(मोनिका ग्रैडी, द ओपन यूनिवर्सिटी)
लंदन, 13 मई (द कन्वरसेशन) आपको अपने बगीचे को हरा-भरा रखने के लिए क्या करने की आवश्यकता है? बारिश की हल्की-हल्की फुहारों के साथ ही धूप की किरणों और पौधों के परागण के लिए मधुमक्खियों और तितलियों के साथ ही आवश्यक खनिज उपलब्ध कराने के लिए आपको अच्छी, समृद्ध मिट्टी की आवश्यकता होती है। लेकिन कल्पना कीजिए कि अगर अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी या बारिश की फुहारें न हों या मधुमक्खियां तथा तितलियां नहीं मंडराती हैं तो क्या होगा ? साथ ही धूप बहुत तेज हो या होती ही नहीं है तब हरियाली का क्या होगा ?
क्या ऐसे वातावरण में पौधे पनप सकते हैं और अगर हां तो कौन-से पौधे? चंद्रमा (और मंगल ग्रह) पर जीवन की संभावना तलाश रहे लोगों को इस सवाल से निपटना होगा। अब ‘कम्यूनिकेशंस बायोलॉजी’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने इसके जवाब देने शुरू कर दिए हैं।
अध्ययन में शामिल अनुसंधानकर्ताओं ने अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा चंद्रमा पर तीन अलग-अलग स्थानों से लायी मिट्टी (लुनार रेजोलिथ) के नमूनों में तेजी से पनपने वाले अराबिदोप्सिस थालियाना पौधे की खेती शुरू कर दी है।
सूखी और बंजर मिट्टी :
यह पहली बार नहीं है जब चंद्रमा से लायी मिट्टी में पौधों को उगाने की कोशिशें की गयी हैं लेकिन यह पहली बार समझाया गया है कि ये पौधे क्यों नहीं बढ़ते हैं। यह मिट्टी स्थानीय मिट्टी से बहुत अलग होती है। इसमें ऑर्गेनिक तत्व (कीड़े, बैक्टीरिया) नहीं होते हैं जो पृथ्वी पर मिट्टी की विशेषताएं हैं। न ही इसमें नमी होती है।
लेकिन इसमें स्थानीय मिट्टी की तरह ही कुछ खनिज होते है इसलिए अगर यह माना जाए कि पानी, सूर्य की रोशनी और हवा की कमी से चंद्रमा पर पौधे उगाए जा सकते हैं तो रेजोलिथ में भी पौधे उगाने की क्षमता हो सकती है।
इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य जेनेटिक स्तर पर पौधों का विश्लेषण करना है। इससे वैज्ञानिकों को मुश्किल हालात से निपटने में सबसे मजबूत जेनेटिक प्रतिक्रियाओं को पैदा करने वाले विशेष पर्यावरणीय कारकों का पता लगाने में मदद मिली।
नयी मिट्टी की महत्ता :
अध्ययन में निष्कर्ष दिया गया कि कम परिपक्व मिट्टी के मुकाबले बढ़ते अंकुरों के लिए अधिक परिपक्व रेजोलिथ कम प्रभावी सबस्ट्रेट है। यह महत्वपूर्ण निष्कर्ष है क्योंकि यह दिखाता है कि रेजोलिथ को संसाधन के तौर पर इस्तेमाल कर चंद्रमा पर पौधे उगाए जा सकते हैं।
द कन्वरसेशन
गोला मनीषा
मनीषा
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