हाल ही में एक रैली को संबोधित करते हुए अभिनेत्री से नेता बनीं कंगना रनौत ने दावा किया है कि महिला आरक्षण विधेयक के कारण उन्हें हिमाचल प्रदेश के मंडी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया है. हालांकि, यह एक गलत दावा है क्योंकि बिल अभी तक लागू नहीं हुआ है.
24 मार्च 2024 को भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए रनौत को उम्मीदवार घोषित किया था. उन्होंने एक्स पर लिखा, “मैं लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आलाकमान के फैसले का पालन करती हूं.” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे एक “योग्य कार्यकर्ता और एक विश्वसनीय लोक सेवक” बनने के लिए उत्सुक हैं.
हाल ही में मंडी के बल्ह गांव में एक रैली को संबोधित करते हुए रनौत ने बताया कि उन्हें टिकट कैसे मिला. अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भाषण की एक रील पोस्ट की जिसमें वे कह रही हैं, “महिला आरक्षण विधेयक, जो महिलाओं को (लोकसभा में) 30% आरक्षण देगा, यही कारण है कि आज मैं इस मंच पर हूं. उसी के कारण आपकी मंडी की बेटी का यह मुकाम है.”
क्या है सच्चाई?
बूम ने पाया कि उनका दावा झूठा है क्योंकि महिला आरक्षण विधेयक अभी तक लागू भी नहीं हुआ है और कम से कम 2029 तक ऐसा नहीं होगा. नारी शक्ति वंदन अधिनियम, लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है. इसे पहली बार संसद में पेश किए जाने के 27 साल बाद 20 सितंबर 2023 को लोकसभा में पारित किया गया था.
22 सितंबर को राज्यसभा ने भी इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया. दोनों सदनों में पारित होने के बाद, विधेयक को 28 सितंबर को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई. विधेयक कानून बनने के लिए सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है. हालांकि, इसे जनगणना और परिसीमन की कवायद होने के बाद ही लागू किया जाएगा. परिसीमन में लोकसभा और राज्य चुनावों के लिए देश भर में सीटों की संख्या के साथ-साथ क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का आवंटन शामिल है.
यह 2026 के बाद जारी जनगणना के आधार पर होने वाला है. केंद्र ने अभी तक कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना पूरी नहीं की है. 20 सितंबर 2023 को लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि परिसीमन 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद ही किया जाएगा और यह कम से कम 2029 तक होगा जब तक कि महिला आरक्षण विधेयक लागू नहीं हो जाता.
उस समय कई विपक्षी नेताओं ने विधेयक को लागू करने के लिए इस्तेमाल की गई इस पद्धति की आलोचना की. आम आदमी पार्टी (आप) नेता आतिशी मार्लेना ने कहा, “परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को क्यों शामिल किया गया है? इसका मतलब यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा. हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को खत्म किया जाए और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए.”
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) नेता कनिमोझी करुणानिधि ने कहा था कि आरक्षण को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए आसानी से बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा था, “यह दिखावा बंद कीजिए. इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहा जाता है. हमें सलाम करना बंद कीजिए. हम नहीं चाहते कि हमें सलाम किया जाए, किसी आसन पर बिठाया जाए या पूजा की जाए. हम समान रूप से सम्मान पाना चाहते हैं.”
(यह स्टोरी मूल रूप से बूम द्वारा शक्ति कलेक्टिव के हिस्से के रूप में प्रकाशित की गई थी. हेडलाइन, एक्सर्प्ट और पहले पैरा के अलावा, इस स्टोरी के भावार्थ को दिप्रिंट स्टाफ द्वारा संपादित करके नहीं बदला गया है. इसे बूम की मूल अंग्रेज़ी स्टोरी से हिंदी में अनुवाद किया गया है.)