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Sunday, 19 May, 2024
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चंद्रप्रकाश कथूरिया की संघर्ष भरी कहानी, कैसे बने नौकर से एक कंपनी के मालिक

मजदूरी से लेकर एक कंपनी के मालिक बनने तक की चंद्रप्रकाश कथूरिया की संघर्ष भरी कहानी से काफी लोग प्रेरित हुए हैं. क्योंकि अब वह कर्णा कंस्ट्रक्शन फर्म के मालिक हैं.

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हर कोई अपने जीवन में संघर्ष करता है और सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करता है, ऐसे ही एक सफल व्यक्ति के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं जो कि चंद्रप्रकाश कथूरिया हैं. जीवन में काफी सारे उतार-चढ़ाव आए लेकिन कथूरिया ने हार नहीं मानी, उन्होंने मजदूरी से लेकर राजमिस्त्री तक के कामों को किया है और कड़ी मेहनत के पश्चात आज वे एक सफल फर्म के मालिक बन चुके हैं. मजदूरी से लेकर एक कंपनी के मालिक बनने तक की चंद्रप्रकाश कथूरिया (Chander Parkash Kathuria) की संघर्ष भरी कहानी से काफी लोग प्रेरित हुए हैं. क्योंकि अब वह कर्णा कंस्ट्रक्शन फर्म के मालिक हैं और इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी.

चंद्रप्रकाश कथूरिया का जन्म हरियाणा के छोटे से गांव शेखपुरा सुहाना की एक पंजाबी खत्री परिवार में हुआ था जो करनाल जिले में स्थित है. उनके पिता शंकर दास कथूरिया जो कि पेशे से किसान थे एवं जमीदारी करने का कार्य भी किया करते थे. चंद्रप्रकाश कथूरिया के पिता काफी सहज स्वभाव एवं उच्च विचारों के धनी व्यक्ति थे. वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान कर एक नेक व्यक्ति बनाना चाहते हैं एवं उनकी माता का नाम शीला रानी है जो कि एक गृहणी थीं. 16 साल की उम्र से ही उन पर काफी जिम्मेदारियां आ गईं जिसके चलते वह अपने छोटे भाई की जान भी नहीं बचा सके. आगामी कार्य में आगे बढ़ते हुए कई सारे केसों के कारण बार-बार न्यायपालिकाओं में भी पेशी के लिए उन्हें जाना पड़ता है.

और मानवता की भलाई के लिए भी चंद्रप्रकाश कथूरिया जी का मन से रुका नहीं जाता, उसी के साथ साथ वह फिर से मदद चाहने वाले की दोबारा से मदद करने के लिए पहुंच जाते हैं. अब एक वकील दोस्त के कहने पर कुल मिलाकर 17 लोगों ने देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील दर्ज की है जिसके फलस्वरूप देश के सभी विभिन्न नागरिकों के लिए फैसला आया है कि सड़क पर पड़े हुए व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने पर किसी भी प्रकार का केस नहीं किया जाएगा.

इसका सबसे बड़ा फायदा सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं पर होगा, जिसमें लोगों की जान बचने की संख्या बढ़ेगी. क्योंकि पहले लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती थी और नागरिक भी केस होने के डर से सामने नहीं आ पाते थे. मदद करने वाले भी मजबूरियों के कारण मदद नहीं कर पाते थे, लेकिन अब इन सब परेशानियों का हल निकल चुका है.

वर्ष 2006 में चंद्रप्रकाश कथूरिया ने जमीन लेकर घर बनाकर बेचना शुरू किया. उसी के साथ साथ थोड़ी जगह लेकर उस पर बिल्डिंग बनाने का कार्य किया. करनाल के सेक्टर 32 में स्थित रॉयल रेजिडेंस में साल 2012 के अंतर्गत बतौर बिल्डर की एक सोसाइटी का भी निर्माण करने का अवसर इन्हें प्राप्त हुआ है जो कि आज 100 से भी अधिक परिवारों के साथ सफलतापूर्वक चल रही है. इसके साथ-साथ और भी नए घर 200 परिवारों के लिए बनाए जा रहे हैं. डरने से नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती का उदाहरण हम चंद्रप्रकाश कथूरिया के जीवन संघर्ष से सीख सकते हैं. युवाओं के लिए वह एक अच्छा उदाहरण हैं ताकि वह भी अपने जिम्मेदारियों को समझ कर अपने जीवन में आगे बढ़ सकें.

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