(मोना पार्थसारथी)
नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और हॉकी इंडिया अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने पाकिस्तानी टीम को भारत की मेजबानी में होने वाले आगामी टूर्नामेंटों में खेलने से नहीं रोकने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह हॉकी के लिये अच्छा फैसला है ।
खेल मंत्रालय के सूत्र के अनुसार मंत्रालय ने अगस्त में बिहार के राजगीर में होने वाले एशिया कप और नवंबर दिसंबर में तमिलनाडु में होने वाले जूनियर विश्व कप में पाकिस्तान की भागीदारी की अनुमति देने का फैसला किया है ।
टिर्की ने इस घटनाक्रम पर भाषा से कहा ,‘‘हमारे पास अभी आधिकारिक सूचना नहीं आई है और मैं भी मीडिया से सुन रहा हूं । लेकिन अगर सरकार ने मंजूरी दे दी है तो यह हॉकी के लिये बहुत अच्छी बात है ।’’
तीन ओलंपिक खेल चुके इस महान डिफेंडर ने कहा ,‘‘भारत दो महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों की मेजबानी करने जा रहा है । एशिया कप बिहार के राजगीर में और जूनियर विश्व कप चेन्नई और मदुरै में होगा और दोनों में पाकिस्तान की टीमें भाग ले रही हैं।’’
बीजद के राज्यसभा सांसद रह चुके टिर्की ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हॉकी मैच खेल के प्रचार के लिये अच्छे होते हैं क्योंकि लोगों की इसमें काफी रूचि होती है । इससे खेल के लिये अच्छा माहौल बनता है और टूर्नामेंट की सफलता के लिये भी यह अच्छा होगा ।
यह पूछने पर कि पाकिस्तान के आने पर सुरक्षा को लेकर तैयारी अधिक करनी होगी, भारत के लिये 412 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके इस दिग्गज ने कहा ,‘‘ हम अपनी तैयारी कर रहे हैं । पिछले कुछ समय के घटनाक्रम के बाद संभवत: यह पाकिस्तान की किसी भी टीम का पहला भारत दौरा होगा तो उसी हिसाब से सुरक्षा के चाक चौबंद उपाय किये जायेंगे ।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हॉकी महासंघ से फिलहाल कोई बात नहीं हुई है लेकिन खेल मंत्रालय से आधिकारिक सूचना मिलने पर आगे बात की जायेगी ।
अपने खेलने के दिनों में भारत . पाकिस्तान हॉकी प्रतिद्वंद्विता को याद करते हुए टिर्की ने कहा कि मैदानी प्रतिद्वंद्विता के बावजूद उस समय खिलाड़ियों के बीच मैदान से बाहर अच्छी दोस्ती हुआ करती थी ।
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने जब शुरूआत की थी तब हमारी टीम में परगट सिंह, धनराज पिल्लै जैसे दिग्गज थे और पाकिस्तानी टीम में शाहबाज सीनियर, ताहिर जमां जैसे सितारे थे जिनके बाद सोहेल अब्बास, वसीम अहमद , शकील अब्बासी जैसे खिलाड़ी आये । दोनों टीमों के बीच मैदानी प्रतिद्वंद्विता जबर्दस्त थी लेकिन मैदान के बाहर अच्छी मित्रता रहती थी ।’’
भाषा मोना नमिता
नमिता
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