… अमित आनंद ..
नवी मुंबई, तीन नवंबर (भाषा) महिला विश्व कप के फाइनल में अपने शानदार क्षेत्ररक्षण से दक्षिण अफ्रीका की सलामी जोड़ी को पवेलियन भेजने में योगदान देने वाली अमनजोत कौर ने कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट के कैच को अपने अब तक के करियर का सबसे बड़ा कैच करार दिया। भारत ने रविवार का यहां फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से शिकस्त देकर पहली बार विश्व कप के खिताब को अपने नाम किया। अमनजोत ने दक्षिण अफ्रीका की सलामी बल्लेबाज ताजमिन ब्रिट्स को रन आउट कर वोल्वार्ड्ट के साथ पहले विकेट के लिए अर्धशतकीय साझेदारी को तोड़ा। उन्होंने इसके बाद 42वें ओवर में वोल्वार्ड्ट का शानदार कैच उस समय लपका जब वह शतक पूरा कर भारत और जीत के बीच खड़ी थी। दक्षिण अफ्रीका को आखिरी आठ ओवर में 79 रन की जरूरत थी और सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 169 रन बनाने वाली वोल्वार्ड्ट फाइनल में भी शतक पूरा करने के बाद बड़े शॉट खेलने की तैयारी में थी। उन्होंने दीप्ति शर्मा की गेंद को डीप मिडविकेट की तरफ खेला और अमनजोत के हाथ से गेंद दो बार छिटकी लेकिन उन्होंने तीसरे प्रयास में कैच पूरा कर स्टेडियम में मौजद दर्शकों के साथ टीम के खिलाड़ियों में जोश भर दिया।। उन्होंने मैच के बाद कहा, ‘‘ वह मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल कैच था, मैंने आज तक कभी मेरे हाथ से गेंद इस तरह से नहीं छिटकी थी। मैं या तो कैच लपकती थी या छूट जाता था। यह पहली बार है जब भगवान ने मुझे तीन मौके दिये ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वोल्वार्ड्ट का कैच काफी अहम था और उसके शतक के बाद हमें पता था कि वह एक छोर से बड़े शॉट खेलने की कोशिश करेगी।’’ अमनजोत ने कहा कि वह गेंद और बल्ले की नाकामी को क्षेत्ररक्षण से पूरा करना चाहती थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बल्ले से बड़ा योगदान नहीं दे सकी थी और गेंदबाजी में भी बहुत प्रभावी नहीं थी, ऐसे में मेरा ध्यान बेहतर क्षेत्ररक्षण से उस कमी को पूरा करने पर था। मुझे पता था कि क्षेत्ररक्षण अच्छा रहेगा तो हम कुछ रन बचाकर दक्षिण अफ्रीका की मुश्किलें बढ़ा सकते है।’’ अमनजोत ने दक्षिण अफ्रीका की मुश्किलें इससे पहले ब्रिट्स को रन आउट कर बढ़ दी थी। उनके सटीक थ्रो पर रन चुराने की कोशिश कर रही ब्रिट्स को पवेलियन लौटना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी के समय पिच थोड़ी बल्लेबाजी के अनुकूल हो गयी थी। हम यही बात कर रहे थे कि साझेदारी तोड़ना काफी जरूरी है। हम नहीं चाहते थे कि किसी भी मौके को हाथ से जाने दे। दूधिया रोशनी में ओस गिरने के बाद क्षेत्ररक्षण मुश्किल हो जाता है।’’ तेज गेंदबाज रेणुका सिंह ठाकुर ने इस जीत का श्रेय टीम की एकजुटता और महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) के अनुभव को देते हुए कहा कि टीम ने दबाव से निपटना सीख लिया है। उन्होंने कहा,‘‘ हमारे गेंदबाजों में काफी एकजुटता है और सभी एक दूसरे का समर्थन करते हैं। जब गेंदबाजी में इतने सारे विकप्ल हो तो दबाव हावी नहीं होता है। रेणुका ने कहा, ‘‘ डब्ल्यूपीएल से काफी बदलाव आये हैं। अभी हम ट्रॉफी जीत कर आये हैं और हमें फाइनल के दबाव के बारे में पता था इसलिए हमारा प्रदर्शन नहीं डगमगाया।’’ वामहस्त स्पिनर राधा यादव को उम्मीद है कि टीम की इस जीत से भारतीय क्रिकेट में बड़ा बदलाव आयेगा। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे सीनियरों ने हमारे लिए शानदार मंच तैयार किया है और अब इस जीत का हमारे भविष्य पर काफी असर पडेगा। ’’ फाइनल में 24 गेंद में 34 रन की आक्रामक पारी के साथ टीम को 300 रन के करीब पहुंचाने में अहम योगदान देने वाली रिचा घोष ने कहा कि वह इस जीत में योगदान देकर खुश है। रिचा ने कहा, ‘‘मेरा ध्यान तेजी से रन बनाने पर था। जाहिर है उस समय गेंद थोड़ा रूक कर आ रही थी ऐसे में शॉट खेलना मुश्किल था। मैं धैर्य बनाये रखने के साथ बाहर क्या हो रहा इस बारे में नहीं सोच रही थी। उन्होंने कहा कि पहली बार विश्व चैंपियन बनने के एहसास को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। रिचा ने कहा, ‘‘ हमने पहली बार खिताब जीता है इसलिए समझ नहीं आ रहा है कि इसे शब्दों में कैसे बयां करूं। मुझे हालांकि टीम की जीत में योगदान देने की बहुत खुशी है।’’ भाषा आनन्द पंतपंत
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