कोपनहेगन, तीन मई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यूक्रेन में तत्काल युद्ध विराम और समस्या के समाधान के लिए बातचीत एवं कूटनीति का रास्ता अपनाने की अपील की।
इस दौरान डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट्टे फ्रेडेरिक्सेन ने उम्मीद जताई कि भारत युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा।
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता में यूक्रेन संकट पर चर्चा की। यहां के निकट मारियनबोर्ग में डेनिश प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर बातचीत में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में सहयोग तथा व्यापारिक संबंध बढ़ाने समेत अनेक क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता के बाद यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने यूक्रेन में तत्काल युद्ध विराम और समस्या के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने की अपील की।’’
फ्रेडेरिक्सेन ने उम्मीद जताई कि भारत रूस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से ‘जंग समाप्त करने तथा लोगों की हत्याएं रोकने’ को कहा।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा संदेश बहुत साफ है कि पुतिन को यह जंग रोकनी होगी और लोगों की हत्याओं को बंद करना होगा। जाहिर तौर पर मुझे उम्मीद है कि भारत इस बातचीत में रूस पर भी दबाव बनाएगा।’’
बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन में जारी मानवीय संकट के बारे में गंभीर चिंता प्रकट की।
इसमें कहा गया, ‘‘उन्होंने यूक्रेन में नागरिकों की मौत की साफतौर पर निंदा की। उन्होंने संघर्ष तत्काल रोकने की बात दोहराई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान के आधार पर बनी है।’’
दोनों नेताओं ने यूक्रेन में संघर्ष के अस्थिरता फैलाने वाले प्रभावों पर तथा इसके व्यापक क्षेत्रीय एवं वैश्विक निहितार्थ पर भी चर्चा की और इस मुद्दे पर बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई।
मोदी ने उम्मीद जताई कि भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत यथासंभव जल्द पूरी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने एक खुले, स्वतंत्र, समावेशी और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने पर जोर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत और डेनमार्क दोनों देश लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और कानून के शासन जैसे मूल्यों को तो साझा करते ही हैं; साथ में हम दोनों की कई पूरक शक्तियां भी हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘200 से अधिक डेनिश कंपनियां भारत में विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं – जैसे पवन ऊर्जा, शिपिंग, कंसल्टेंसी, खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग आदि। इन्हें भारत में बढ़ती ‘व्यापार सुगमता’ और हमारे व्यापक आर्थिक सुधार का लाभ मिल रहा है।’’
मोदी ने संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि भारत के अवसंरचना क्षेत्र और हरित उद्योग में डेनिश कंपनियों तथा डेनिश पेंशन कोष के लिए निवेश के बहुत अवसर हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अक्टूबर 2020 में भारत-डेनमार्क वर्चुअल समिट के दौरान हमने अपने संबंधों को हरित रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया था। हमारी आज की चर्चा के दौरान हमने अपनी हरित रणनीतिक साझेदारी की संयुक्त योजना पर चर्चा की।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘आज हमने भारत-यूरोपीय संघ के रिश्तों, हिंद-प्रशांत तथा यूक्रेन सहित कई क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत की। हम आशा करते हैं कि भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत यथाशीघ्र संपन्न होंगे।’’
इससे पहले फ्रेडेरिक्सेन ने हवाई अड्डे पर मोदी की अगवानी की। भारतवंशी समुदाय के सदस्य ‘ढोल-ताशों’ के साथ परंपरागत महाराष्ट्रियन वेशभूषा पहनकर हवाई अड्डे पर पहुंचे थे।
भाषा वैभव दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.