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Sunday, 29 September, 2024
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हम जिसे पसंद करते हैं, उसे पाना क्यों चाहते हैं, मक्खियों के दिमाग से खुला राज

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एड्रियन डायर और जेयर गार्सिया, आरएमआईटी यूनिवर्सिटी

मेलबर्न, 29 अप्रैल (द कन्वरसेशन) हम जिस चीज को पसंद करते हैं, जैसे भोजन, सेक्स, नशीली दवाएं या फिर कोई कलाकृति, जो हमें खुशी देती है, तो हम उसे पाना क्यों चाहते हैं।

फ्रांसीसी दार्शनिक डेनिस डाइडरॉट ने एक केंद्रीय पहेली की ओर इशारा किया: जो कहती है कि किसी चीज की चाह ही उसे पाने की ख्वाहिश पैदा करती है, लेकिन यह भी सच है: ख्वाहिश से ही चाह पैदा होती है।

तंत्रिका विज्ञान ने एक ऐसी प्रणाली की पहचान करके रहस्य का एक हिस्सा सुलझा लिया है जो विशिष्ट मस्तिष्क क्षेत्रों के माध्यम से स्तनधारियों में इच्छा पैदा करता है। किसी चीज की इच्छा एक जानवर को जीवित रहने में मदद कर सकती है, उदाहरण के लिए पौष्टिक भोजन से आनंद का अनुभव करना।

अब, जैसा कि हम साईंस पत्रिका में एक पेपर में चर्चा करते हैं, फ़ुज़ियान कृषि और वानिकी विश्वविद्यालय में जिंगन हुआंग के नए शोध और सहयोगियों ने मधुमक्खियों में एक समान वांछित प्रणाली का सबूत पाया है।

जो पसंद है उसे पाने की सामान्य इच्छा

जब हम ‘‘पसंद’’ और ‘‘चाहने’’ के बारे में बात करते हैं तो हमारा क्या मतलब होता है? तो, न्यूरोसाइंटिस्टों के लिए, ‘‘पसंद करना’’ का अर्थ है वह सुखद अनुभूति जो हमें तब मिलती है जब हम किसी वस्तु का उपभोग करते हैं। दूसरी ओर, ‘‘चाहने’’ का अर्थ है किसी चीज तक पहुँचने के लिए प्रेरित होना।

जब हम इनाम चाहते हैं तो हमारे दिमाग में क्या होता है और चूहों जैसे अन्य स्तनधारियों में क्या होता है, इसके बारे में हम कुछ जानते हैं। इस क्रिया में डोपामाइन शामिल है, एक प्रकार का रसायन जिसे न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है जो हमारे दिमाग में न्यूरॉन्स के बीच संचार को सक्षम बनाता है।

यह समझने के लिए कि गैर-स्तनधारियों के लिए प्रक्रिया कैसे काम करती है, हुआंग और उनके सहयोगियों ने देखा कि कुछ मिलने की संभावना के साथ मधुमक्खियों के दिमाग में क्या होता है।

जैसा कि जर्मन वैज्ञानिक कार्ल वॉन फ्रिस्क ने 1920 के दशक में दिखाया था, मधुमक्खियां छत्ते के साथियों को वांछित फूलों के स्थान के बारे में बताने के लिए एक प्रतीकात्मक नृत्य भाषा का उपयोग करती हैं।

अन्य मधुमक्खियां जो इस नृत्य को देखती हैं, उन्हें छत्ता छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि वह शहद बनाने के लिए जरूरी पराग एकत्र करने के लिए जाएं।

हुआंग और उनके सहयोगियों ने नृत्य करने और उसे देखने वाली मधुमक्खियों के दिमाग में डोपामाइन के स्तर को मापा। उन्होंने पाया कि नृत्य की शुरुआत में कलाकारों और दर्शकों में यह रसायन बढ़ता है, जब नृत्य समाप्त होता है, तब इसका स्तर कम हो जाता है।

जब मधुमक्खियां भोजन कर रही थीं, उस समय के मुकाबले नृत्य देखते समय डोपामाइन का स्तर अधिक था। इन उतार-चढ़ावों से पता चलता है कि यह पराग के मीठे प्रतिफल की अपेक्षा है जो रासायनिक रूप से मधुमक्खियों को काम करने के लिए प्रेरित करता है।

लघु मस्तिष्क में एक वांछित प्रणाली

अपने नन्हें से मस्तिष्क में दस लाख से कम न्यूरॉन्स होने के बावजूद, मधुमक्खियां जटिल व्यवहार प्रदर्शित करती हैं और फूलों की सुगंध और रंगों का पता लगाने जैसी समस्याओं को हल करने की क्षमता रखती हैं।

अन्य शोध से पता चलता है कि मधुमक्खियां संख्यात्मक मात्राओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतीकों को सीख सकती हैं, या अंकगणित जैसे गणित कार्यों को करना सीख सकती हैं।

हुआंग और उनके सहयोगियों ने यह भी दिखाया कि कुछ परीक्षण मधुमक्खियों को उच्च डोपामाइन सांद्रता प्रदान करने से उनकी प्रेरणा में वृद्धि हुई और गंध जैसे फूलों के संकेतों को सीखने की उनकी क्षमता में सुधार हुआ।

परागणकों को कैसे प्रेरित करें

मधुमक्खियाँ और अन्य मक्खी प्रजातियाँ जो दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती हैं, कई वाणिज्यिक और जंगली पौधों की प्रजातियों के सबसे महत्वपूर्ण परागणकों में से हैं। पराग को एक ही प्रजाति के एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाकर, मधुमक्खियां पार परागण सुनिश्चित करती हैं जिसके परिणामस्वरूप अक्सर अधिक संख्या में बीज और फलों का आकार बड़ा होता है।

इसलिए बादाम, साइट्रस और सब्जियों की विभिन्न प्रजातियों जैसी मूल्यवान फसलों को परागित करके मधुमक्खियां महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ पहुंचाती हैं।

रानी मधुमक्खियां युवा मधुमक्खियों का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें विशिष्ट कार्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करने के लिए उनके डोपामाइन मार्गों को संशोधित कर सकती हैं। मधुमक्खियों की चाहत प्रणाली पर डोपामाइन के प्रभावों की बेहतर समझ से कृषि और तंत्रिका विज्ञान सहित कई कार्यों के लिए मधुमक्खियों के अधिक कुशल और टिकाऊ उपयोग का द्वार खुल सकता है।

मधुमक्खियों पर नया शोध प्रसिद्ध अंग्रेजी प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन द्वारा 150 साल पहले अपनी पुस्तक द एक्सप्रेशन ऑफ इमोशन्स इन मैन एंड एनिमल्स में उठाए गए एक विचार का भी समर्थन करता है। उन्होंने बताया कि चीजों को पसंद और नापसंद करना जानवरों के लिए इतना मददगार था कि यह मनुष्यों और अन्य जानवरों में चाह का आधार बन सकता है।

द कन्वरसेशन एकता

एकता

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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