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सोमवार, 16 जून, 2025
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भारतीय मुक्केबाजी में ओलंपिक पदक का रंग बदलना चाहता हूं: निशांत देव

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नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) आत्मविश्वास से लबरेज मुक्केबाज निशांत देव की निगाहें इस महीने पेरिस ओलंपिक में भारत के मुक्केबाजी पदकों के रंग को कांसे से बदलकर स्वर्ण में करने पर लगी हैं।

भारत के लिये तीन मुक्केबाज विजेंदर सिंह (2008), एमसी मैरीकॉम (2012) और लवलीना बोरगोहेन (2021) ने ओलंपिक पदक जीते हैं जिसमें सभी का रंग कांस्य पदक रहा है।

लेकिन देव को भरोसा है कि उनके पास लाइट मिडिलवेट (71 किग्रा) वजन फाइनल तक पहुंचने की काबिलियत है और वह स्वर्ण पदक जीतने का भी माद्दा रखते हैं।

‘जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स’ द्वारा कराई बातचीत के दौरान देव ने कहा,‘‘मेरा लक्ष्य मुक्केबाजी में मिले पदकों का रंग बदलना है। हमारे देश के मुक्केबाजों ने अब तक कांस्य पदक जीते हैं, पर स्वर्ण और रजत पदक नहीं जीत सके हैं। ’’

देव ने कहा, ‘‘मैं कांस्य को रजत नहीं बल्कि स्वर्ण में बदलना चाहता हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि मैं यह उपलब्धि हासिल कर सकता हूं। मेरी ट्रेनिंग अच्छी रही है। लेकन अंत में यह भगवान पर निर्भर करता है।’’

यह 23 वर्षीय मुक्केबाज 2021 में पहली बार विश्व चैम्पियनशिप में क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर सुर्खियों में आया।

दो साल बाद देव ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। उन्होंने कहा, ‘‘वह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था और यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि थी। ’’

देव ने विश्व चैम्पियनशिप के अंतिम आठ चरण में क्यूबा के जार्ज क्यूलार पर सर्वसम्मत फैसले में जीत हासिल की थी। वह मानते हैं कि क्यूबा, ​​अमेरिका, रूस और कजाकिस्तान जैसे मजबूत देशों के मुक्केबाजों का सामना करने से उनका डर खत्म हो गया जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिली।

हरियाणा के इस मुक्केबाज ने कहा, ‘‘जब मैंने क्वार्टर फाइनल में क्यूबा के मुक्केबाज को आसानी से हराया तो मेरे मन से डर निकल गया। मुझे लगा कि अगर आप अपना शत प्रतिशत दो तो आप किसी भी मुक्केबाज को हरा सकते हो। ’’

देव ने कहा, ‘‘एक मजबूत देश के मुक्केबाज के खिलाफ लड़ते समय मुझे जो डर लगता था, वह अब खत्म हो गया है। अब कोई दबाव नहीं है, मैं बस यही सोचता हूं कि वह सिर्फ एक प्रतिद्वंद्वी है। ’’

भाषा नमिता सुधीर

सुधीर

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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