपक्षे और उनकी श्रीलंका पोदुजाना (पेरामुना) के नेतृत्व वाली सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं क्योंकि चीजों की कमी जारी है और कीमतें बढ़ रही हैं।

इस बीच, पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) सीडी विक्रमरत्ने सहित श्रीलंका के शीर्ष पुलिस अधिकारी शुक्रवार को देश के मानवाधिकार आयोग के सामने हिंसा के बारे में अपना बयान दर्ज कराने के लिए पेश हुए।

जनता को उकसा कर विरोध को भड़काने के लिए पुलिस की आलोचना की गई है। हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए।

आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रोहिणी मारासिंघे ने एक बयान में कहा कि आईजीपी, वरिष्ठ डीआईजी और मध्य प्रांत प्रभारी डीआईजी, केगले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और केगले और रामबुकाना पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारी पूर्वाह्न 11 बजे आयोग के समक्ष तलब किये गए थे।

श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीएसएल) के अनुसार, इन अधिकारियों को 19 अप्रैल को रामबुकाना क्षेत्र में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प की आगे की जांच के लिए आयोग में तलब किया गया था।

एचआरसीएसएल के बयान में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने के लिए घटनास्थल पर पुलिसकर्मियों को निर्देश जारी करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और उन कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है जिनके कारण फायरिंग की गई।

भाषा अमित नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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