बीजिंग, 11 जुलाई (भाषा) चीन ने खुद को यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को निर्णायक रूप से बढ़ावा दिए जाने वाला बताने पर बृहस्पतिवार को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) को आड़े हाथ लिया और उसके इस भड़काऊ बयान के लिए कूटनीतिक विरोध दर्ज कराया। चीन ने नाटो से यह भी कहा कि वह एशिया में ऐसी ‘अराजकता’ न फैलाए।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि वाशिंगटन में नाटो के शिखर सम्मेलन में जारी घोषणापत्र के चीन से संबंधित अंश ‘पूर्वाग्रह से ग्रसित, भड़काऊ और आक्षेप वाले’ हैं।
लिन ने कहा, ‘‘हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और इसका सख्ती से विरोध करते हैं। नाटो के साथ गंभीर रूप से आपत्ति जताई है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि नाटो चीन के पड़ोसियों और अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ संबंध मजबूत कर रहा है और दूसरों की कीमत पर सुरक्षा पाने की कोशिश कर रहा है।
लिन ने कहा कि नाटो की एशिया प्रशांत रणनीति ने चीन के हितों को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि सैन्य गठबंधन को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की पुरजोर तरीके से रक्षा करेगा।
वाशिंगटन में नाटो के सम्मेलन में बीजिंग की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया कि चीन, रूस के साथ अपनी तथाकथित ‘बिना सीमा वाली साझेदारी’ और रूस के रक्षा औद्योगिक आधार का बड़े पैमाने पर समर्थन करने के माध्यम से यूक्रेन के खिलाफ उसके युद्ध में निर्णायक रूप से बढ़ावा देने वाला बन गया है।
रूस के करीबी सहयोगी बेलारूस के साथ चीन के सैन्य अभ्यास की, खासतौर पर नाटो के सदस्य देश पोलैंड की सीमा के करीब सैन्य अभ्यास की नाटो ने तीखी आलोचना की।
रूस के बाद चीन नाटो की आलोचना का केंद्रबिंदु बन गया लगता है।
नाटो में 32 सदस्य देश हैं जिनमें 30 यूरोपीय और दो उत्तर अमेरिकी हैं। इनमें अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं।
चीन के विश्लेषक चिंता जताते रहे हैं कि चीन के यूक्रेन युद्ध में शामिल होने से यूरोपीय संघ के साथ उसके राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों को जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।
चीन रूस को शस्त्र उत्पादन से संबंधित सामग्री की आपूर्ति के लिए हो रहीं आलोचनाओं को भी नकारने का प्रयास कर रहा है।
नाटो ने अपने घोषणापत्र में कहा, “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की महत्वाकांक्षाएं और आक्रामक नीतियां लगातार हमारे हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती दे रही हैं। रूस और पीआरसी के बीच गहराती रणनीतिक साझेदारी तथा नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करने व नया आकार देने के दोनों देशों के प्रयास गंभीर चिंता का विषय हैं।”
शिखर सम्मेलन में शामिल राष्ट्राध्यक्षों और शासन प्रमुखों की ओर से जारी घोषणापत्र में कहा गया है, “हम सरकार में शामिल और उनसे इतर तत्वों से हाइब्रिड, साइबर, अंतरिक्ष और अन्य खतरों तथा दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों का सामना कर रहे हैं।”
भाषा
वैभव पवनेश
पवनेश
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